वृंदावन विवाद: 90 वर्षीय बृजवासी महिला ने प्रेमा नंद महाराज के बारे में खोला राज

Vrindavan Controversy: 90-Year-Old Brijvasi Woman Reveals Secret About Premanand Maharaj

वृंदावन में संत प्रेमा नंद महाराज की रात की पदयात्रा के खिलाफ हो रहे विरोधों के बाद यह मुद्दा व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। रात की इस पदयात्रा का रुकना लाखों भक्तों के लिए निराशाजनक साबित हुआ है। इसी बीच, एक 90 वर्षीय बृजवासी महिला, शिला, ने प्रेमा नंद महाराज के बारे में एक पुराना राज़ उजागर किया है, जो इस विवाद को और भी गहरे पैमाने पर ले आया है।

प्रेमा नंद महाराज का बनारस से जुड़ाव

शिला के अनुसार, प्रेमा नंद महाराज कभी बनारस में रहते थे, जहाँ वह और उनके पति श्री राम शर्मा जी उनसे मिलने जाया करते थे। शिला ने याद करते हुए बताया कि एक दिन, प्रेमा नंद महाराज ने  कहा कि वह वृंदावन जाना चाहते हैं। इस पर उनके पति ने जवाब दिया:

“बांके बिहारी जी आपका हाथ पकड़कर आपको वहां ले जाएंगे।”

फकीर बाबा से आध्यात्मिक गुरु तक का सफर

शिला ने यह भी बताया कि जब उन्होंने पहली बार प्रेमा नंद महाराज को बनारस में देखा, तो उनके बाल लंबे और उलझे हुए थे और वह फकीर बाबा की तरह जीवन यापन करते थे। लेकिन, जब वह वृंदावन आए, तो उन्होंने राधा का नाम फैलाना शुरू किया और धीरे-धीरे बहुत प्रसिद्ध हो गए।

स्वास्थ्य के बावजूद रात की पदयात्रा जारी

शिला ने आगे कहा कि प्रेमा नंद महाराज को किडनी की समस्या होने के बावजूद, वह रात को पदयात्रा करते हैं, ताकि वह अपने भक्तों को दर्शन दे सकें। उनके लिए यह एक आध्यात्मिक सेवा है, जो भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण परंपरा बन चुकी है।

विरोध क्यों हो रहा है?

प्रेमा नंद महाराज की रात की पदयात्रा के खिलाफ विरोध ने उनके भक्तों को गुस्से में डाल दिया है। कुछ लोग कहते हैं कि इन रात की पदयात्राओं से शांति में खलल पड़ता है, जबकि अन्य का मानना है कि यह एक पवित्र परंपरा है, जिसे रोकना नहीं चाहिए।

इस विवाद के बीच शिला की पुरानी यादों और प्रेमा नंद महाराज के जीवन के ऐतिहासिक पहलू पर प्रकाश डालने वाली बातों ने एक नया मोड़ लिया है। भक्त अब भी इस विवाद का समाधान चाहते हैं, ताकि वे बिना किसी रुकावट के उनके दर्शन कर सकें

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