KKN गुरुग्राम डेस्क | उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपनी पत्नी नम्रता पाठक के साथ मथुरा स्थित प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम में पहुंचकर उनका आशीर्वाद लिया। यह मुलाकात केवल एक औपचारिक भेंट नहीं थी, बल्कि एक गंभीर आध्यात्मिक संवाद का अवसर बन गई, जहां जीवन, धर्म और कर्तव्य पर विचार साझा किए गए।
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संत को देखते ही डिप्टी सीएम ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और उनके चरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान आश्रम का वातावरण भक्तिमय और शांत था।
संत प्रेमानंद महाराज का संदेश: भोग नहीं, भगवान की प्राप्ति है जीवन का उद्देश्य
प्रेमानंद महाराज ने डिप्टी सीएम को संबोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन का उद्देश्य केवल भोग-विलास नहीं, बल्कि ईश्वर की प्राप्ति है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भगवान को पाने के लिए संन्यास लेना या जंगलों में जाकर साधना करना आवश्यक नहीं है।
“यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन के कर्तव्यों को निष्ठा, ईमानदारी और सत्य के साथ निभाता है और साथ ही भगवान का निरंतर स्मरण करता है, तो वह भी ईश्वर तक पहुंच सकता है।”
संत ने यह भी कहा कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ सकता है, बशर्ते वह अपने कर्मों में ईमानदार हो।
भगवद गीता से संदर्भ: “माम अनुस्मर युद्ध्य च” का अर्थ
प्रेमानंद महाराज ने भगवद गीता का उदाहरण देते हुए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन से कहे गए शब्दों को याद दिलाया:
“माम अनुस्मर युद्ध्य च” – मेरा स्मरण करते हुए युद्ध करो।
इसका अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि कर्म करते हुए भी भगवान को याद रखना संभव है। उन्होंने डिप्टी सीएम को यह संदेश दिया कि यदि कोई जनसेवा के भाव से अपने पद का उपयोग करता है, तो वही पद ईश्वर प्राप्ति का माध्यम बन सकता है।
भय और लोभ से दूर रहें: सफलता का यही रास्ता
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जीवन में भय और लालच से हमेशा बचना चाहिए। यदि व्यक्ति डर या प्रलोभन में आकर निर्णय लेता है, तो वह अपने धर्म से भटक सकता है।
“जो व्यक्ति निडर होकर, निष्काम भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करता है, वह न केवल समाज में सफल होता है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उन्नति करता है।”
यह संदेश केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि राजनीतिक जीवन के लिए भी एक अहम संकेत है, जहां अक्सर निर्णय दबाव या लाभ के तहत लिए जाते हैं।
ब्रजेश पाठक की प्रतिक्रिया: संत की शिक्षाएं मेरी सेवा यात्रा का मार्गदर्शन करेंगी
संत के विचारों से प्रभावित होकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि:
“प्रेमानंद महाराज के उपदेश मेरे सार्वजनिक जीवन के लिए प्रेरणा हैं। मैं इनके सिद्धांतों को अपनी सेवा में अपनाने की पूरी कोशिश करूंगा।”
उन्होंने संत का आभार जताते हुए कहा कि इस प्रकार के संवाद राजनीतिक जीवन में संतुलन और दिशा देने का काम करते हैं।
राजनीति और अध्यात्म का संगम: एक नई सोच की ओर
यह मुलाकात उस विचारधारा को दर्शाती है जिसमें राजनीतिक पदों पर बैठे नेता आध्यात्मिक मार्गदर्शन की तलाश में रहते हैं। भारत में धर्म और राजनीति का गहरा संबंध रहा है और इस प्रकार की घटनाएं यह सिद्ध करती हैं कि सत्ता और सेवा दोनों एक साथ चल सकते हैं।
डिप्टी सीएम जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का संतों से मार्गदर्शन लेना यह दिखाता है कि अधिकार, जब धर्म से जुड़ता है, तो वह जनकल्याण का साधन बनता है।
समाज में संदेश: नेतृत्व और नैतिकता का संतुलन संभव है
इस घटना से समाज को यह सीख मिलती है कि धार्मिक और नैतिक मूल्यों को अपनाकर भी एक नेता अच्छा प्रशासक बन सकता है। यह संदेश खासकर युवाओं और उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो सत्ता को केवल शक्ति के रूप में देखते हैं।
प्रेमानंद महाराज के विचारों से यह स्पष्ट होता है कि:
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धर्म केवल मंदिरों या आश्रमों तक सीमित नहीं है।
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कोई भी पद, यदि सेवा भाव से निभाया जाए, तो वह धर्म बन सकता है।
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जीवन में भय, लालच और अहंकार से मुक्त होकर ही सच्ची उन्नति संभव है।
ब्रजेश पाठक और संत प्रेमानंद महाराज की यह भेंट राजनीति और अध्यात्म के संगम का प्रतीक बन गई है। यह केवल एक मुलाकात नहीं, बल्कि एक नई सोच, नई दिशा और सार्वजनिक जीवन में अध्यात्म के स्थान की पुनः पुष्टि है।
KKNLive इस प्रकार के घटनाक्रमों को आपके लिए लाता रहेगा, जहां राजनीति केवल सत्ता नहीं, बल्कि सेवा और साधना का माध्यम बनती है।
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