चंडीगढ़। आपने बेटियो की विदाई मे यह गीत ‘ये गलियां, ये चौबारा, यहां आना ना दोबारा…’ गीत खूब सुनी होगी। इस गीत के उल्टा पंजाब मे एक गांव है। जहां गलिया तो है किंतु चौबारा नही। सबगा के लोगों की तरफ से आप को अपनी गलियों में आने का खुला आमंत्रण है, लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि यहां किसी मकान पर चौबारा नहीं है। करीब चार हजार की आबादी वाला सबगा गांव हरियाणा में अंबाला जिले के मुलाना क्षेत्र में है, जहां सदियों से किसी ने अपने मकान पर पहली मंजिल का निर्माण नहीं किया है । भविष्य में ऐसा करने का किसी का कोई इरादा है।
देवी-देवता की नाराजगी का डर
देवी-देवता के नाराज होने के डर के चलते गांव में कोई भी अपने मकान पर चौबारा नहीं बनवाता. गांव के लोग ऐसे कई उदाहरण देते हैं कि अतीत में जिसने भी ऐसा दुस्साहस करने की कोशिश की, उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा है। ग्राम पंचायत के सदस्य रौनकी राम का कहना है, ‘जिन लोगों ने पहली मंजिल बनाने के प्रयास किए, उनके परिवार को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा है। ’ पंचायत के एक अन्य सदस्य सतीश कुमार का भी यही मानना है, ‘अनहोनी की आशंका ने पहली मंजिल के निर्माण के मामले में सबगा गांव के सब लोगों के हाथ बांध रखे हैं.।’
अनहोनी की आशंका
गांव के बुजुर्ग करनैल सिंह आस्था का हवाला देते हुए कहते हैं, ‘हम अपने बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, यहां भगवान मार्केंडश्वर का जो मंदिर है, उसकी ऊंचाई से ऊपर किसी मकान का निर्माण नहीं होना चाहिए। अगर कोई ऐसा करने की जुर्रत करेगा तो उसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे.।’ तर्कशील सोसायटी के महासचिव सुरेंद्र सिंह इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है, ‘इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। अगर किसी अनहोनी का डर होता तो फिर आस-पास के गांवों में बहुमंजिला इमारतें क्यों बनतीं?’
जो भी हो, तर्कशील सोसायटी इसे अंधविश्वास माने या आस्था का मामला, सबगा गांव के लोग किसी तर्क को नहीं मानने वाले नहीं हैं। गांव के युवाओं से ले कर बड़े-बुजुर्गों तक, सबको पता है कि लोग चांद पर जा आए हैं। उन्हें मालूम है कि मंगल ग्रह पर पहुंचने की कोशिशें चल रही हैं। यह भी कि इक्कीसवीं सदी विज्ञान का युग है. फिर भी वे अपने मकान पर चौबारा बनाने के लिए तैयार नहीं हैं तो नहीं है. समझो, मामला खत्म।
This post was published on अप्रैल 17, 2017 23:01
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