भारत सहित पूरे विश्व में सूचना क्रांति का प्रतीक बन चुकी सोशल मीडिया, इन दिनो चर्चा में है। चर्चा इसलिए नही कि इसके सहारे सरकारे बदली गई। लोगो की सोच में बदलाव हुआ और सूचनाओं के आदान- प्रदान में तेजी आ गई।
बल्कि, चर्चा इसलिए कि सोशल मीडिया आज दंगा भड़काने का सबसे आसान अस्त्र बन चुका है। सोशल मीडिया की आर लेकर पत्थरबाजो की भीड़ इखट्ठा की जाती है और अफवाहो को पंख लगा कर समाजिक समरशता को खंडित करने की कुत्सित कुचक्र रची जाने लगी है। इसी प्रकार आतंकवादी, उग्रवादी और चरमपंथी लोग इसका जम कर दुरूपयोग करने लगे है। नक्सलियों ने भी सोशल मीडिया को अपना हथियार बना लिया है।
गुमनाम सख्सियत की पहचान बनी
बावजूद इसके सोशल मीडिया आमजनो की जरुरत बन चुकी है। यह, गांव के कमजोर लोगो की मजबूत आबाज बन कर उभरी है। यह, शहर के भीड़ में गुमनाम हो चुके सख्यियत की पहचान बन कर उभरी है। दहलिज के भीतर दम तोड़ती सिसकियों को मुकाम देने और जरुरतमंदो तक सरकारी मदद पहुंचाने में भी सोशल मीडिया की भूमिका से किसी को इनकार नही है। ऐसे में कुछ लोग सोशल मीडिया को वरदान बता रहें हैं। वहीं ऐसे भी लोग है, जो इसे अभिशाप बताने लगे हैं। जाहिर है, इसको लेकर एक बहस शुरू हो चुकी है। तो आज हम भी इसी बहस का हिस्सा बन जातें हैं।
तेजी से पांव पसार रहा है सोशल मीडिया
कहतें हैं कि कम पढ़े-लिखे लोगो से लेकर बेहद ही जानकार लोगो तक और गांव के किसान से लेकर शीर्ष पर बैठे लोग तक, सभी सोशल मीडिया के लपेटे में है। जानकारी के मुताबिक भारत के तकरीबन 70 करोड़ लोगों के पास सेलफोन हैं। इनमें से करीब 25 करोड़ लोग स्मार्टफ़ोन का उपयोग करतें हैं। आंकड़े बतातें हैं कि करीब 15.5 करोड़ लोग हर महीने फ़ेसबुक पर सक्रिय रहते हैं। इसी प्रकार करीब 16 करोड़ लोग हर महीने व्हाट्सऐप पर सक्रिय रहते हैं। यहीं, वह ग्राफ है, जो राजनीतिक पार्टियों को, ऑनलाइन कैंपेन चलाने को विवश करती है।
सोशल साइट के दुरुपयोग से बचे
रिपोर्ट का लब्बोलुआब ये कि सोशल मीडिया अधिकांश लोगो के लिए एक सशक्त माध्यम है। किंतु, मुट्ठीभर लोगो ने इसको बदनाम कर दिया। कहतें है कि सोशल मीडिया को खतरा, उन मुट्ठीभर लोगो से नही है। बल्कि, खतरा का बड़ा कारण है, हमारी नासमझी। बिना सोचे समझे अफवाह या फेकन्यूज को फॉरवार्ड करने की हमारी खतरनाक प्रवृति और आधी-अधूरी जानकारी को पक्की खबर बता कर उसे वायरल करने की हमारी प्रवृति। कहतें हैं कि समय रहते हमने खुद को अलर्ट नही किया तो, निकट भविष्य में सोशल मीडिया की यह आजादी कम होते देर नही लगेगा।
This post was published on %s = human-readable time difference 14:59
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More