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राम मंदिर पुजारी भर्ती योजना: बढ़ती मंदिरों की संख्या के कारण अब नए पुजारियों की भर्ती की जाएगी

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KKN गुरुग्राम डेस्क | अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ मंदिर परिसर में लगातार नए मंदिर बनाए जा रहे हैं। इस समय राम मंदिर परिसर में कुल 18 मंदिर हो चुके हैं, जबकि इन मंदिरों की पूजा-अर्चना का कार्य करने वाले पुजारियों की संख्या अभी सिर्फ 20 है। इस असंतुलन को देखते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पुजारियों की भर्ती के लिए एक नया प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चयनित युवाओं को न सिर्फ आवास और भोजन मिलेगा, बल्कि उन्हें हर महीने छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। इस लेख में हम जानेंगे इस भर्ती प्रक्रिया, योग्यता, और प्रशिक्षण के लाभ के बारे में पूरी जानकारी।

राम मंदिर परिसर में बढ़ते मंदिरों की संख्या

राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ अयोध्या में मंदिरों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। फिलहाल राम मंदिर परिसर में 18 मंदिर स्थापित हो चुके हैं, और यह संख्या भविष्य में और बढ़ने की संभावना है। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिरों में रामलला मंदिर, राम दरबार, शेषावतार, कुबेरेश्वर महादेव आदि शामिल हैं। हालांकि, इन सभी मंदिरों में पूजा-पाठ करने के लिए वर्तमान में सिर्फ 20 पुजारी ही नियुक्त हैं, जो कि इन बढ़ते मंदिरों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में, मंदिरों के नियमित संचालन और धार्मिक क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए नए और प्रशिक्षित पुजारियों की आवश्यकता महसूस हो रही है।

पुजारी प्रशिक्षण योजना: आवेदन प्रक्रिया और योग्यता

इस बढ़ती हुई आवश्यकता को देखते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पुजारी प्रशिक्षण योजना के तहत दूसरे बैच का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इस योजना का उद्देश्य राम मंदिर के बढ़ते मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए पर्याप्त और प्रशिक्षित पुजारियों की भर्ती करना है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आवेदन प्रक्रिया 26 जून 2025 से शुरू होगी, और आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2025 रखी गई है। आवेदन केवल ऑनलाइन ही किए जा सकते हैं।

पुजारी प्रशिक्षण कार्यक्रम में आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को कम से कम पांच साल का गुरुकुल शिक्षा का अनुभव होना आवश्यक है। यह योग्यता इस बात की पुष्टि करती है कि उम्मीदवार धार्मिक कार्यों के प्रति पहले से समर्पित हैं और उन्हें बुनियादी धार्मिक ज्ञान प्राप्त है। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, प्रशिक्षण का कार्य अगले महीने से शुरू किया जाएगा, जिससे चयनित युवाओं को प्राचीन धार्मिक कार्यों और पूजा पद्धतियों का गहन ज्ञान प्राप्त होगा।

प्रशिक्षण के दौरान मिलने वाली सुविधाएं

पुजारी प्रशिक्षण योजना में चयनित युवाओं को कई लाभ प्राप्त होंगे। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें आवास और भोजन की पूरी सुविधा दी जाएगी, ताकि वे प्रशिक्षण में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकें। इसके अलावा, पहले बैच के प्रशिक्षुओं को प्रति माह ₹2000 छात्रवृत्ति दी गई थी, और इस बार इसे बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है।

छह महीने के इस आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, पुजारियों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण भी मिलेगा। इसमें उन्हें राम दरबार, शेषावतार और अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना का मौका दिया जाएगा। इसके लिए सभी सुविधाएं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा प्रदान की जाएंगी, ताकि युवाओं को बेहतर तरीके से प्रशिक्षण मिल सके। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न सिर्फ रोजगार के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि मंदिर की धार्मिक गरिमा बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

वर्तमान में कितने पुजारी कार्यरत हैं?

फिलहाल, राम मंदिर परिसर में कुल 18 मंदिर हो चुके हैं, जिनमें से रामलला मंदिर, राम दरबार, शेषावतार, कुबेरेश्वर महादेव और अन्य मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों में पूजा-पाठ का कार्य करने के लिए सिर्फ 20 पुजारी नियुक्त हैं। हालांकि, मंदिरों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ पुजारियों पर काम का दबाव बढ़ गया है। विशेष रूप से, 5 जून 2025 को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद, पूजा-पाठ का सिलसिला और भी नियमित हो गया है, जिससे पुजारियों की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता महसूस हो रही है।

पुजारियों की संख्या बढ़ाने से न सिर्फ मंदिरों के संचालन में मदद मिलेगी, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि राम मंदिर परिसर में पूजा का कार्य पूरी तरह से सुचारु रूप से चलता रहे। रामलला और अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के लिए अधिक संख्या में पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी।

राम मंदिर के धार्मिक महत्व को बनाए रखना

यह पुजारी प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल रोजगार से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि इसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य मंदिर के धार्मिक महत्व को बनाए रखना भी है। जब राम मंदिर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल पर पूजा अर्चना होती है, तो यह न सिर्फ भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतीक होता है, बल्कि लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र भी होता है। इसलिए, इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में मंदिरों की पूजा व्यवस्था को कोई संकट न हो और trained पुजारियों की कोई कमी न हो।

पुजारी प्रशिक्षण योजना का महत्व

यह पुजारी प्रशिक्षण योजना कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है:

  1. धार्मिक शिक्षा: यह योजना युवाओं को धार्मिक शिक्षा देने का अवसर प्रदान करेगी, जिससे वे अपने समुदाय में धार्मिक कार्यों में सक्षम होंगे।

  2. सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण: इस योजना के तहत, पुजारियों को भारतीय पूजा पद्धतियों और धार्मिक अनुष्ठानों की गहरी समझ दी जाएगी, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने में मदद करेगा।

  3. रोजगार के अवसर: प्रशिक्षण के बाद चयनित पुजारियों को मंदिरों में काम करने का मौका मिलेगा, जो उन्हें रोजगार और सम्मान प्रदान करेगा।

  4. समाज सेवा: पुजारियों को धार्मिक कार्यों के माध्यम से समाज सेवा का अवसर मिलेगा, जिससे वे समाज की सेवा कर सकेंगे।

आवेदन प्रक्रिया: चरणबद्ध गाइड

  1. ऑनलाइन आवेदन: इच्छुक उम्मीदवार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए सभी आवश्यक निर्देश वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे।

  2. योग्यता जांच: सुनिश्चित करें कि आप कम से कम 5 वर्षों का गुरुकुल शिक्षा का अनुभव रखते हैं।

  3. चयन प्रक्रिया: आवेदन पत्रों की समीक्षा के बाद चयन प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें धार्मिक ज्ञान, अनुभव और उपयुक्तता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।

  4. प्रशिक्षण प्रारंभ: चयनित उम्मीदवारों का प्रशिक्षण जुलाई 2025 से शुरू होगा, जिसमें सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह के प्रशिक्षण होंगे।

  5. छात्रवृत्ति और सुविधाएं: चयनित युवाओं को आवास, भोजन और छात्रवृत्ति के साथ-साथ आवश्यक संसाधन प्रदान किए जाएंगे।

राम मंदिर परिसर में बढ़ती संख्या में मंदिरों और बढ़ती धार्मिक गतिविधियों को देखते हुए, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का पुजारी प्रशिक्षण कार्यक्रम एक आवश्यक कदम है। यह कार्यक्रम न केवल पुजारियों की कमी को दूर करेगा, बल्कि मंदिर की धार्मिक गरिमा को बनाए रखने में भी मदद करेगा। इस पहल से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे और धार्मिक परंपराओं को मजबूत किया जाएगा।

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