रक्षाबंधन, भाई-बहन के रिश्ते को मान्यता देने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त को शनिवार को मनाया जाएगा। भारतीय शास्त्रों में इसे विशेष महत्व प्राप्त है और यह पर्व हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन के दिन कुछ ऐसे दुर्लभ ग्रह संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी खास बना रहे हैं। इस दिन आयुष्मान योग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धि योग और सौभाग्य योग जैसी विशेष स्थितियाँ बन रही हैं, जो इसे अत्यधिक शुभ और फलदायी बनाती हैं।
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रक्षाबंधन पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग
इस साल रक्षाबंधन पर 97 वर्षों बाद कुछ खास ग्रह संयोग बन रहे हैं। इस दिन शनैश्चरी पूर्णिमा का दिन होगा और मकर राशि में चंद्रमा का गोचर होगा। साथ ही श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र और प्रीति योग भी इस दिन मौजूद रहेंगे। यह संयोग 1928 में आया था और इस बार 97 साल बाद फिर से बन रहा है। इन योगों के प्रभाव से रक्षाबंधन का दिन कृषि, पारिवारिक समृद्धि और सामाजिक सौहार्द के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जा रहा है।
रक्षाबंधन पर ग्रहों की स्थिति
इसके अलावा, इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन 297 साल बाद एक दुर्लभ ग्रह संयोग भी बन रहा है। सूर्य कर्क राशि में, चंद्रमा मकर राशि में, मंगल कन्या राशि में, बुध कर्क राशि में, गुरु और शुक्र मिथुन में, राहु कुंभ में और केतु सिंह राशि में स्थित रहेंगे। इस तरह की ग्रह स्थिति 1728 में देखी गई थी। उस समय भी भद्रा का असर नहीं था और ग्रहों की स्थिति जैसी इस बार है, वैसी ही थी। इस बार भी भद्रा का कोई असर नहीं रहेगा, जिससे रक्षाबंधन के दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी रुकावट के किया जा सकेगा।
भद्रा का न होना और राखी बांधने का शुभ समय
इस बार रक्षाबंधन पर कोई भी भद्रा काल नहीं होगा। भद्रा का समय रक्षाबंधन से एक दिन पहले यानी 8 अगस्त की रात 12 बजे समाप्त हो जाएगा। इसका मतलब यह है कि 9 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधने का शुभ समय रहेगा। इस विशेष अवसर पर बहनें बिना किसी चिंता के अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी।
रक्षाबंधन पर कब और कैसे राखी बांधी जाएगी?
रक्षाबंधन का पर्व इस बार 9 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ करने के लिए खास होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनके लंबे जीवन और समृद्धि की कामना करती हैं। इस वर्ष, श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 9 अगस्त को भद्रा रहित रक्षाबंधन मनाया जाएगा, और राखी बांधने के लिए पूरे दिन का समय उपलब्ध रहेगा।
गुरुओं और वेदपाठी ब्राह्मणों को सम्मान
रक्षाबंधन के इस पर्व पर, गुरुओं को भी रक्षा सूत्र बांधकर उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। ये लोग शिष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए जरूरी होते हैं। स्वामी पूर्णानन्द पुरी महाराज के अनुसार, इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण साल भर किए गए पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए श्रावणी उपाकर्म करते हैं। इस दिन विशेष रूप से जीवन को सकारात्मक दिशा देने के लिए ये धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं।
इस वर्ष रक्षाबंधन एक विशेष दिव्य संयोग के साथ आ रहा है। ग्रहों का दुर्लभ संयोग और भद्रा का न होना इस दिन को अत्यधिक शुभ बना रहे हैं। इस दिन का असर पारिवारिक समृद्धि, कृषि और सामाजिक सौहार्द पर सकारात्मक रूप से पड़ेगा। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए पूरे दिन का समय आसानी से पा सकेंगी। इसके अलावा, गुरु को सम्मान देना और वेदपाठी ब्राह्मणों के लिए उपाकर्म की प्रक्रिया रक्षाबंधन की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाती है।
रक्षाबंधन 2025 एक खास दिन साबित होने जा रहा है, जहां भाई-बहन के रिश्ते को नए उत्साह और समृद्धि के साथ मनाया जाएगा। इस दिन किए गए शुभ कार्यों का प्रभाव लंबी अवधि तक सकारात्मक रहेगा।
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