Society

कभी सिक्को के लिए भटकते थे, अब बना बोझ

​सिक्को की खनक से छोटे व्यवसायिको का बढा सिरदर्द

 

संतोष कुमार गुप्ता

मीनापुर। एक साल पहले लोग हाथ मे नोट लिये रेजगारी के लिए भटकते थे। तब जाकर कहीं पर उन्हे छुट्टे नसीब होते थे। किंतु कुछ दिनो से प्रखंड के बाजारो मे सिक्के की खनक ने छोटे व मध्यम व्यवसायिको की सिरदर्द बढा दी है। अब वह सिक्को का मोटा लेकर कहां जाये। बड़े व्यवसायिक सिक्का लेने से इंकार कर रहे है। वह समान की आपूर्ति तब ही करेंगे जब उन्हे नोटो की गड्डी मिलेगी। बैंक भी सिक्का लेने से हाथ खड़ा कर दिया है। अब तो ग्राहक भी वापसी पैसे के तौर पर सिक्का लेने से इंकार कर रहे है। खुदरा करने वाले भी नोट की वकालत करते है। गुप्ता किराना व जेनरल स्टोर के प्रोपराइटर मिथिलेश कुमार गुप्ता बताते है कि ग्राहक थोक समान लेने पर भी सिक्का थमाते है। खुदरा समान लेने वाले भी सिक्का लेकर आते है.पैसा नही लेने पर वह झगड़ा पर उतारू हो जाते है। छोटे व्यवसायिक वर्ग सिक्के मे ही उलझ कर रह जाते है। अब वह इतने सिक्के को लेकर करेंगे क्या। जबकि शहर के थोक व्यवसायिक उनलोगो से सिक्का लेने से पुरी तरह परहेज कर रहे है। ग्राहक दो हजारी लेकर आते है। समान खरीदते है.पैसा वापसी मे वह सिक्का नही लेते है। प्रियदर्शी मोबाइल सेंटर के प्रोपराइटर रजनिशकांत प्रियदर्शी ने बताया कि मोबाइल रिचार्ज मे भी लोग सिक्का लेकर ही आते है। श्रंगार दुकान चलाने वाले देवेंद्र कुमार कहते है कि महिलाए घर से महिलाए सिक्को की पोटली लेकर चलती है। मीनापुर प्रखण्ड के मुस्तफागंज,खेमाइपट्टी,नेउरा,तुरकी,बनघारा,सिवाइपट्टी आदि इलाको मे व्यवसायिक वर्ग सिक्के से तबाह है। व्यवसायिक वर्ग सिक्को के बोझ को कम करने के लिए ठेकेदारो से सम्पर्क करते है. ईट भट्टे,राजमिस्त्री,मजदूर,व खेतीहर मजदूरो को सिक्का देने के लिए इन्हे अग्रीम पैसा थमाया जाता है। बाद मे इन्हे नोट मिलता है। सिक्को का ढेर तो कभी कभी इतना हो जाता है कि इन्हे सुरक्षित रखने के लिए सोंचना पड़ता है। नोटबंदी के दौरान लोगो को रेजगारी थमाने वाले बैंक सिक्का लेने से साफ इंकार कर रहे है। फल,किराना,जेनरल स्टोर्स,होटल,चाय दुकान दार व अन्य छोटे छोटे व्यवसायिको के पास सिक्को की भरमार है।

This post was published on जुलाई 16, 2017 15:33

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संतोष कुमार गुप्‍ता

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