राज किशोर प्रसाद
आतंकवाद की नवीन अवधारणा आज पुरे दुनिया के लिये एक गम्भीर चुनौती बन गई है। यह एक ऐसी गम्भीर समस्या बन गई है की लगभग दुनिया के सभी देशो की सरकारे इससे जूझ रही है। आतंकवाद का यह शक्तिशाली दानव पुराने प्रजातरांत्रिक देश इंग्लॅण्ड और नये प्रजातरांत्रिक देश श्रीलंका को भी अपने चपेट में ले लिया है। शांत और निरीह जनता को मौत के घाट ुउतारे जा रहे है। इतना ही नही नवजवानों को प्रश्रय लालच देकर इसमें ढकेल रहा है । नई पीढ़ी के जवानो को दिग्भर्मित कर गलत रास्ते पर ले जा रहे है। इस आतंकवाद ने राजनितिक सामाजिक तथा आर्थिक सभी क्षेत्रो में ुउथ पुथल मचा रखी है। स्थानीय प्रांतीय राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करीब छा गया है। गरीब कमजोर विप्पन बेरोजगार युवा वर्ग आतंकवाद के आगोश के शिकार बन रहे है। लालच देकर फसा रहा है। अति भौतिक सम्पन्न देश के भी विमुख कुछ वजवान आतंकवाद के रास्ते को सरल समझने लगे है। जिससे आधुनिक राजवैज्ञानिक समाजशास्त्री भी इस आतंकवाद के बढ़ते घटनाओ से भयभीत हो रहे है। आतंकवाद की बढते घटनाओ और प्रभावो से भयभीत शुभचिंतको ने इसके किसी उचित समाधान की खोज में है। अगर दुनिया के विचारक शुभचिंतक सरकारे इस आतंकवाद का कोई ठोस उपाय मिलकर नही करेगे तो आतंकवाद अपराध हिंसा और क्रूरता चरम पर पहुँच जायेगी और देश के प्रजातरांत्रिक व्यवस्था के अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगी।
This post was published on मई 23, 2017 13:13
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