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मिजोरम में आया 3.7 तीव्रता का भूकंप, लोगों में दहशत, कोई नुकसान नहीं

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KKN गुरुग्राम डेस्क | रविवार को मिजोरम (Mizoram) के ममित जिले (Mamit District) में रिक्टर स्केल पर 3.7 तीव्रता (Earthquake of 3.7 Magnitude) का हल्का भूकंप दर्ज किया गया। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, कोई जान-माल का नुकसान (No Casualties Reported) नहीं हुआ

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नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Center for Seismology – NCS) के अनुसार, भूकंप की गहराई (Earthquake Depth) 10 किलोमीटर थी। मिजोरम सरकार के आपदा प्रबंधन अधिकारी (Disaster Management Authority) ने पुष्टि की कि अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं मिली है

पूर्वोत्तर भारत में चार दिनों में दूसरा भूकंप

इस भूकंप से पहले, 27 फरवरी को असम (Assam) के मोरीगांव जिले (Morigaon District) में 5.0 तीव्रता का भूकंप (5.0 Magnitude Earthquake) दर्ज किया गया था। उस भूकंप के झटके गुवाहाटी (Guwahati) और आसपास के इलाकों में महसूस किए गए

विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत (Northeast India) में भूकंप आना सामान्य है क्योंकि यह इलाका Seismic Zone VI में आता है, जो भारत के सबसे भूकंप-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।

उत्तरपूर्वी भारत में क्यों आते हैं बार-बार भूकंप?

पूर्वोत्तर भारत (Northeast India) को भूकंप प्रभावित क्षेत्र (Earthquake-Prone Zone) माना जाता है।

भूकंप के प्रमुख कारण:

✔ टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) की हलचल – यह क्षेत्र भारतीय प्लेट (Indian Plate) और यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) की सीमा पर स्थित है, जहां लगातार हलचल होती रहती है।
✔ हिमालयन सिस्मिक बेल्ट (Himalayan Seismic Belt) – इस क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियां अधिक होती हैं।
✔ इंडो-बर्मा सबडक्शन ज़ोन (Indo-Burma Subduction Zone) – जहां टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से झटके महसूस होते हैं।

इन कारणों से, उत्तरपूर्वी राज्यों (Northeast States) में नियमित रूप से हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं

हर हफ्ते आता है भूकंप, लेकिन बड़ा नुकसान कम होता है

NCS के आंकड़ों के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत में हर हफ्ते एक से अधिक भूकंप (Frequent Earthquakes in Northeast India) आते हैं

✔ ज्यादातर भूकंप 3.0 से 4.0 तीव्रता के बीच (Mild Earthquakes) होते हैं।
✔ असम, मिजोरम, मणिपुर और मेघालय (Assam, Mizoram, Manipur, Meghalaya) में अक्सर झटके महसूस किए जाते हैं
✔ लगातार भूकंप के चलते सरकार भूकंप-रोधी इमारतों (Earthquake Resistant Buildings) के निर्माण पर जोर दे रही है

पूर्वोत्तर भारत में अब तक के सबसे बड़े भूकंप

1. 1950: असम में 8.7 तीव्रता का महाविनाशकारी भूकंप

✔ यह भारत के इतिहास के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक था।
✔ इस भूकंप ने ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के प्रवाह को बदल दिया
✔ गुवाहाटी (Guwahati) और आसपास के इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए

2. 1988: असम और अरुणाचल प्रदेश में 6.5 तीव्रता का भूकंप

✔ इस भूकंप में 200 से अधिक लोगों की जान गई
✔ भूकंप के कारण कई इमारतें और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं

3. 2011: सिक्किम में 6.9 तीव्रता का भूकंप

✔ इस भूकंप में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
✔ सिक्किम (Sikkim) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भारी नुकसान हुआ

4. 2017: त्रिपुरा में 5.7 तीव्रता का भूकंप

✔ त्रिपुरा (Tripura) के धलाई जिले (Dhalai District) में आया भूकंप
✔ 20 किलोमीटर उत्तर-पूर्व अंबासा (Ambassa) के पास झटके महसूस किए गए

इन घटनाओं ने साबित किया कि पूर्वोत्तर भारत में भूकंप एक सामान्य घटना है, लेकिन उचित तैयारी से जान-माल के नुकसान को रोका जा सकता है।

भूकंप से बचने के लिए जरूरी सुरक्षा उपाय (Earthquake Safety Tips)

उत्तरपूर्वी भारत के लोग लगातार भूकंप झेलते हैं, इसलिए सावधानी और जागरूकता (Preparedness and Awareness) बेहद जरूरी है।

1. भूकंप से पहले (Before an Earthquake)

✔ भारी वस्तुओं को दीवार से मजबूती से जोड़ें ताकि वे गिरें नहीं।
✔ घर में सुरक्षित स्थान (Safe Zones) तय करें, जैसे मजबूत टेबल के नीचे।
✔ इमरजेंसी किट (Emergency Kit) तैयार रखें, जिसमें खाद्य पदार्थ, पानी और प्राथमिक उपचार सामग्री (First Aid Kit) हो।

2. भूकंप के दौरान (During an Earthquake)

✔ अगर घर के अंदर हैं, तो “ड्रॉप, कवर और होल्ड ऑन” (Drop, Cover, Hold On) तकनीक अपनाएं
✔ खिड़कियों, दरवाजों और भारी फर्नीचर से दूर रहें
✔ अगर बाहर हैं, तो इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें

3. भूकंप के बाद (After an Earthquake)

✔ घायलों की मदद करें और प्राथमिक उपचार दें
✔ गैस लीक (Gas Leak) और बिजली के तारों की जांच करें
✔ सरकार और मौसम विभाग की चेतावनियों (Official Earthquake Alerts) पर नजर रखें

भारत सरकार के भूकंप-रोधी कदम (Government Initiatives for Earthquake Safety)

भारत सरकार और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Disaster Management Authority) भूकंप से बचाव के लिए कई पहल कर रही है।

1. अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early Warning Systems) की स्थापना

✔ संवेदनशील क्षेत्रों में भूकंप पूर्वानुमान प्रणाली (Earthquake Prediction Systems) लगाई जा रही है

2. भूकंप-रोधी इमारतों (Earthquake Resistant Buildings) का निर्माण

✔ सरकारी और निजी निर्माण कंपनियों को भूकंप-सुरक्षित इमारतें बनाने की सलाह दी गई है

3. जागरूकता कार्यक्रम (Awareness Campaigns)

✔ स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में भूकंप बचाव प्रशिक्षण (Earthquake Drills) चलाए जा रहे हैं

4. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की तैनाती

✔ भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से राहत और बचाव कार्य किया जाता है

मिजोरम और पूर्वोत्तर भारत में भूकंप एक आम घटना है। हालांकि, सरकार और वैज्ञानिक संस्थान लगातार भूकंप से बचाव और सुरक्षा उपायों पर काम कर रहे हैं

भूकंप को रोकना संभव नहीं है, लेकिन अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early Warning Systems), जागरूकता (Awareness) और सही संरचनात्मक उपाय (Earthquake Resistant Infrastructure) से भविष्य में जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है

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