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बिहार आये प्रवासी को क्वारंटाइन होने के लिए भटकना पड़ता है

भटकने वाले सभी 24 मजदूर रेडजोन से पहुंचे थे गांव

KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार के दावों से इतर गांव पहुंच रहें प्रवासी मजदूरो को क्वारंटाइन होने के लिए भी मशक्कत करना पड़ता है। मुजफ्फरपुर में बुधवार को यही नजारा देखने को मिला। दिल्ली के रेडजोन से आए 46 प्रवासी मजदूर क्वारंटाइन होने के लिए पूरे दिन मीनापुर में भटकते रहे। पर उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं था। अधिकारियों ने दोपहर बाद फोन उठाना बंद कर दिया। तब ये सभी प्रवासी मजदूर चैनपुर के गौशाला पहुंच गये और आराम करने लगे। जब मीडिया की नजर पड़ी, तब अधिकारी हरकत में आ गये।
कोइली के मुखिया अजय सहनी ने बताया कि दिल्ली के रेडजोन से किराये की बस लेकर चार बजे सुबह 46 प्रवासी मजदूर अचानक मीनापुर पहुंच गये और फोन पर सीओ से संपर्क कर मीनापुर अस्पताल में अपना रजिस्ट्रेशन करावा लिया। इसके बाद सुबह सात बजे इन सभी प्रवासी मजदूरों को रेडजोन के लिए निर्धारित महदेइया कन्या हाईस्कूल भेज दिया गया। किंतु, जगह नहीं होने का हवाला देकर महदेइया क्वारंटाइन सेंटर के प्रभारी ने इनको रखने से इनकार कर दिया।
इधर, सीओ ने फोन उठाना बंद कर दिया और यह सभी 46 प्रवासी मजदूर भटकते हुए चैनपुर गौशाला पहुंच गये। शाम में मीडिया के द्वारा सवाल पूछे जाने के बाद सीओ ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव एक बार फिर से हरकत में आ गये और रेडजोन से आये सभी 46 प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर पहुंचाने के लिए बस भेजने की बात कहने लगे। इस बीच हरपाली में क्वारंटाइन हुए 28 प्रवासियों ने सुविधा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया और सड़क पर उतर गये। उमाशंकर सहनी के नेतृत्व में राजद की टीम ने हरपाली पहुंच कर बताया कि ये लोग पिछले चार दिनों से क्वारंटाइन सेंटर पर रहते हुए अपने घर से खाना मंगा कर खाते हैं। हालांकि, हंगामे के बाद अंचल प्रशासन ने वहां प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था कर दी है। कामेवेश यहीं हाल टेंगरारी, मेथनापुर और राघोपुर सहित कई अन्य क्वारंटाइन सेंटर का है। दूसरी ओर स्थानीय अधिकारी की माने तो कही कोई समस्या नहीं है।

This post was published on मई 21, 2020 13:51

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KKN न्‍यूज ब्यूरो

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