KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड का मझौलिया पंचायत। प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर पूरब मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनी पक्की सड़क पर फर्राटा भरते हुए मझौलिया पंचायत के ब्रहण्डा गांव पहुंचते ही लोगो के मिलीजुली प्रतिक्रिया के बीच पंचायत की तस्वीर साफ होते देर नहीं लगा। लोगो ने बताया कि पिछले पांच वर्षो में पंचायत की सड़क और बिजली के क्षेत्र में बेशक बहुत सुधार हुआ है। पर, बाढ़ के दर्द को याद करके यहां के लोग आज भी सहम जाते है। इलाका नीचा है और बाढ़ के दिनो में पूरा पंचायत टापू बन जाता है। बाढ़ में मुख्यालय से सड़क संपर्क टूटने का दर्द लोगो को असहज कर देता है। इस दर्द को याद करके लोग आज भी सिहर जाते है। उंचे स्थानो पर सप्ताहो शरणार्थी रहे लोगो के दर्द की यहां अनगिनत कहानी है। जितनी मुंह, उतनी बातें। गत वर्ष पंचायत की मझौलिया, ब्रहण्डा, मझुअर, हजरतपुर, अस्तालकपुर और विशुनपुर रुपौली गांव के करीब 4 हजार घरो में बाढ़ का पानी प्रवेस कर गया था। बाढ़ के महीनो में अपनी जरुरत के लिए जान को जोखिम में डालना यहां के लोगो की नीयति बन चुका है। लोग अब इसका स्थायी निदान चाहते है।
बात को बदलते ही लोगो ने बताया कि पंचायत की अधिकांश सड़के पक्की है और मोटे तौर पर यहां आवागमन की दिक्कत नहीं है। हालांकि, मझौलिया से नेउरा को जोड़ने वाली पक्की सड़क के सहजपुर के आगे कई स्थानो पर टूट जाने से थोड़ी मुश्किले पैदा हो गई है। इसी प्रकार मझुअर से मझौलिया की जर्जर हो चुकी सोलिंग सड़क फिलहाल, मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत निर्माणाधीन है। इस पर मिट्टी बिछा कर छोर देने से धूल के उठते गुबार राहगीरो के लिए मुश्किल का सबब बन गया है।
स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा से लोग खुश नहीं है। सबसे बुरा हाल शिक्षा का है। हालांकि, दो साल पहले मझौलिया मिडिल स्कूल को उत्क्रमित करके हाई स्कूल बना दिया गया। हाई स्कूल के लिए अलग से भवन निर्माण का काम भी चल रहा है। पर, हाई स्कूल के लिए अलग से शिक्षक के अभाव में पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर लोगो के मन में कई सवाल है। पंचायत ओडीएफ नहीं है। पर, शौचालय निर्माण से सड़क किनारे लगने वाली गंदगी के अंबार में कमी आई है। हालांकि, आदतन कुछ लोग अभी भी सड़क पर गंदगी फैलाने से परहेज नहीं करते है। कहने को यहां एक सरकारी और दो निजी पोखर है। पर, गर्मी की धमक पड़ते ही पानी की किल्लत से अभी तक लोगो को छुटकारा नहीं मिला है। सिचाई के लिए राजकीय नलकूप बंद पड़ा है। हालांकि, अब खेतो को बिजली देने की योजना से लोगो में उम्मीदें जगी है।
उपलब्धियां :
मनरेगा में अस्तालकपुर से ब्रहण्डा तक नाला उड़ाही हुआ। ब्रहण्डा में पोखर का निर्माण हुआ। मझौलिया बाजार पर मिट्टी कार्य और विशुनपुर में 2 हजार फीट व ब्रहण्डा में 400 फीट पीसीसी सड़क का निर्माण हुआ। विशुनपुर में बहुउद्देशीय भवन का जीर्णोद्धार हो चुका है। सात निश्चय में 2 कि.मी. लम्बी 35 सड़को की ढ़लाई का काम पूरा हो चुका है। सभी 13 वार्डो में 21 जलमिनार के सहारे पेयजल आपूर्ति बहाल है।
नाकामियां :
पंचायत की सड़को पर अभी तक स्ट्रीटलाइट नहीं लगने से रात में सफर करना दुष्कर बना हुआ है। ब्रहण्डा से कोइली तक सड़क जर्जर है। पंचायत सरकार भवन का निर्माण नहीं हुआ है। ब्रहण्डा, अस्तालकपुर, मझौलिया और हजरतपुर में स्वीकृति मिलने के बाद भी आंगनबाड़ी केन्द्र की स्थापना नहीं हो सकी है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में आशतीत काम होना अभी बाकी है।
रोजगार के अवसर :
मझौलिया पंचायत के लोगो के जीविका का मुख्यस्त्रोत खेती है। हालांकि, धान, मक्का, गेंहू और सब्जी की परंपरागत खेती से परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। दुर्भाग्य से रोजगार के अन्य कोई साधन विकसित नहीं हो सका है। महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना से भी स्थायी रोजगार का सृजन नहीं हो सका। नतीजा, प्रत्येक साल बड़ी संख्या में लोग पलायन कर जाते है। लोगो ने बताया कि यहां की करीब 3 हजार लोग सूरत, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और बनारस जैसी शहरो में मजदूरी करने चले जातें हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग स्थानीय बाजार पर दुकानदारी करके और कुछ लोग ईटभट्ठा में मजदूरी करके अपना भरण पोषण करते है।
सड़क :
मझौलिया से नेउरा जाने वाली पक्की सड़क सहजपुर से आगे बढ़ते ही कई जगहो पर उखड़ चुकी है। इससे लोगो को सीधे शहर जाने में परेसानी होती है। ठीक इसी प्रकार मझुअर से मझौलिया को जोड़ने वाली सोलिंग सड़क के जर्जर होने से लोग परेसान है। हालांकि, इस सड़क का मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में चयन हो गया है। पर, कार्य की धीमी प्रगति से लोगो में असंतोष है। फिलहाल सड़क पर मिट्टी बिछा कर छोर देने से धूल की समस्या बिकराल रुप धारण करने लगा है।
नल जल :
पंचायत की सभी 13 वार्ड में नल लगाने का काम पूरा हो चुका है। पेयजल की निर्वाध सप्लाई के लिए 21 जल मिनार बनाया गया है। इसके बाद भी 24 घंटे पेयजल की सप्लाई नहीं है। इसके दो प्रमुख कारण बताएं गयें है। पहला ये कि स्थायी ऑपरेटर के लिए अभी तक कोई प्रावधान नहीं हुआ है और दूसरा लोगो में पेयजल को लेकर जागरुकता का घोर अभाव है। इससे पेयजल की बर्बादी को रोकने में पंचायत नाकाम साबित हो रही है।
बिजली :
पंचायत के लोगो को बिजली विभाग से बहुत शिकायत नहीं है। यहां छोटे बड़े 16 ट्रांसफॉर्मर काम कर रहा है। कृषि कार्य के लिए अलग से ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम जोरो पर है। हालांकि, पिछले तीन सप्ताह से बिजली का तार बदलने जाने की वजह से सुबह से शाम तक पंचायत की बिजली बाधित रहती है। लोगो में सड़क किनारे स्ट्रीटलाइट नहीं होने का भी मलाल है।
अस्पताल :
मझौलिया में एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र है, जो एएनएम के सहारे रोज खुलता है। हालांकि, डॉक्टर यदा- कदा ही आते है। लोगो ने बताया कि सर्दी, जुकाम और बुखार आदि की दवा यहां से मुफ्त में मिल जाता है। किंतु, अन्य रोग का इलाज कराने के लिए पंचायत के अधिकांश लोग एसकेएमसीएच जाने को विवश होते है। इससे लोगो में असंतोष है। फिलहाल, यहां कोविशील्ड वैक्सीन देने का काम चल रहा है।
पंचायत भवन :
जमीन के अभाव में मझौलिया का पंचायत सरकार भवन नहीं बन सका है। इसका लोगो को मलाल है। पुराना पंचायत भवन काफी जर्जर हो चुका है। पंचायत के एक छोर पर स्थित मझुअर गांव में पुराने पंचायत भवन का अधिकांश खिड़की और दरबाजा टूटा पड़ा है। फर्स उखड़ चुका है और दीबार भी दरकने लगा है। 90 के दशक में यहां डब्लू.एल.एल. फोन लगा था। अब उसका एक मात्र टाबर शेष बचा है। पंचायत के लोग साल में दो बार झंडा फहराने के लिए यहां आते है।
बयान :
पंचायत में चल रही विकास की योजना हो या कल्याणकारी योजना। किसी भी लाभुक को रिश्वत नहीं देना पड़ा। यह बड़ी उपलब्धी है। पांच साल में 500 से अधिक लोगो का पक्का घर बना। दो हजार से अधिक शौचालय बनाया गया। 200 से अधिक राशनकार्ड बनाया गया और करीब 500 से अधिक लोगो को बृद्धापेंशन का लाभ मिला। हालांकि, राशि के अभाव में स्ट्रीटलाइट नहीं लगाने का मलाल बाकी रह गया। –— वारिश खां, मुखिया
पंचायत का पिछले पांच वर्षो में विकास हुआ है। हालांकि, बाढ़ की समस्या बहुत बड़ी हो चुकी है और इसका स्थायी समाधान जरुरी है। सड़क, बिजली और पानी के साथ, बाढ़ से विस्थापितो के लिए पंचायत के उंचे स्थान पर स्थायी सेल्टर का निर्माण होना बहुत जरुरी है। — रतन राय, मझुअर
स्कूल में सही से पढ़ाई नहीं होता है। शिक्षक की मनामानी पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है। अस्पताल नाम का है। बीमार पड़ने पर वहां इलाज नहीं होता है। डीलर की मनमानी से गरीबो को समय पर राशन नहीं मिलता है। — मो. ग्यासुद्दीन, ब्रहण्डा
आर्थिक जनगणना में हुई गड़बरी की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जरुरतमंदो तक नहीं पहुंच रहा है। इसी प्रकार आरटीपीएस कर्मियों की मनामानी से जरुरतमंद लोगो का राशनकार्ड समय से नहीं बन पाता है। — रामतलेवर सिंह, मझौलिया
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