ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर संत कबीर दास की जयंती धरमपुर गांव स्थित मध्य विद्यालय में मनायी गई
वक्ताओं ने कहा, संत कबीर दास के दोहे आज भी इंसान को देते हैं जीवन की नई प्रेरणा
मुजफ्फरपुर। मीनापुर के धरमपुर गांव स्थित मध्य विद्यालय में ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर संतों में एक संत कबीर दास की जयंती मनायी गई। वक्ताओं ने कहा कि संत कबीर दास ने लोगों को एकता के सूत्र का पाठ पढ़ाया था। वे महान लेखक और कवि थे। उनके दोहे आज भी इंसान को जीवन की नई प्रेरणा देते हैं। उनका जन्म ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को हुआ था।
इससे पहले छात्र आशा कुमारी, नेहा कुमारी, बॉबी कुमारी, ममता कुमारी, राजू कुमार, आकाश कुमार व संतोष कुमार आदि ने स्वागत गान एवं मंगल गान की प्रस्तुति की। वहीं संत कबीर पर आधारित दोहा व भजनों ने समारोह में समां बांध दिया।
प्रधानाध्यापक मंसूर आलम ने कहा कि संत कबीर मानव धर्म के सच्चे उपासक थे। कबीर दास जी कहते हैं कि मानव जीवन पाकर जीव को इसे ईश्वर की भक्ति और उनके द्वारा बताए शुभ कार्यों में लगाना चाहिए। जिस प्रकार पेड़ से पत्ता एक बार गिर जाता है तो दोबारा वह पेड़ में नहीं लग सकता, उसी प्रकार यह मानव जीवन दोबारा प्राप्त करना अत्यंत दुष्कर है, अत: उसे सार्थक करने का प्रयत्न करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि धार्मिक सहिष्णुता और मानवता को अपनाकर कबीर जी ने साम्प्रदायिक सौहार्द कायम करने पर जोर दिया था। वे कहते हैं कि मैं न तो हिन्दू हूं और न ही मुसलमान हूं। मेरा शरीर तो पांच तत्वों (धरती, जल, आग, आकाश और वायु) से मिल कर बना है और बाद में उसी में मिल जाना है।
मौके पर शिक्षक शमशाद अहमद, विशिष्ठ कुमार, द्रोण कुमार, उषा कुमारी, कंचन कुमारी, अनामिका कुमारी, नीलम कुमारी, सोनी कुमारी, सविता कुमारी, संजिदा खातून, मीना कुमारी के अलावा ग्रामीण जयमंगल राय, राम सागर राय, रंजीत राय आदि मौजूद थे।