चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ी सुधारने के लिए उठाए कदम: 18 मार्च को होगी महत्वपूर्ण बैठक

Election Commission Takes Action on Voter List Errors

KKN गुरुग्राम डेस्क | मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग (ECI) को विपक्षी दलों की तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इन गड़बड़ियों को सुधारने के लिए चुनाव आयोग ने 18 मार्च 2025 को एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ UIDAI के प्रतिनिधि भी मौजूद होंगे। इस बैठक में मतदाता सूची को आधार के डाटाबेस से जोड़ने में आ रही कानूनी अड़चनों पर चर्चा होने की उम्मीद है। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का भरोसा दिया था और यह बैठक उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।

मतदाता सूची में गड़बड़ी: विपक्षी दलों का हमला

विपक्षी दलों ने विशेष रूप से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग पर हमला बोला है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की हैं, जिसके कारण आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि 39 लाख नए मतदाताओं का नाम जोड़ने से महागठबंधन की हार हुई। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी दिल्ली चुनावों में मतदाता सूची की गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। दिल्ली की हार के लिए पार्टी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए, और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची में डुप्लिकेट EPIC नंबर का मुद्दा उठाया। इन आरोपों के चलते चुनाव आयोग ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है और मतदाता सूची में सुधार के लिए बैठक बुलाई है।

आधार से वोटर लिस्ट को जोड़ने की प्रक्रिया

चुनाव आयोग ने आधार को मतदाता सूची से जोड़ने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पहले, 2015 में चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से अधिक मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह प्रक्रिया रोक दी गई थी। इसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधता पर मुहर लगाई, लेकिन यह प्रक्रिया स्वैच्छिक (voluntary) कर दी गई।

इसके बाद, 2022 में चुनाव कानून और जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करके इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। अब तक लगभग 66 करोड़ मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ा जा चुका है, जबकि लगभग 33 करोड़ मतदाता पहचान पत्रों को जोड़ने का काम अभी बाकी है। इस स्वैच्छिक प्रक्रिया को लेकर अब भी कानूनी अड़चनें सामने आ रही हैं, जिन्हें हल करने के लिए चुनाव आयोग गंभीरता से कदम उठा रहा है।

18 मार्च की बैठक: कानूनी अड़चनें दूर करने की कोशिश

चुनाव आयोग ने 18 मार्च 2025 को एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें UIDAIकेंद्रीय गृह मंत्रालय, और विधायिका सचिव के अधिकारी भी शामिल होंगे। बैठक में यह निर्णय लिया जा सकता है कि कैसे कानूनी अड़चनों को दूर करके आधार और वोटर आईडी के बीच का लिंक मजबूत किया जा सकता है। ज्ञानेश कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त, इस बैठक में आधार से वोटर लिस्ट को जोड़ने के रास्ते में आ रही कानूनी बाधाओं को हटाने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करेंगे।

भुवनेश कुमारUIDAI के CEO, और राजीव मणि, विधायी सचिव, बैठक में मौजूद रहेंगे, जो इस बात की संभावना को दर्शाते हैं कि बैठक में यह तय किया जाएगा कि कानूनी अड़चनें और बारीकियां कैसे हल की जा सकती हैं। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता को बढ़ाना और भविष्य में चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचाव करना है।

कानूनी अड़चनें और इतिहास

आधार को मतदाता सूची से जोड़ने की प्रक्रिया में कई कानूनी अड़चनें हैं, खासकर सुप्रीम कोर्ट के 2015 के आदेश के बाद। चुनाव आयोग ने पहले 30 करोड़ से अधिक मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ दिया था, लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी, क्योंकि कुछ याचिकाओं में आधार की वैधता को चुनौती दी गई थी।

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधता को सही ठहराया, लेकिन इसे केवल स्वैच्छिक उपयोग के लिए अनुमति दी। फिर, 2022 में चुनाव कानून में संशोधन किया गया, जिससे आधार को स्वैच्छिक तरीके से मतदाता सूची से जोड़ा जा सके। अब तक लगभग 66 करोड़ मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ा जा चुका है, लेकिन इस प्रक्रिया में 33 करोड़ मतदाता अभी भी शामिल नहीं हो पाए हैं। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग द्वारा कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मार्गदर्शन लेने का विचार किया जा रहा है।

मतदाता सूची सुधारने की आवश्यकता

मतदाता सूची में गड़बड़ी की समस्या चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर असर डाल सकती है। यह विवाद मतदाता पहचान, वोटिंग प्रक्रिया और चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, चुनाव आयोग के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह मतदाता सूची को पूरी तरह से सही और अद्यतित करें। यदि आधार को सही तरीके से जोड़ा जाता है, तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई भी नागरिक वोट डालने से वंचित न हो और मतदाता सूची में कोई भी जालसाजी न हो।

मतदाता सूची को अधिक सटीक बनाने के उपाय

  1. स्वैच्छिक आधार-लिंकिंग: चुनाव आयोग को आधार को मतदाता सूची से जोड़ने की प्रक्रिया को स्वैच्छिक रूप से बढ़ावा देना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग अपनी जानकारी अपडेट कर सकें।

  2. पारदर्शिता और जागरूकता अभियान: नागरिकों को आधार-लिंकिंग की प्रक्रिया के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा। इससे लोग आसानी से इस प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।

  3. आधिकारिक जानकारी का सही उपयोग: चुनाव आयोग को सुनिश्चित करना चाहिए कि आधार डेटा के साथ जुड़े सभी दस्तावेजों और जानकारी का सही तरीके से इस्तेमाल हो, ताकि कोई गड़बड़ी न हो।

  4. कानूनी अड़चनें हल करना: जैसे कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति दी है, चुनाव आयोग को इसी दिशा में काम करना होगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से सलाह और मार्गदर्शन लिया जाना चाहिए।

बिहार में मतदाता सूची की गड़बड़ी को सुधारने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम एक सकारात्मक दिशा में हैं। 18 मार्च 2025 को होने वाली बैठक से उम्मीद की जा रही है कि मतदाता सूची को आधार से जोड़ने में आ रही कानूनी अड़चनों को दूर किया जाएगा। चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि वह मतदाता सूची को पूरी तरह से अद्यतित और सही बनाकर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को बढ़ाए।

इस प्रक्रिया के सफल होने से आने वाले चुनावों में मतदाता सूची की सटीकता में सुधार होगा, जिससे वोटिंग प्रक्रिया में अधिक निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी। चुनाव आयोग की ओर से उठाए गए ये कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में अहम साबित होंगे।

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