बिहार। बात बहुत पुरानी नही है। नोटबंदी से पहले तक बाजार में सिक्कों की खूब डिमांड थी। आलम यह था कि 100 रुपये के नोट देने पर 90 रुपये का सिक्का ही मुहैया कराया जाता था। लेकिन, नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्कों की सप्लाइ बढ़ने से इसकी डिमांड काफी घट गयी और अब दुकानदार सिक्का लेने से साफ साफ मना करने लगें हैं।
गांव में दुकानदार सिक्का देखते ही नाक मुह सिकोड़ने लगतें हैं। अक्सर देखने को मिल रहा है कि सिक्का को लेकर ग्राहक और दुकानदारो में तीखी नोंक-झोक होने लगी है। सवाल उठना लाजमी है कि जब सरकार ने सिक्के जारी किए हुयें हैं, तो इसको लेने से मना करने वालों पर कारवाई क्यों नही होती है?
भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करके कहा कि कोई भी सरकारी करेंसी यानी नोट या सिक्का लेने से कोई मना नहीं कर सकता है। आरबीआइ का नियम कहता है कि अगर कोई बैंक में भी सिक्के जमा कराना चाहता है, तो बैंक भी उसे लेने से इनकार नहीं कर सकता है। यदि आप इन सिक्कों को नोट में बदलना चाहते हैं, तो बैंक उसे भी मना नहीं कर सकता हैं। इसमें आप कितने भी रकम के सिक्के बैंक को दे सकते हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल ये कि यदि कोई दुकानदार या बैंक सिक्का लेने से मना कर दे तो क्या करना चाहिए? आरबीआइ का कहना है कि बैंक यदि सिक्का नहीं लेते हैं, तो बैंक के कंट्रोलिंग ऑफिसर को इसकी शिकायत करें। अगर यहां आपकी शिकायत नहीं सुनी जाती है, तो आप आरबीआइ के पास इसकी शिकायत कर सकते हैं। दूसरी ओर यदि कोई दुकानदार या आम आदमी सिक्का लेने से मना करता है, तो पुलिस को इसकी लिखित सूचना देनी चाहिए।