भारतीय सामाजिक संरचना, सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित है। परिवार, रिश्तेदारी, नातेदारी, विवाह, गाँव, गोत्र, वंश आदि भारतीय सामाजिक संरचना के बुनियादी तत्व है। किन्तु, वैश्वीकरण ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर यौन व्यापार को बाजार से जोड़ रखा है। इससे भारत सहित पूरी दुनिया में बाल वेश्यावृति की शर्मसार घटनाओ में इजाफा हुआ है। कॉलगर्ल के जिस्मो का नंगा प्रदर्शन का रोज कही न कही खुलासा हो रहा है। जिससे की सामाजिक प्रवृति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
पारिवारिक विघटन, पीढ़ियों की संवादहीनता और व्यक्तियों की मनमानीपन ने सामाजिक संरचना को असंतुलित कर दिया है। मर्यादायें टूट रही है। सामाजिक सरोकार क्षीण हो रहा है। भ्र्ष्टाचार और व्यभिचार चरम शिखर पर है। मनोरंजन के क्षेत्र में अपसंस्कृति का सैलाब आ गया है। उतेजक नग्न प्रदर्शन पर अब कोई रोक नही है। यौन विकृतियों का विकरण हो रहा है। उच्च शिक्षण संस्थानों के बीचो बीच समलैंगिक ने गे क्लब बनाए्ं जा रहें हैं। मादक पदार्थो के उपयोग में चिन्ताजनक वृद्धि हुई है। इन तमाम परिदृश्यों से यह झलकता है की वैश्वीकरण ने यौन व्यापार को बढ़ावा दिया है। जो एक सम्य समाज के लिये चिंता का विषय बन चुका है। जरूरत है इन पर सही नियंत्रण की, ताकि हम अपनी संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को अक्षुण बनाये रखने में कामयाब हो सके।
This post was published on मई 10, 2017 22:50
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