मीनापुर प्रखण्ड के चकइमाद गांव की घटना
बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज
कुदाल लेकर पहुच गई श्मसान, पिता के शव को दिया कंधा
संतोष कुमार गुप्ता
मीनापुर। मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड अंतर्गत चकईमाद गांव मे बुधवार को मार्मिक दृश्य देखकर हर किसी के आंख से आंसू बह रहे थे। हर बेटी की इच्छा रहती है की जब उसका डोली उठे तो भाई और बाप सामने हो। वह लिपट लिपट कर रो सके। रक्षाबंधन मे भाई को राखी बांध सकू। भैयादूज मे बजरी खिला सकूं। किंतु यहां विधाता ने क्या कर दिया। नसीब मे भाई भी नही दिया। पिता का साया समय से पहले छिन लिया। इस से बड़ा मर्मस्पर्शी दृश्य क्या हो सकता है कि जब मां के सामने बेटा की अर्थी सजे। किंतु यहां जमाने से चले आ रहे पुराने संकिर्ण रूढीवादी विचार को तोड़ कर पुरूष की जगह बेटी ने पिता के चिता को मुखाग्नि दी। चकईमाद गांव के शिवजी राम(45 वर्ष) लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। वह बुधवार की सुबह चल बसे। हालांकि उनकी मां मुस्मात मछिया देवी अब भी स्वस्थ्य है। शिवजी राम को कोई पुत्र नही है।पुत्र के लिए शिवजी ने कहां कहां नही मत्था टेका। उसको दो पुत्री है। मरने के बाद लोग पुराने विचारधारा को लाने लगे। किंतु उनकी बड़ी बेटी इंटर प्रथम वर्ष की छात्रा पिंकी कुमारी टस से मस नही हुई.उसने कहा कि मेरे पिता ने मुझे पुत्र की तरह पाला है। पुत्र की तरह पढाया है। दुलार प्यार मे कोई कमी नही की। इतना प्यार तो पुत्र को नसीब नही होता है। इसलिए मुखाग्नि के अधिकार को कोई उससे छिन नही सकता। हम भी बेटा है बेटी नही।पिंकी ने कुदाल थाम कर पिता के लिए शायरा बनाया। पिता के अर्थी को कंधा देकर श्मसान तक ले गयी। उसके बाद हिंदू रिति रिवाज से चिता को मुखाग्नि दी। वह कह रही थी उसे इस बात का गम है कि पिता का साया उसके सिर से उठ गया। उसके पिता अब दुनिया मे नही रहे इसकी कसक पुरी जिंदगी रहेगी। किंतु इस बात की खुशी ही नही गर्व भी है कि उसने अपने पिता के चिता को मुखाग्नि दी। समाज के रूढीवादी परम्परा को तोड़ा। ऐसा सौभाग्य को कोई कोई बेटी को मिलता है। दूसरी बेटी रिंकी कुमारी के आंखो से आंसू बह रहे थे। मौके पर पंसस विनोद प्रसाद,एचएम शंकर राम,संकुल समन्वयक विनोद कुमार,श्यामबाबू कुमार व मुन्ना कुमार आदि ने शवयात्रा मे उपस्थित होकर ढाढस बंधाया।