भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निकाह हलाला को चुनौती देने वाली याचिका को विचारार्थ पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा। स्मरण रहें कि याचिकाकर्ता फरजाना की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और वकील अश्विनी उपाध्याय की इस दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने इसको विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया है।
क्या है याचिका में
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मुस्लिम समाज में बहुपत्नी और निकाह हलाला जैसी प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि इन प्रथाओं से संविधान के अनुच्छेद 14 ख, 15, 21 और 25 का उल्लंघन होता है। याचिका में यह भी घोषित करने का अनुरोध किया गया है कि न्यायेतर तलाक देना आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता है। इसी प्रकार निकाह हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत अपराध और बहुविवाह प्रथा धारा 494 के तहत अपराध है।
तीन तलाक पर पहले ही लग चुका है प्रतिबंध
भारत के शीर्ष अदालत ने पिछले साल 22 अगस्त को सुन्नी मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगाते हुए संसद से कानून बनाने को कहा था। हालांकि, शीर्ष अदालत के इस निर्णय को प्रभावी बनाने के लिए और इसको कानूनी रूप देने के लिए संसद के दोनो सदन में सरकार के पास प्रयाप्त बहुमत नहीं रहने के कारण यह मामला फिलहाल ठंडे वस्ते में है और इस वक्त भारत की राजनीति में तीन तलाक का मुद्दा सबसे ज्वलंत मुद्दा बन चुका है।