बॉलीवुड। ट्रेजिडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार आज पूरे 95 वर्ष के हो गए। हालांकि, आज भी लोग उनके निजी जीवन के संबंध में सुनना और पढ़ना पसंद करते है। कहतें हैं कि दिलीप कुमार ने पांच दशको तक अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है।
दरअसल, दिलीप कुमार का असली नाम मुहम्मद यूसुफ खान है उनके 12 भाई – बहन है। दिलीप कुमार ने नासिक के पास एक स्कूल में अपनी पढाई पूरी की थी। दिलीप कुमार का जन्म 11 दिंसबर, 1922 में पेशावर में हुआ था, जो की अब पाकिस्तान हैं। वर्ष 1940 में अपने पिता से दूरी बनाने के लिए वह अपना घर को छोड पुणे चले गए थे। वहां उनके अंग्रेजी भाषा में बोलने और लिखने में अच्छा होने के कारण उन्हें एक आर्मी क्लब में सैंडविच स्टॉल लगाने की जॉब भी मिली थी।
दिलीप कुमार को भारतीय फिल्मों में सबसे सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, इसके अलावा उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान ए इम्तियाज से भी सम्मानित किया गया है। पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ थी जो 1944 में आई थी, 1949 में फिल्म ‘अंदाज’ ने भी उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने में मदद की थी। इस फिल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया, ‘दीदार’ और ‘देवदास’ जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने की वजह से उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा जाने लगा।
कहतें हैं कि दिलीप कुमार की 1952 में आई फिल्म ‘आन’ देखकर सायरा उनकी दीवानी हो गई थीं। उस समय उनकी उम्र सिर्फ आठ साल थी। सायरा को नहीं पता था कि यह स्टार आगे जाकर उनका जीवनसाथी बनने वाला है। किंतु, वक्त ने करबट बदली और 11 अक्टूबर 1966 में उनका विवाह सायरा बानो से हो गया। यह भी एक ट्रेजडी ही है कि विवाह के समय सायरा बानो 22 वर्ष की थी और दिलीप कुमार 44 वर्ष के थे। हालांकि शादी के 50 साल के बाद भी दोनों की कोई संतान नहीं हुई। इस बात का खुलासा दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा ‘द सबस्टांस एंड द शैडो’ में किया था। बुक में दिलीप कुमार ने कहा है कि 1972 में सायरा पहली बार प्रेग्नेंट हुईं। 8 महीने की प्रेग्नेंसी में सायरा को ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई। इस दौरान पूरी तरह से विकसित हो चुके भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था। आखिरकार दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई।
इसके अतरिक्त दिलीप कुमार वर्ष 2000 में राज्यसभा के सदस्य बने थे। दिलीप कुमार को 1983 में फिल्म शक्ति, 1968 में राम और श्याम, 1965 में लीडर, 1961 की कोहिनूर, 1958 की नया दौर, 1957 की देवदास, 1956 की आजाद, 1954 की दाग के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।
कहतें हैं कि एक वक्त ऐसा भी आया जब दिलीप कुमार मुधबाला के प्यार में दीवाने हो गये थे। दोनों की मुलाकात ‘तराना’ फिल्म के सेट पर हुई थी। दोनों कम से कम नौ साल तक रिश्ते में रहे थे। लेकिन मधुबाला के पिता अताउल्ला खान उनकी शादी के खिलाफ थे। इसके बाद दिलीप कुमार और मधुबाला के रास्ते अलग हो गए थे।
This post was published on दिसम्बर 11, 2017 19:29
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