केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को Lok Sabha में एक अहम Bill पेश किया। इस Bill में प्रस्ताव किया गया है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों के तहत गिरफ्तार होता है और 30 दिन तक जेल में रहता है, तो 31वें दिन उसे पद छोड़ना होगा या बर्खास्त कर दिया जाएगा।
Article Contents
Bill पेश होते ही Lok Sabha में जमकर हंगामा हुआ। Congress और Samajwadi Party समेत सभी Opposition दलों ने इस पर कड़ा विरोध जताया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित करनी पड़ी। अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह Bill संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को विचार के लिए भेजा जाएगा।
विपक्ष का तीखा विरोध
Congress सांसद मनीष तिवारी ने इस Bill को “पूरी तरह से विनाशकारी” बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान स्पष्ट करता है कि कानून का शासन होना चाहिए और जब तक दोष साबित न हो जाए, हर व्यक्ति निर्दोष माना जाता है। उनके मुताबिक यह Bill इस मूल सिद्धांत को तोड़ता है और जांच एजेंसियों को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे पदों पर हावी होने का अधिकार दे देता है।
ओवैसी का हमला
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी Bill का तीखा विरोध किया। उन्होंने साथ ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) Bill 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) Bill 2025 और संविधान (130वां संशोधन) Bill 2025 का भी विरोध किया।
ओवैसी ने कहा कि यह कदम जनता के “सरकार चुनने के अधिकार” को कमजोर करता है। उनके मुताबिक केंद्र सरकार कार्यकारी एजेंसियों को “जज और जल्लाद” बना रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे कानून भारत को एक Police State की तरफ धकेल देंगे।
आम आदमी पार्टी भी विरोध में
India Alliance का हिस्सा न होने के बावजूद Aam Aadmi Party ने भी इस Bill का विरोध किया। ‘आप’ नेता अनुराग ढांडा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग करती रही है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को फर्जी केस में डेढ़ साल से ज्यादा जेल में रखा गया और बाद में कहा गया कि कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस Bill के जरिए निर्दोष नेताओं को भी मजबूरन पद छोड़ना होगा और सरकारें गिराई जा सकती हैं।
सरकार का पक्ष
अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि Bill का मकसद जवाबदेही तय करना है। उन्होंने कहा कि कोई भी जनप्रतिनिधि अगर गंभीर आरोपों में जेल में है, तो वह सत्ता में नहीं रह सकता।
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि Bill को JPC में भेजा जाएगा ताकि उस पर विस्तार से चर्चा हो सके और जरूरत पड़ने पर बदलाव किए जाएं।
लोकसभा में हंगामा
Bill पेश होने के साथ ही Lok Sabha में शोरगुल शुरू हो गया। Opposition सांसद वेल तक पहुंच गए और नारेबाज़ी करने लगे। Speaker ने शांति बहाल करने की कोशिश की लेकिन लगातार शोरगुल के चलते कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
Bill के अहम प्रावधान
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री अगर 30 दिन तक जेल में रहते हैं तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा या बर्खास्त कर दिया जाएगा।
यह प्रावधान केंद्र और राज्य दोनों स्तर की सरकारों पर लागू होगा।
गंभीर आरोपों वाले नेताओं को पद पर बने रहने की अनुमति नहीं होगी।
संवैधानिक बहस
विपक्ष का कहना है कि यह Bill संविधान के उस मूल सिद्धांत को तोड़ता है जिसमें कहा गया है कि जब तक अदालत दोषी न ठहराए, तब तक व्यक्ति निर्दोष है।
कांग्रेस और अन्य दलों का मानना है कि इस कानून से राजनीतिक बदले की कार्रवाई आसान हो जाएगी। विपक्षी नेताओं को जेल भेजकर सरकार गिराने का रास्ता खुल जाएगा।
राजनीतिक असर
अगर यह Bill कानून बनता है, तो कई राज्यों की राजनीति बदल सकती है। कई मुख्यमंत्री और मंत्री वर्तमान में जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। ऐसे में इस कानून के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सीधा असर राज्यों की स्थिरता और विपक्षी दलों की ताकत पर पड़ेगा।
अब यह Bill JPC को भेजा जाएगा जहां विशेषज्ञों, विधिवेत्ताओं और राजनीतिक दलों से राय ली जाएगी। विपक्षी दल पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे इस Bill को किसी भी कीमत पर पारित नहीं होने देंगे।
आने वाले महीनों में यह मुद्दा भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी बहस बन सकता है। अगर सरकार इसे पारित कराने में सफल रहती है, तो यह भारतीय लोकतंत्र की संरचना में ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा।
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.