त्रिपुरा। अगले वर्ष त्रिपुरा में होनेवाले चुनाव की तैयारी भाजपा शुरू कर दी है। इसी कड़ी में अमित शाह वहां दो बड़ी रैली कर चुके है। त्रिपुरा के पड़ोसी राज्य और पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार कहे जानेवाले गुवाहाटी में भाजपा बहुत बड़ी रैली करने जा रही है। जो त्रिपुरा के लिये एक सन्देश होगा। जहाँ 23 सालो से लगातार माकपा राज कर रही है।
2013 के चुनाव में कुल 60 सीटो में 50 सीटे माकपा और शेष 10 कांग्रेस जीती थी। भाजपा को मात्र 1.5 प्रतिशत मत मिले थे। त्रिपुरा के कुल 38 लाख आबादी में 21 लाख मतदाता है। चार विधान सभा क्षेत्रो में कुल 2 लाख मतदाता मणिपुरी है। मणिपुर में भाजपा 15 साल की कांग्रेस की जड़े उखाड़ चुकी है। जो मणिपुरी ने भाजपा पर भरोसा जताया वही भरोसा भाजपा को त्रिपुरा में रहनेवाले 2 लाख मणिपुरी मतदाता पर है।
13 विधान सभा क्षेत्रो में असमिया और जन जाति मतदाता की बहुलता है। असम में जो भरोसा असमिया से मिला। भाजपा वही भरोसा त्रिपुरा में रहने वाले असमिया मतदाता और जनजाति मतदाता से कर रही है । साथ ही त्रिपुरा में 68 प्रतिशत लोग बंगला भाषी है और 32 प्रतिशत जनजाति है । बंगला भाषी लोगो में 40 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के है जो नाथ सम्प्रदाय से आते है। नाथ सम्प्रदाय के मतदाता यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रभावित है। वही भाजपा 20 जन जाती सीटो में से 12 सीटो पर अपनी मजबूत पकड़ का दावा करती है।
शायद इसी वजह से त्रिपुरा के एक सांसद जितेन्द्र चौधरी ने विगत दिनों अपने बयान में कहा था कि भाजपा को रोकने के लिये माकपा, कांग्रेस व तृणमूल और जन जातियो को एकजुट होना होगा। त्रिपुअ में कमल खिलाने में भाजपा अमित शाह के नेतृत्व में कूटनीति चल चल रही है। इससे विपक्षी खेमो में बेचैनी बढ़ गई है। साथ ही भाजपा की रैली में लोगो के बढ़ते हुजूम से भाजपाइयों के हौसले बुलन्द होने लगा है। अब देखना है कि आने वाले दिनो में यहां की राजनीति कौन सी करबट लेती है?
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