बिहार। अररिया लोकसभा का उपचुनाव हो या जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव। तेजस्वी यादव ने साबित कर दिया है कि लालू प्रसाद के विरासत के अब वही असली हकदार है।
जोकीहाट उपचुनाव के परिणाम से साफ हो गया है राजद का माई समीकरण आज भी बरकरार है। वहीं, भाजपा से गठबंधन करने की वजह से मुसलमान मतदाता जदयू से कट चुकें हैं। वैसे एक बात साफ हुई कि सीमांचल के इस इलाके में मो. तस्लीमुद्दीन का जादू आज भी बरकरार है। भाजपा के साथ आने के बाद जहानाबाद के बाद यह दूसरा उपचुनाव है, जहां जदयू अपनी सीट बचा नहीं पाया। जानकार इसके दूरगामी परिणाम होने की बात कहने लगे है।
जोकीहाट में जदयू के पूर्व विधायक सरफराज आलम के इस्तीफे की वजह से यह सीट खाली हुआ था। सरफराज अपने पिता तस्लीमुद्दीन के निधन से खाली हुई अररिया लोकसभा सीट से बतौर राजद प्रत्याशी मैदान में उतरे और उन्होंने पिता की विरासत को संभालते हुए जीत दर्ज कराई। उस वक्त यह कहा जाने लगा था कि तेजस्वी के चुनावी रणनीति के सामने नीतीश का चेहरा बेअसर होने लगा है।
जोकीहाट विधानसभा सीट से 2015 में बतौर जदयू प्रत्याशी सरफराज आलम ने करीब 54 हजार वोट से जीत दर्ज की थी। तब एनडीए की ओर से हम की जेबा खातून मैदान में थीं और उन्हें महज 4206 वोट मिले थे। निर्दलीय रंजीत यादव को 38 हजार 910 वोट आया था। मौजूदा उपचुनाव में सरफराज के अनुज शाहनवाज आलम ने 81 हजार 240 (56.7) जबकि जदयू प्रत्याशी मुर्शीद आलम ने 40 हजार 16 (28 फीसदी) वोट मिला था।