सिक्किम। सिक्किम में डोकालाम के पास चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच जारी तनातनी से भारत के अखिरी गांव कुप्पुप के निवासियों को युद्ध का खतरा सताने लगा है। समुद्र तल से 13,900 फीट की ऊंचाई पर स्थित 200 घरों वाले इस छोटे से गांव के ज्यादातर लोग बर्फीली हवाओं की सरसराहट के बीच अपने घरों के अंदर ही रह रहे हैं।
भारत-चीन-भूटान के विवादित तिराहे डोकालाम से इस गांव की दूरी महज सात किलोमीटर है। बीजिंग द्वारा इस क्षेत्र को चीन का हिस्सा बताए जाने के बाद भारत और चीन के सैनिक करीब एक महीने से यहां मोर्चा संभाले हुए हैं। दरअसल कुप्पुप हिमालयन रेंज में पड़ने वाला भारत का आखिरी गांव है, यहां से पूरे विवादित क्षेत्र यानी डोकलाम का नजारा दिखता है। सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद गांव के निवासी किसी बाहरी व्यक्ति से बात करने से कतरा रहे हैं। कुप्पुप से चीनी सेना के आउटपोस्ट दिखाई देता हैं।
सेना के लिए काम करते अधिकतर नागरिक
गांव के अधिकतर पुरुष भारतीय सेना के लिए सामान पहुंचाने के काम में लगे हैं। कुछ ‘बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन’ के तहत आने वाली ‘गैरिसन रिसर्व इंजीनियरिंग फोर्स जीआरईएफ के लिए काम करते हैं। जीआरईएफ अंतराष्ट्रीय सीमा के करीब पहाड़ी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का निर्माण करता है। कोई भी स्थानीय नागरिक सेना के निर्देशों का उल्लंघन नहीं करना चाहता।
तनाव बढ़ने से व्यापार घटा
स्थानीय व्यापारियों मुताबिक तनाव से पहले भारत-चीन आउटपोस्ट से रोजाना करीब 100 ट्रक चाइनीज साजो-सामान के साथ भारत में प्रवेश करते थे। इन ट्रकों में जैकेट, जूते, कपड़े और अन्य गिफ्ट आइटम होते थे। जबकि वापस चीन लौटते वक्त ये ट्रक भारतीय साजो-सामान से भरे होते थे, जिसमें बिस्किट, डालडा, वनस्पति तेल आदि होता था। लेकिन, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने से ट्रकों की आवाजाही 20-25 तक सीमित हो गई है।
This post was published on जुलाई 14, 2017 13:30
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