महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े माओवादी कनेक्शन और पीएम मोदी के हत्या की साजिश रचने के आरोप में हिरासत में लिए सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। इतना ही नहीं बल्कि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से इस मामले में 5 सितंबर तक जवाब देने को कहा है। दूसरी ओर महाराष्ट्र पुलिस ने मानवाधिकारी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी से इनकार करते हुए बताया कि उन्हें उनके अपने घरों में अगली सुनवाई, यानी 6 सितंबर तक नजरबंद रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस में हिस्सा लिया।
मतभेद सेफ्टी वाल्व की तरह है
सुनवाई के दौरान पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतभदे सेफ्टी वाल्व की तरह होता हैं। यदि, इन्हें रोका गया तो प्रेशर बढ़ने विस्फोट होने का खतरा बना रहता है। कोर्ट ने घटना के नौ महीने बाद गिरफ्तारी होने पर भी सवाल पूछे। इससे पहले सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी, इंदिरा जयसिंह, राजीव धवन, दुष्यतं दवे, राजू रामचंद्रन, अमरेंद्र शरण और सीयू सिंह ने बहस की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी वास्तव में सरकार के विरोध को कुचलने का एक कुत्सित प्रयास है। कहा कि यह सभी लोग आदिवासियों के लिए काम कर रहे हैं। इनमें से एक वकील सुधा भारद्वाज ने अमेरिका की नागरिकता छोड़कर आदिवासियों के लिए काम करने का फैसला किया है। उन्हें भी गिरफ्तार करके पुलिस ले आई है।
इन्होंने दायर की थी याचिका
मानवाधिकार कार्यकताओं के लिए इतिहासकार रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देवकी जैन, सतीष देशपांडे और माजु दारूवाला ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की थी। महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को गौतम नवलखा को दिल्ली से , सुधा भारद्वाज को फरीदबाद से, वरवरा राव को आंध्रप्रदेश से और दो अन्य अरुण फरेरा व वर्नोन गोंजाल्विस को गिरफ्तार कर लिया था। नवलखा और भारद्वाज को हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को ले जाने से रोक दिया था और उन्हें नजरबंद रखने का आदेश दिया था।
गिरफ्तारी का यह है कारण
महाराष्ट्र के पुणे के नजदीक एल्गार परिषद ने 31 दिसंबर 2017 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था और इसी में दिए गये भड़काउ भाषण के बाद कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा की जांच में जुटी पुलिस को इसमें माओवादी कनेक्शन होने के सबूत मिले। इतना ही नहीं बल्कि, जांच दल उस वक्त भौचक रह गए जब उन्हें पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की साजिश रचने का भी सबूत हाथ लगा। इसी के बाद पुलिस ने कारवाई करते हुए देश भर में छापामारी करके गिरफ्तारियां की है।
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