मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर चल रहे विवाद पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल को फटकार लगाते हुए साफ कहा कि मंगलवार दोपहर 3 बजे तक उन्हें और उनके समर्थकों को आजाद मैदान खाली करना ही होगा, वरना सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
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कोर्ट ने जताई नाराजगी
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस आरती सेठे की बेंच ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने बिना इजाजत आजाद मैदान पर कब्जा कर रखा है। अदालत ने यह भी माना कि हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं और इस मामले में सरकार की ओर से भी कई गलतियां हुई हैं।
जरांगे की तरफ से मांगी गई माफी
जरांगे की ओर से पेश हुए सीनियर वकील सतीश मानेशिंदे ने कोर्ट से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि आंदोलन की शुरुआत से ही कार्यकर्ताओं को यह हिदायत दी गई थी कि आम जनता को किसी तरह की परेशानी न हो। इसके बावजूद प्रदर्शन के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। बता दें कि जरांगे पिछले पांच दिनों से आजाद मैदान में अनशन पर बैठे हैं।
हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने इसके पहले दिए गए आदेश की अवहेलना की है। अदालत ने यह भी बताया कि प्रदर्शनकारियों ने हाई कोर्ट परिसर को घेर लिया था, जिसके चलते एक जज को पैदल ही कोर्ट आना पड़ा। सोमवार को भी अदालत ने आदेश दिया था कि मंगलवार को 3 बजे तक सड़कें और आजाद मैदान खाली कर दिए जाएं। इसके बाद ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि अदालत के आदेश को हर हाल में लागू किया जाएगा। इसी सिलसिले में पुलिस ने जरांगे को नोटिस जारी किया था।
फडणवीस पर साधा निशाना
मनोज जरांगे ने इस पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री फडणवीस पर आरोप लगाया कि वह हाई कोर्ट को गलत जानकारी दे रहे हैं। जरांगे ने कहा, “हमने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। मराठा समुदाय को राज्य की राजधानी में प्रवेश करने से कोई नहीं रोक सकता। इस हफ्ते के अंत तक मराठा प्रदर्शनकारी मुंबई पहुंचेंगे और कोई उन्हें रोक नहीं पाएगा।”
जरांगे ने यह भी कहा कि “आपको पता भी नहीं चलेगा कि कौन मुंबईकर है और कौन मराठा। आने वाले सोमवार को जो भी होगा, वह फडणवीस की गलतियों की वजह से होगा।” हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके मन में मुख्यमंत्री के प्रति व्यक्तिगत कड़वाहट नहीं है।
जरांगे के आंदोलन और हाई कोर्ट के सख्त तेवरों के बीच अब टकराव गहराता नजर आ रहा है। अदालत के आदेश के बाद प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया है। दूसरी ओर, जरांगे अपने रुख पर अडिग हैं और अनशन जारी है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार, अदालत और प्रदर्शनकारी किस तरह से इस गतिरोध का समाधान निकालते हैं।
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