झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली। अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए.के. भल्ला ने उनके निधन की पुष्टि की है।
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Shibu Soren death news की जानकारी मिलते ही झारखंड समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक भावुक पोस्ट में पिता के निधन की सूचना दी और लिखा कि “पिताजी के जाने से मैं शून्य हो गया हूँ।”
लंबे समय से बीमार थे, वेंटिलेटर पर थे जीवन के अंतिम दिन
शिबू सोरेन को 19 जून को पैरालिसिस के बाद सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव के कारण बीच-बीच में वेंटिलेटर हटाया भी गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर बार-बार वेंटिलेटर पर वापस लाया गया।
बीते डेढ़ महीने से लगातार उनकी तबीयत नाजुक बनी हुई थी। उन्हें गंभीर किडनी संबंधी समस्याएं भी थीं, जिनका इलाज डॉक्टर भल्ला की निगरानी में चल रहा था। तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उनकी हालत में कोई स्थायी सुधार नहीं ला सके।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर दी श्रद्धांजलि
Hemant Soren, जो कि झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं, ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट कर पिता के निधन की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि उनके जीवन का सबसे बड़ा संबल और मार्गदर्शक अब नहीं रहा। हेमंत ने इस भावनात्मक संदेश में लिखा, “पिताजी नहीं रहे। मैं शून्य हो गया हूँ।”
झारखंड सरकार की ओर से जल्द ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को लेकर घोषणा की जाएगी। उम्मीद है कि State Funeral Jharkhand में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
झारखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे गुरुजी
शिबू सोरेन को झारखंड में गुरुजी के नाम से जाना जाता है। वह न केवल झारखंड के जन आंदोलन के अग्रणी नेता रहे, बल्कि Jharkhand Mukti Morcha (JMM) के संस्थापक भी थे। उन्होंने आदिवासी अधिकारों और अलग राज्य की मांग को लेकर संघर्ष का नेतृत्व किया।
उनकी अगुवाई में झारखंड को 2000 में बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया। इसके बाद उन्होंने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
केंद्रीय राजनीति में भी निभाई अहम भूमिका
शिबू सोरेन केवल राज्य राजनीति तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने केंद्र सरकार में कोयला मंत्री के रूप में भी सेवा दी थी। Rajya Sabha MP के रूप में उन्होंने संसद में आदिवासी मुद्दों को मजबूती से उठाया।
उनकी छवि एक ज़मीनी नेता की रही, जो अपनी सादगी, संघर्ष और स्पष्ट सोच के लिए जाने जाते थे। राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन वे हमेशा झारखंड के आदिवासियों और वंचित वर्ग की आवाज़ बने रहे।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने जताया शोक
शिबू सोरेन के निधन की खबर आते ही देशभर से condolence messages आने लगे। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विपक्षी नेताओं सहित कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। कई नेताओं ने उन्हें grassroots visionary और tribal identity के प्रतीक के रूप में याद किया।
उनकी पार्टी झामुमो (JMM) के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता में भी गहरा शोक देखा जा रहा है। समर्थक सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं।
अंतिम संस्कार की तैयारियाँ, झारखंड में भारी भीड़ की संभावना
शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को दिल्ली से रांची लाया जाएगा। उम्मीद है कि दुमका या रांची में अंतिम दर्शन के लिए सार्वजनिक स्थल पर उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा।
सरकार की ओर से उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने की तैयारी की जा रही है। बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने के लिए जुट सकते हैं। कार्यक्रम का विस्तृत शेड्यूल जल्द ही जारी किया जाएगा।
एक युग का अंत, लेकिन विचार रहेंगे जीवित
शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है। लेकिन उनके विचार, संघर्ष और आदिवासी सशक्तिकरण के लिए दिए गए योगदान हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया, वह आने वाली पीढ़ियों को न केवल राजनीतिक दिशा देगा, बल्कि सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण की मिसाल भी रहेगा। Guruji की विरासत आने वाले वर्षों में झारखंड की राजनीति को दिशा देती रहेगी।
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष, नेतृत्व और समर्पण की मिसाल रहा है। उन्होंने जिस तरह से Jharkhand statehood के आंदोलन को नेतृत्व दिया और समाज के सबसे कमजोर वर्गों की आवाज़ बने, वह हमेशा याद रखा जाएगा।
उनकी मृत्यु केवल एक नेता के जाने का दुख नहीं है, बल्कि एक विचार, एक आंदोलन और एक जनभावना के प्रतीक का अवसान है। झारखंड उन्हें कभी नहीं भूल पाएगा।
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