मीनापुर की गोरीगामा पंचायत में कैंसर के कहर से दहशत में ग्रामीण
कौशलेन्द्र झा
मीनापुर के गोरीगामा में कैंसर से बचने के लिए किसी ने अपनी जमीन बेच दी तो किसी का परिवार कर्ज में डूब गया। अब गोरीगामा व टेंगराहां के ग्रामीणों को बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। न जाने कब कौन इस बीमारी की चपेट में आ जाए।
पिछले एक दशक में 31 लोगों की कैंसर से मौत होने के बाद से ग्रामीण दहशत में हैं। पंचायत की उपमुखिया उमाशंकर सिंह सहित पीड़ित परिवार के अंशुमान व शिक्षक विवेक कुमार सहित कई अन्य लोगो का कहना है कि पिछले दो वर्षों से यहां मरने वालों में अधिकांश लोग कैंसर से पीड़ित थे। जो गरीबी के कारण इलाज नहीं करा सके। टेंगाराहां गांव के लोगो ने बताया कि अबतक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई नहीं आया है। पंचायत की मुखिया अनामिका ने बताया कि बीडीओ व मीनापुर अस्पताल के प्रभारी सहित कई अधिकारियों को आवेदन देकर गुहार लगायी। पिछले दिनों गांव आये सांसद रमाकिशोर सिंह से भी लोगों ने गुहार लगाई। लेकिन किसी ने भी सुध लेना उचित नहीं समझा।
जमीन बेच कर व गिरवी रखकर करवा रहे इलाज
गोरीगामा के 75 वर्षीय बिन्देश्वर साह मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं। पिछले 18 वर्षों से इलाज करा रहे हैं। इलाज में एक बीघा जमीन बिक गई। परिवार पर करीब पांच लाख रुपये का कर्ज भी है। फिलहाल पटना के महावीर कैंसर संस्थान में इनका इलाज चल रहा है। इलाज पर हर माह करीब दस हजार रुपये खर्च हो रहा है। बिन्देश्वर साह ने बताया कि वे कभी खैनी, बीड़ी, पान या सिगरेट का सेवन नहीं किया। टेंगराहां के 38 वर्षीय अजय सिंह को ब्लड कैंसर है। पहली बार 2014 में बीमारी का पता चला। तब से करीब साढ़े चार लाख रुपये खर्च हो गया है। फिलहाल, मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस बीच डेढ़ बीघा जमीन गिरवी पड़ गया है। चार छोटे छोटे बच्चों का भविष्य भी दांव पर है। कमोवेश यही हाल कैंसर से जूझ रहे 55 वर्षीय रामनरेश सिंह, 60 वर्षीय नंदकिशोर राय व 45 वर्षीय गीता देवी का भी है।
इधर, मीनापुर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएम मिश्रा बतातें हैं कि गोरीगामा पंचायत में कैंसर फैलने की सूचना मिली है। बहरहाल, इसकी रोकथाम करना स्थानीय अस्पताल के बूते से बाहर है। वे कहतें हैक कि पहले भी सीएस को पत्र लिख कर इसकी सूचना दी गई थी। फिर से पत्र लिख कर उन्हें जानकारी भेजी जाएगी।