कौशलेन्द्र झा
कैंसर का कहर झेल रहे गोरीगामा व टेंगराहां गांव में स्वास्थ्य सुविधा नदारद है। यहां छह बेड वाला एक अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेन्द्र व एक उप स्वास्थ्य केन्द्र है। लेकिन दोनों केंद्र पर सप्ताह के छह दिन ताला लटका रहता है। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी व लापरवाही के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएम मिश्रा का कहना है कि चिकित्सक व भवन के अभाव में गोरीगामा अस्पताल सप्ताह में मात्र एक रोज गुरुवार को खुलता है। इसके लिए गोरीगामा में एक आयुष चिकित्सक डॉ. जेपी गुप्ता की ड्यूटी लगी हुई है। गोरीगामा में एक एएनएम कुमोद कुमारी की ड्यूटी भी लगी हुई है। लेकिन वह भी सप्ताह में एक रोज ही आती है।
गांव में अगर किसी को सर्दी-बुखार भी हुई तो करीब छह किलोमीटर दूर मीनापुर अस्पताल या 15 किलोमीटर दूर एसकेएमसीएच जाना पड़ता है। गावं के सुरेन्द्र सिंह समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत के बावजूद स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
विदित हो कि पिछले एक दशक में कैंसर से गांव के 31 लोगों की मौत हो चुकी है। कैंसर से पीड़ित पांच लोगों का विभिन्न अस्पताल में आज भी इलाज चल रहा है। लेकिन अबतक स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी ने पीड़ितों की सुध नहीं ली है।
जांच व स्थायी निदान के लिए अधिकारियों को ज्ञापन
गुरुवार को गोरीगामा व टेंगराहां गांव के लोगों की संयुक्त बैठक हुई। लोगों ने संयुक्त रूप से मीनापुर अस्पताल के प्रभारी, मीनापुर के बीडीओ, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन व डीएम को ज्ञापन सौंपा है। मुखिया अनामिका की अध्यक्षता में हुई बैठक में ग्रामीणों ने गांव में तेजी से पांव पसार रहें कैंसर के कारणों की जांच व स्थायी निदान कराने की मांग की है। ग्रामीणों ने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधा को नियमित करने की भी जिला प्रशासन से मांग की है। मौके पर उप मुखिया उमाशंकर सिंह, शिक्षक विवेक कुमार, अरुण कुमार सिंह, जयशंकर कुमार, लक्ष्मण सिंह, पप्पू कुमार, विनोद कुमार सिंह समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।
This post was published on अक्टूबर 5, 2017 22:07
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