मुबंई। गीताजी अब पहले से बेहतर हैं। लेकिन, जब भी कोई उनसे मिलने आता है तो वह रोने लगती हैं और अपने दोनों हाथ जोड़ लेती हैं।
दरअसल, पाक़ीज़ा फिल्म में काम करने वाली अभिनेत्री गीता कपूर गोरेगांव के एक अस्पताल में इलाज कराने के लिए भर्ती थी। बीमार गीता कपूर को उनके बेटे ने उन्हें भर्ती करवाया था। अस्पताल वालों का कहना है कि जब बिल देने की बारी आई तो उनका बेटा एटीएम से पैसे लेने के बहाने गया और फिर लौटा ही नहीं।
बाद में मदद के लिए प्रोड्यूसर अशोक पंडित और रमेश तौरानी सामने आए हैं और उन्होंने 1.5 लाख रुपए का अस्पताल का बिल अदा कर दिया है। अब वे इंतजार कर रहे हैं कि पुलिस जल्दी से उनके बेटे के ट्रेस कर ले, ताकि बेटे की एनओसी लेकर गीता को किसी वृद्धाश्रम भेजा जा सकें। बहरहाल, गीता बताती है कि उनका बेटा उन्हें बहुत मारता-पीटता था और अब अकेला छोड़ गया है। कहतें हैं कि कमाल अमरोही ने 1972 में आई अपनी फिल्म पाक़ीज़ा में कुछ ऐसी पंक्तियां लिखी थीं जो पांच दशक बाद फिल्म की एक्ट्रेस गीता कपूर की लाइफ की हकीकत बन चुकी है।
This post was published on जून 6, 2017 13:10
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