बिहार में एक बार फिर खुली शिक्षा व्यवस्था की कलई
किशनगंज। … और दो बार के प्रयास के बाद भी ब्लैकबोर्ड पर एक शब्द नहीं लिख सकी महिला शिक्षिका। वहां मौजूद जिलाधिकारी भी भौचक रह गए। यह वाकया बिहार के किशनगंज जिले के सतकौआ पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय का है। किशनगंज के डीएम महेंद्र कुमार पंचायतों में चल रही विकास कार्यो की समीक्षा करने के दौरान जिले के सतकौआ पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पहुंच गए और सीधे वर्ग एक और दो के कक्षा में चले गए। वहां एक महिला शिक्षिका महजबी परवीन ब्लैकबोर्ड पर बच्चो को कोमल, कोयला, कोरा, किताब, किराना आदि शबदो को उच्चारण के साथ पढ़ा रही थी।
डीएम भी हो गए भौचक
डीएम तब भौचक हो गए, जब उन्होंने स्वयं देखा कि ब्लैकबोर्ड पर सभी शब्द गलत तरीके से लिखे गए थे। गुस्से से तमतमाए डीएम ने उक्त महिला शिक्षिका से कहा कि आप बोर्ड पर सिर्प कोयला लिखकर दिखाओ। ताज्जुब की बात ये कि दो बार के प्रयास के बाद भी शिक्षिका कोयला शब्द को ठीक से नहीं लिख पाई। वह कभी कोयल तो कभी कोयाला लिखती रही। हद तो ये कि गलती का एहसास होने पर उसे स्वयं ही मिटाती भी देती थी।
शिक्षका को लगाई फटकार
शिक्षिका की इस हरकत को देख कर डीएम भड़क गए और बच्चों के सामने ही शिक्षिका को फटकार लगाई। डीएम ने कहा कि आपको शर्म आनी चाहिए। आप इन मासूमों का भविष्य खराब कर रही हैं। आप एक शब्द भी सही से नहीं लिख पा रही हैं तो इनको क्या शिक्षित करेंगी? इसके बाद डीएम ने शिक्षा अधिकारी को मॉनीटर करने का निर्देश दे दिया है। अब सवाल उठता है कि क्या यह समस्या सिर्फ एक विद्यालय या किसी एक शिक्षक से जुड़ा है? यदि नहीं तो यह पूरे बिहार के अधिकांश सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले मासूमो के भविष्य के साथ हो रही खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?