इनकार करने वाले दो शिक्षक बर्खास्त
KKN न्यूज ब्यूरो। समान काम पर समान वेतन और पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर बिहार के नियोजित शिक्षक अनिश्चित कालिन हड़ताल पर है। जबकि, सूबे की सरकार ने हड़ताल को गैरवाजिब बताते हुए शिक्षको से काम पर लौट जाने को कहा है। इस बीच पटना जिले में दो शिक्षकों को वीक्षण कार्य से इनकार करने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया है। दोनों शिक्षकों पर विभागीय निर्देश की अवहेलना करने और वार्षिक माध्यमिक परीक्षा -2020 में असहयोग करने का आरोप है। इसके बाद हड़ताल कर रहे शिक्षक और सरकार में ठन गई है।
शिक्षको की मांग
बिहार के नियोजित शिक्षक पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान देने, पुरानी सेवा शर्त एवं राज्य कर्मी का दर्जा देने, अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को शिक्षक के पद पर पूर्व की भांति बहाल करने, प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद सृजित कर प्रोन्नति के आधार पर पदस्थापन आदि की मांगों को लेकर 17 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं और अपनी मांगें पूरी होने तक आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। संघ का कहना है कि वे कार्रवाई से डरने वाले नहीं हैं।
सरकार ने पहले ही जारी कर दिया था आदेश
राज्य के शिक्षा मंत्री ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसला के हवाले से बताया कि शिक्षकों के हड़ताल पर जाने का कोई मतलब नहीं है। शिक्षा विभाग और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई का आदेश जारी किया जा चुका है। जिसमें निलंबन और बर्खास्तगी भी शामिल है। यहीं नहीं, जो शिक्षक मैट्रिक परीक्षा में वीक्षण कार्य करने से इनकार करते हैं, उन पर प्राथमिकी भी दर्ज करानी है। इसके बाद सरकार और शिक्षक संघ के बीच टकराव की नौबत खड़ी हो चुकी है।
शिक्षकों की हड़ताल का असर
शिक्षको के हड़ताल पर चले जाने से बिहार में शिक्षण कार्य चरमरा चुकी है। कई जिलों से खबर आई है कि वहां तैनात गैर शैक्षणिक कर्मी वीक्षण कार्य में असमर्थ साबित हो रहे हैं। नियोजित शिक्षक यदि पूरी तरह हड़ताल पर चले गए तो मैट्रिक कॉपी के मूल्यांकन में भी दिक्कत आ सकती है। जिस स्कूल में ज्यादातर नियोजित शिक्षक हैं, वहां पठन-पाठन पूरी तरह ठप हो चुका है। स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों को मध्याह्न भोजन भी नहीं मिल पा रहा है।
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