शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने की योजना पर बढ़ी अभिभावकों की चिंता

विद्यार्थी

देश भर के 2 लाख से अधिक अभिभावकों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कहा गया है कि, जब तक कोरोना महामारी की स्थिति में सुधार नहीं होता या इसकी वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती, तब तक स्कूलों को फिर से नहीं खोला जाना चाहिए। सरकार ने घोषणा की थी कि, सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना महामारी का आंकलन तथा चर्चा करने के बाद जुलाई से स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग सेंटरों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोल दिया जाएगा। सरकार के इस आदेश के बाद यह याचिका आई है, जिसपर अभिभावकों ने हस्ताक्षर किए हैं

याचिका में कहा गया है कि, जुलाई में स्कूलों को खोलना सरकार का सबसे खराब फैसला होगा। हमें इस वक्त पूरी ताकत से इस वायरस से लड़ना होगा और यह इस समय आग से खेलने की तरह है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र ऑनलाइन शिक्षण के जरिये जारी रहना चाहिए। यदि स्कूल द्वारा दावा किया जाता है कि, वे ऑनलाउन शिक्षण के जरिये अच्छा काम कर रहे हैं, तो फिर इसे बाकी शैक्षणिक वर्ष के लिए जारी रखना चाहिए। इस याचिका पर करीब 2.13 लाख से ज्यादा अभिभावकों ने हस्ताक्षर किए हैं। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए गए प्रयासों के तहत देशभर में 16 मार्च से सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को मीडिया से कहा है कि, स्कूलों तथा कॉलेजों सहित शिक्षण संस्थानों को राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की सलाह से जुलाई में खोलने का फैसला लिया जाएगा और इस बीच ये संस्थान के स्तर पर अभिभावकों तथा अन्य संबंधित पक्षों के साथ इस विषय पर चर्चा करेंगे। फीडबैक के आधार पर इन संस्थाओं को जुलाई 2020 में खोलने का निर्णय लिया जाएगा। साथ ही, बोर्ड की लंबित परिक्षाएं तथा प्रवेश परिक्षाएं भी जुलाई में आयोजित की जाएंगी।

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