KKN न्यूज ब्यूरो। मानवाधिकार का कहीं भी हनन महसूस करें, तो आप इसे स्थायी लोक अदालत में दर्ज करा सकतें हैं। मात्र 60 रोज के भीतर फैसला हो जायेगा और इसको दूसरे किसी कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती है।
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थायी लोक अदालत के प्रधान न्यायाधीश एस.पी. सिंह ने उक्त बातें कहीं हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत के बिहार प्रदेश के कमिटी की ओर से होटल गायत्री पैलेस में मानवाधिकार का राजनीतिकरण विषय पर आयोजित प्रांतीय सेमिनार को संबोधित करते हुए लोक अदालत के प्रधान न्यायाधीश श्री सिंह ने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, बिजली सहित मानव मूल्यो के हनन से जुड़ी किसी भी मुद्दे पर, यदि आपको न्याय की दरकार महसूस हो तो आप लोक अदालत की शरण में आ सकतें हैं।
इससे पहले संघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेन्द्र झा ने कहा कि मौजूदा दौर में एक कुत्सित एजेंडा के तहत मानवाधिकार को बदनाम किया जा रहा है। मानवाधिकार को आतंकवाद और नक्सलवाद के सरंक्षक के रूप में पेश कर दिया गया है। ताकि, शिक्षा और चिकित्सा जैसे बुनियादी समस्याओं से ध्यान बांटा जा सके। कहा कि किसान और महिलाओं की समस्याओं को मानवाधिकार के दायरे में लाना होगा। प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि यह किसी एक व्यक्ति या संगठन के भरोसे सम्भव नहीं है। इसके लिए आवाम को स्वयं आगे आना होगा। संघ ने पाठ्य पुस्तक में मानवाधिकार को शामिल करने की मांग की है।
सेमिनार का संचालन मो. सदरुल खान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संघ के प्रदेश सचिव विधि प्रकोष्ठ अधिवक्ता नीरज कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर मुजफ्फरपुर एडवोकेट एसोसियशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार लाल, एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव राम शरण सिंह, एडवोकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रामबाबू सिंह, अवकाश प्राप्त कार्यपालक अभियंता राघवेन्द्र झा, संघ के प्रदेश सचिव ननील सिंह, अशोक झा, संघ के जिला अध्यक्ष भोला प्रेमी, सचिव कृष्ण माधव सिंह, सीतामढ़ी के जिला अध्यक्ष सीमा वर्मा, सचिव रानी निशा, शिक्षक सदयकांत आलोक, मुखिया अजय कुमार, पूर्व मुखिया अवध बिहारी गुप्ता, पैक्स अध्यक्ष शिवचन्द्र प्रसाद, पत्रकार संतोष गुप्ता, निषाद संघ के राजकुमार सहनी, सुरेश प्रसाद सहित कई अन्य लोगो ने अपने विचार रखे।
This post was published on दिसम्बर 11, 2018 11:53
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