झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसरों को दीपावली के खास मौके पर एक बड़ा तोहफा दिया गया है। राज्य के 488 असिस्टेंट प्रोफेसरों को उनकी मेहनत के बदले झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा प्रोन्नति दी गई है। ये प्रोन्नति 2008 में नियुक्त इन शिक्षकों को दी गई है और इनकी प्रोन्नति के बाद, उन्हें 17 साल बाद यह महत्वपूर्ण मौका मिला है।
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प्रोन्नति की प्रक्रिया
जेपीएससी के द्वारा यह निर्णय 16 अक्टूबर 2025 को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता जेपीएससी के अध्यक्ष श्री एल. खियांगते ने की। बैठक में जेपीएससी के सदस्य डॉ. अजिता भट्टाचार्या, डॉ. अनिमा हांसदा, डॉ. जमाल अहमद और सचिव संदीप कुमार सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। इस बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसरों को दी जाने वाली प्रोन्नति पर गहन विचार-विमर्श किया गया, और अंततः ये फैसला लिया गया कि इन शिक्षकों को प्रोन्नति दी जाए।
विश्वविद्यालयों में प्रमोशन का असर
जिन विश्वविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसरों को प्रोन्नति मिली है, उनमें प्रमुख रूप से रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग, सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय, डीएसपीएमयू, नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय और विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय शामिल हैं। निम्नलिखित विश्वविद्यालयों में प्रोन्नति के मामले सामने आए हैं:
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रांची विश्वविद्यालय (RU): 177 असिस्टेंट प्रोफेसर
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डीएसपीएमयू (Deen Dayal Upadhyaya Institute of Management): 33 असिस्टेंट प्रोफेसर
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विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग: 66 असिस्टेंट प्रोफेसर
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नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय: 23 असिस्टेंट प्रोफेसर
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सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय: 120 असिस्टेंट प्रोफेसर
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विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय: 68 असिस्टेंट प्रोफेसर
इस प्रमोशन में कुछ शिक्षकों को रीडर से प्रोफेसर के पद तक भी प्रमोट किया गया है। इसके अलावा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में यूनिवर्सिटी प्रोफेसर कम चीफ साइंटिस्ट के परीक्षा परिणाम प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार के प्रमोशन से न सिर्फ शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्थिति भी मजबूत होगी।
कुछ प्रोमोशन अभी बाकी
जहां एक ओर अधिकतर प्रोफेसरों की प्रोन्नति हो चुकी है, वहीं कुछ विश्वविद्यालयों से प्रोन्नति के प्रस्ताव समय पर नहीं पहुंचे। इसके अलावा, कुछ मामलों में जरूरी कागजात की कमी भी देखने को मिली, जिसके कारण उनकी प्रोन्नति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। हालांकि, जेपीएससी ने यह आश्वासन दिया है कि इन मामलों को नवंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
जेपीएससी की भूमिका और भविष्य के कदम
जेपीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसरों के प्रमोशन की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ किया है। बैठक के दौरान जेपीएससी के अध्यक्ष श्री एल. खियांगते ने यह बताया कि राज्य में उच्च शिक्षा प्रणाली के सुधार के लिए यह प्रमोशन एक अहम कदम है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और उत्कृष्टता के लिए राज्य सरकार और आयोग प्रतिबद्ध हैं।
इन प्रोन्नतियों के साथ, इन असिस्टेंट प्रोफेसरों को विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक और गैर-शैक्षणिक पदों पर काम करने के लिए पात्रता भी प्राप्त हो चुकी है, जो उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
भविष्य में होने वाली नियुक्तियां और सुधार
झारखंड सरकार का उद्देश्य राज्य के शिक्षा क्षेत्र में लगातार सुधार करना है। इसी दिशा में, नवंबर 2025 में लगभग 7,200 प्रशिक्षित सहायक आचार्यों को नियुक्ति पत्र दिए जाने की योजना है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन नियुक्ति पत्रों को 6 नवंबर 2025 को सरायकेला खरसावां में एक समारोह में वितरित करेंगे। हालांकि, पूर्वी सिंहभूम जिले को छोड़कर अन्य जिलों के चयनित सहायक आचार्यों को ही ये नियुक्ति पत्र मिलेंगे।
इस नियुक्ति पत्र वितरण से राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक नया बदलाव आएगा और शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाएगा। यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा, जहां शिक्षकों की बड़ी जरूरत है।
झारखंड के विश्वविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसरों को मिली प्रोन्नति न केवल उनके लिए एक बड़ा तोहफा है, बल्कि यह राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत भी है। यह कदम राज्य सरकार और जेपीएससी की ओर से शिक्षा को लेकर की गई मेहनत और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इन प्रोन्नतियों से शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा और उन्हें अपने कार्य के प्रति और अधिक प्रेरित किया जाएगा। साथ ही, इन बदलावों से राज्य के उच्च शिक्षा का स्तर और बेहतर होगा। झारखंड सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से न केवल प्रोफेसरों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।



