अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले माल पर आयात शुल्क को 25 फीसदी तक बढ़ा कर चीन को बड़ा झटका दे दिया है। ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार ने चीन के खिलाफ अब तक के सबसे कड़े कदम उठाए हैं। ट्रंप इस साल जून से अपने यहां चीन से आने वाले माल पर धीर धीरे आयात शुल्क बढ़ा रहा हैं। ट्रंप ने अपनी चीन नीति को अपने प्रशासन की सबसे बड़ी उपलब्धियों के रूप में गिनाया और कहा कि इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने एवं रोजगार के सृजन में मदद मिली है।
चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिका का आयात उसके निर्यात से 500 अरब कम है। ट्रंप का कहना है कि इस तरह का व्यापार लंबे समय तक नहीं चल सकता है। ट्रंप ने चीन से आयात किए जाने वाले 250 अरब डालर के माल पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगा दिया है। साथ ही अमेरिका ने चीन से परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार पर भी कई अंकुश लगा दिए हैं।
इधर, चीन ने अमेरिका पर एकतरफा पहल के जरिए व्यापार विवाद भड़काने का आरोप लगाया है। चीनी दूतावास के एक अधिकारी ने इस हालात से निपटने के लिए भारत के साथ मजबूत व्यापारिक साझेदारी की वकालत की है। कहा कि दो बड़े विकासशील देश और बड़े उभरते बाजार होने के नाते, चीन और भारत दोनों सुधार और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए एक साथ मिल कर काम करने की आवश्यकता है। कहा कि चीन और भारत बहुध्रुवीय व्यापार प्रणाली और मुक्त व्यापार की रक्षा के लिए समान हित साझा करते हैं।
इस बीच खबर आई है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली रक्षा मदद में 80 फीसदी तक कटौती करने के संकेत दे दिएं हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रक्षा मदद में पाकिस्तान को मिलने वाली 70 करोड़ डॉलर की वार्षिक राशि, अगले साल महज 15 करोड़ रहने की सम्भावना है। इस राशि को भी हासिल करने के लिए पाकिस्तान को कई शर्तों का अनुपालन करना होगा। विशेषज्ञों ने बताया कि अमेरिका हक्कानी नेटवर्क और आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम पर पहले मदद करता था। वहीं गैर नाटो सहयोगी के तौर पर पाकिस्तान को मिलने वाली वाली राशि में भी कटौती कर मात्र 15 करोड़ डॉलर रहने की उम्मीद है। नतीजा, पहले से आर्थिक तंगी झेल रहा पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था अब और बेपटरी होने की उम्मीद है।
This post was published on अक्टूबर 13, 2018 19:23
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