KKN न्यूज ब्यूरो। भारत सरकार के अग्निपथ योजना को लेकर देश में विरोध प्रर्दशन थमने का नाम नही ले रहा है। बिहार में इसका सर्वाधिक असर है। बिहार के अभ्यार्थियो ने रेलवे को निशाने पर लिया और आगजनी की है। अभी तक 14 से अधिक ट्रेन को निशाने पर लिया जा चुका है। इसमें करीब 60 कोच में आग लगा कर उसको जला दिया गया है। सबसे बुरा हाल भागलपुर से नई दिल्ली के बीच चलने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस की है। इसके 23 कोच को लखीसराय में जला दिया गया है। अकेले दानापुर रेल मंडल में करीब 226 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया है। मत भूलिए कि यह नुकसान किसी पार्टी की नही, बल्कि राष्ट्र की हुई है। यह वही राष्ट्र है, जिसकी रक्षा के लिए आप सेना में भर्ती होना चाहते है।
भारत सरकार ने सेना में बहाली के लिए अग्निपथ नाम से एक योजना को लॉंच किया है। इसमें चयनित उम्मीदवारों को चार साल की अवधि के लिए अग्निवीर के रूप में सेना में बहाल करने की योजना है। इस दौरान प्रथम वर्ष में लगभग 4.76 लाख रुपये का पैकेज मिलेगा और चौथे वर्ष में लगभग 6.92 लाख रुपये तक की राशि दिया जाना है। इसके अतिरिक्त जोखिम और अन्य कठिनाई समेत राशन, पोशाक और यात्रा भत्ता का भी लाभ मिलेगा। इसी प्रकार मासिक वेतन का 30 फीसदी अंशदान पर सरकार द्वारा समान राशि का मिलान और 10.04 लाख रुपये के कोष के अलावा अर्जित ब्याज का एक मुश्त लाभ मिलेगा। जो चार साल बाद आयकर के दायरे से बाहर होगा।
सेवा की अवधि में मृत्यु की स्थिति में 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर और सेवा के दौरान मौत पर 44 लाख रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि दिया जाना है। दिव्यांग होने की स्थिति में अलग से मुआवजा का प्रावधान है। प्रावधान के मुताबिक 100 फीसदी दिव्यांग को 44 लाख रुपये, 75 फीसदी दिव्यांग को 25 लाख रुपये और 50 फीसदी दिव्यांग होने पर 15 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि देने का प्रावधान है।
चार साल आर्मी के साथ काम करने के बाद वह एक मुश्त राशि के साथ अपने घर लौट कर अपना मनपसंद रोजगार शुरू कर सकता है। यदि वह सेना में स्थायी नौकरी चाहता है, तो इसके लिए अग्निवीरो को 25 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त अर्द्ध सैनिक बल में काम करने के लिए अलग से आरक्षण और उम्र सीमा में छूट का प्रावधान है। सबसे बड़ी बात ये कि किसी भी आपातकाल में अग्निवीर देश के काम सकेगा।
देश के युवाओं को छोटी अवधि के लिए सेना में सेवा करने का अवसर मिलेगा और इससे युवा तकनीकी रूप से कुशल और युद्ध लड़ने के लिए तैयार हो जायेंगे। इसके साथ ही सशस्त्र बलों में युवा शक्ति का सैनिक अनुभव के बीच एक बेहतर तालमेल भी बनेगा और यह अनुभव आपातकाल में देश के काम आ सकेगा। गौर करने वाली बात ये है कि यह अनिवार्य शर्त नही है और जो इस योजना का लाभ नही लेना चाहते है, उनके लिए कोई जबरदस्ती नही है।
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