पटना सोमवार को Voter Adhikar Yatra के अंतिम चरण का गवाह बना। इस मौके पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे। इनके साथ सीपीआई महासचिव डी. राजा और अन्य क्षेत्रीय नेताओं ने भी रैली में हिस्सा लिया। गांधी मैदान से लेकर पटना हाईकोर्ट तक सड़कें पार्टी कार्यकर्ताओं और झंडों से पटी रहीं।
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गांधी और अंबेडकर की प्रतिमा से जुड़ा संदेश
यात्रा की शुरुआत गांधी मैदान में स्थित गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके हुई। इसके बाद नेता डाकबंगला चौक होते हुए अंबेडकर पार्क पहुंचे और बाबा साहेब की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देकर मार्च का समापन किया। इस दौरान नेताओं ने लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के संदेश को रेखांकित किया। हालांकि प्रशासन ने मार्च की अनुमति केवल डाकबंगला चौक तक दी थी, लेकिन भीड़ का जोश कहीं ज्यादा बड़ा दिखा।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की अगुवाई
मार्च का सबसे बड़ा आकर्षण राहुल गांधी और Tejashwi Yadav Rally रही। दोनों नेता खुले वाहन में सवार होकर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते नजर आए। VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी समेत कई क्षेत्रीय नेता भी इस दौरान शामिल हुए। गांधी मैदान से निकलते वक्त कार्यकर्ताओं ने झंडे लहराए और नारे लगाए। पटना की गलियां राजनीतिक रंग से सराबोर हो गईं।
तपती धूप में भी जोश बरकरार
भीषण गर्मी के बावजूद कार्यकर्ताओं का जोश कम नहीं हुआ। हजारों लोग पटना की सड़कों पर उमड़े। सीपीआई नेता डी. राजा आम कार्यकर्ताओं के बीच बैठते दिखे और इस सादगी ने सबका ध्यान खींचा। कांग्रेस, राजद, भाकपा माले और अन्य सहयोगी दलों के कार्यकर्ता कंधे से कंधा मिलाकर चलते नजर आए।
देशभर से आए नेता
दिल्ली से विशेष विमान द्वारा राहुल गांधी, खरगे और के.सी. वेणुगोपाल पटना पहुंचे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन भी काफिले के साथ पहुंचे। भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य सुबह से ही गांधी मैदान में मौजूद थे। डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी और समाजवादी पार्टी के नेता भी रैली का हिस्सा बने। इससे INDIA Bloc March एक बड़े शक्ति प्रदर्शन में बदल गया।
बीजेपी का पलटवार
रैली को लेकर भाजपा नेताओं ने तीखा हमला बोला। राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि महागठबंधन में आंतरिक कलह है। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की सोच अलग है। शाहनवाज ने यह भी कहा कि राहुल गांधी बार-बार प्रधानमंत्री को वोट चोर कहते हैं, लेकिन जनता ने 2019 में नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता सौंपी थी। उनके मुताबिक कांग्रेस इस बार बिहार में “जीरो पर आउट” होगी।
डिप्टी सीएम का बयान
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने यात्रा को नौटंकी बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ ड्रामेबाज लोगों का शो है और ये लोग लोकतंत्र के दुश्मन हैं। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की बौखलाहट करार दिया और कहा कि जनता वोटर अधिकार के मुद्दे पर इनके साथ खड़ी है।
पटना की सड़कों पर जनसैलाब
सुबह से ही कार्यकर्ता गांधी मैदान की ओर जाते दिखे। महिलाओं और पुरुषों की बड़ी संख्या पैदल मार्च करती नजर आई। पटना की सड़कों पर कांग्रेस, राजद, भाकपा और अन्य सहयोगी दलों के झंडे लहराते दिखे। “लोकतंत्र बचाओ” और “वोटर अधिकार चाहिए” जैसे नारे गूंजते रहे।
ट्रैफिक व्यवस्था और पुलिस की तैयारी
भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने ट्रैफिक पर कड़े प्रतिबंध लगाए। सुबह सात बजे से गांधी मैदान के चारों ओर ऑटो और ई-रिक्शा बंद कर दिए गए। कई रूट डायवर्ट किए गए। सिर्फ इमरजेंसी वाहनों को आने-जाने की अनुमति थी। साइबर पुलिस ने सोशल मीडिया पर निगरानी रखी ताकि कोई भ्रामक खबर न फैले।
सोशल मीडिया पर नजर
पटना साइबर पुलिस ने अपील की कि लोग केवल सत्यापित जानकारी पर भरोसा करें। अधिकारियों ने कहा कि CCTV से पूरे इलाके की निगरानी की जा रही है। फर्जी पोस्ट करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
लंबी यात्रा का समापन
यह Voter Adhikar Yatra 17 अगस्त से बिहार के कई जिलों से गुजरती हुई 1 सितंबर को पटना पहुंची। यात्रा ने 1300 किलोमीटर का सफर तय किया। इस दौरान तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी अलग-अलग चरणों में जुड़े।
मतदाता सूची विवाद के बीच रैली
यात्रा उस वक्त पटना पहुंची जब बिहार में मतदाता सूची को लेकर विवाद बढ़ा हुआ है। चुनाव आयोग की Special Intensive Revision प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि बड़ी संख्या में नाम हटाए जा रहे हैं। राजद समेत कई दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।
दावा-आपत्ति और अंतिम सूची
31 अगस्त तक 2 लाख से ज्यादा लोगों ने अपने नाम हटाने का आवेदन दिया। जबकि 33 हजार से अधिक ने शामिल करने की मांग की। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी। ईपीआईसी वितरण पर फैसला बाद में होगा। विपक्ष का कहना है कि पारदर्शिता के बिना निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं।
जनता का मूड और संदेश
रैली को देखने आए लोग इसे सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि लोकतंत्र की लड़ाई मान रहे थे। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और खरगे का साथ-साथ चलना समर्थकों के लिए प्रेरणा बना। समर्थकों ने इसे विपक्षी एकजुटता का प्रतीक माना।
पटना में हुई यह Rahul Gandhi Patna Rally विपक्षी एकता का बड़ा प्रदर्शन रही। गांधी और अंबेडकर की प्रतिमाओं के बीच यात्रा ने लोकतंत्र और न्याय का संदेश दिया। भाजपा ने इसे ड्रामा बताया, लेकिन भीड़ और जोश ने विपक्ष के हौसले बुलंद कर दिए। बिहार की राजनीति में यह मार्च आने वाले चुनावों की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।
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