प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पटना के गांधी मैदान में ‘बिहार बदलाव रैली’ शुरू की

​Prashant Kishor's Jan Suraaj Party Launches 'Bihar Badlav Rally' at Gandhi Maidan, Patna

KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जन सुराज पार्टी की पहली और सबसे बड़ी रैली “बिहार बदलाव रैली” का आयोजन किया गया। इस रैली को पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की नई राजनीतिक पारी की औपचारिक शुरुआत माना जा रहा है।

जन सुराज का मकसद: बदलाव की राजनीति

जन सुराज पार्टी ने बीते वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर खुद को एक वैकल्पिक राजनीतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया था। पार्टी का मुख्य उद्देश्य है – बिहार में सुशासन, जवाबदेही और पारदर्शिता की राजनीति को पुनर्स्थापित करना। प्रशांत किशोर ने साफ किया है कि उनकी पार्टी किसी जातिवादी या सांप्रदायिक एजेंडे पर नहीं, बल्कि मुद्दा आधारित राजनीति करेगी।

“बिहार बदलाव रैली” का राजनीतिक महत्व

गांधी मैदान में आयोजित इस रैली को सिर्फ एक जनसभा के रूप में नहीं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जन सुराज का शंखनाद माना जा रहा है। रैली में प्रशांत किशोर ने बड़े और जनहित के मुद्दों को उठाते हुए राज्य की मौजूदा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने यह भी कहा कि, “अब फैसला पटना में ही होगा”, जो कि पार्टी के पोस्टरों और बैनरों में प्रमुखता से दिखाया गया है।

पटना में माहौल बना, रैली को लेकर जोश

रैली से एक दिन पहले ही जन सुराज समर्थकों का पटना में जमावड़ा शुरू हो गया था। राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आए कार्यकर्ता और नेता पटना के सत्याग्रह आश्रम और अन्य स्थानों पर ठहरे हुए थे। रैली में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। गांधी मैदान को जन सुराज के झंडों और नारों से सजा दिया गया।

प्रशांत किशोर की 12 जिलों में ‘उद्घोष यात्रा’

रैली की सफलता के पीछे महीनों की मेहनत और रणनीति रही है। खुद प्रशांत किशोर ने राज्य के 12 जिलों में “उद्घोष यात्रा” निकाली, जिसमें उन्होंने आम जनता से सीधा संवाद किया और रैली में शामिल होने का निमंत्रण दिया। साथ ही पार्टी के अन्य नेताओं ने भी गांव-गांव जाकर पंचायत स्तर पर बैठकें कीं और जनता से जुड़ने का प्रयास किया।

खराब मौसम भी नहीं रोक सका जोश

हालांकि, रैली से ठीक पहले पटना में तेज बारिश हुई, जिससे तैयारियों पर थोड़ा असर पड़ा, लेकिन समर्थकों और कार्यकर्ताओं के जोश में कोई कमी नहीं आई। बारिश के बावजूद गांधी मैदान में लोगों की भारी भीड़ देखी गई, जो यह साबित करती है कि प्रशांत किशोर और जन सुराज की राजनीति अब आम लोगों के बीच जगह बना रही है।

प्रशांत किशोर का संबोधन: 5 बड़े मुद्दे

प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में निम्नलिखित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया:

  1. शराबबंदी की विफलता: उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी सिर्फ कागज़ों पर है, और इससे कानून-व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है।

  2. शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली: बिहार के सरकारी स्कूल और अस्पताल खुद बीमार हैं, जिसे सुधारना होगा।

  3. रोजगार की कमी: राज्य के युवा पलायन को मजबूर हैं, सरकार सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है।

  4. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही: हर सरकारी सेवा में रिश्वत और दलाली आम बात हो चुकी है।

  5. विकास की असमानता: गांव और शहर के बीच की खाई अब और गहरी हो गई है।

“जन सुराज” नहीं, “जन जन की आवाज़”

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि जन सुराज सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं है, यह बिहार के हर आम आदमी की आवाज़ है। उन्होंने जनता से वादा किया कि उनकी पार्टी बिहार को एक आदर्श राज्य के रूप में विकसित करने का प्रयास करेगी।

क्या है प्रशांत किशोर का अगला प्लान?

रैली के मंच से प्रशांत किशोर ने साफ संकेत दिया कि आने वाले समय में पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। इसके लिए मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके अलावा, पार्टी बिहार के सभी जिलों में “जन संवाद यात्रा” भी शुरू करने जा रही है, ताकि हर वर्ग की समस्याओं को सुना और समझा जा सके।

जन सुराज पार्टी की खास रणनीति

जन सुराज की रणनीति जातिवाद और परिवारवाद की राजनीति से हटकर एक नया मॉडल पेश करने की है। पार्टी सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी काफी सक्रिय है और युवाओं को सीधे जोड़ने की कोशिश कर रही है।

चुनावी समीकरण बदलने की तैयारी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज की यह रैली बिहार के पारंपरिक दलों – जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी – के लिए खतरे की घंटी है। अगर पार्टी अपने वादों पर खरी उतरी तो यह चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल सकती है।

जन सुराज की “बिहार बदलाव रैली” सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन नहीं बल्कि एक नई सोच और उम्मीद की शुरुआत है। प्रशांत किशोर के नेतृत्व में यह पार्टी बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। अब देखना यह होगा कि रैली के बाद पार्टी किस तरह अपने चुनावी एजेंडे को आगे बढ़ाती है और जनता के भरोसे को कितना कायम रख पाती है।


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