मंगलवार को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरा दिन भी जबरदस्त राजनीतिक घमासान का गवाह बना। विपक्ष ने एसआईआर (SIR Report) पर चर्चा की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि जब तक एसआईआर पर विस्तार से चर्चा नहीं होती, तब तक विपक्ष का विरोध जारी रहेगा।
Article Contents
सुबह से धरना, मुख्य गेट पर जाम
सत्र शुरू होने से पहले ही विपक्षी दलों के विधायक विधानसभा के मुख्य गेट पर धरने पर बैठ गए।
आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी दलों के सदस्य काले कुर्ते पहनकर प्रदर्शन कर रहे थे।
धरना स्थल पर नारों की गूंज थी – “SIR पर चर्चा करो”, “लोकतंत्र बचाओ” जैसे नारे गूंजते रहे।
धरने की वजह से सत्ता पक्ष के कई विधायक मुख्य द्वार से अंदर नहीं जा सके।
सरकार का साफ इंकार, चर्चा नहीं होगी
वहीं सरकार की तरफ से यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया गया कि एसआईआर पर चर्चा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मंत्रियों ने कहा कि सत्र के लिए तय एजेंडा पहले से तय है।
एसआईआर पर चर्चा का यह समय नहीं है, यह विषय “under consideration” है।
विधानसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई, लेकिन हंगामे के कारण कामकाज बाधित रहा।
अध्यक्ष का प्रवेश, मार्शलों की मदद से हुआ अंदर जाना
विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव को विपक्षी विधायकों के विरोध के बीच मार्शलों की मदद से अंदर ले जाया गया।
विरोध इतना तीखा था कि सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल मजबूत करना पड़ा।
विधानसभा अध्यक्ष को चारों ओर से सुरक्षा घेरे में लाया गया।
तेजस्वी यादव का दो टूक बयान
तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष का यह प्रदर्शन सिर्फ एसआईआर रिपोर्ट पर जवाब मांगने के लिए है।
उन्होंने कहा कि सरकार जनता को जवाब नहीं देना चाहती।
“हमारे लिए लोकतंत्र और पारदर्शिता (transparency) सर्वोपरि है,” तेजस्वी ने मीडिया से बातचीत में कहा।
राजेश राम का प्रतीकात्मक विरोध
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने पहले सफेद कुर्ता पहनकर विधानसभा में प्रवेश किया, लेकिन कुछ समय बाद वे बाहर निकलकर काले कुर्ते में लौटे।
इस प्रतीकात्मक विरोध ने मीडिया का ध्यान खींचा।
राजेश राम ने कहा, “सफेद कुर्ता सत्ता का प्रतीक है, काला कुर्ता जनता की आवाज है।”
सत्र के दौरान विधायी कार्य में रुकावट
विधानसभा के अंदर भी एसआईआर को लेकर माहौल गर्म रहा।
विपक्ष के विधायक वेल में उतर आए और कार्यवाही को बाधित किया।
बार-बार “SIR पर चर्चा करो” के नारे गूंजते रहे।
अध्यक्ष ने विधायी कार्य जारी रखने की कोशिश की लेकिन हंगामा जारी रहा।
महत्वपूर्ण विधेयक – धार्मिक न्यास संशोधन विधेयक 2025
विधानसभा के दूसरे हिस्से में कानून मंत्री मंगल पांडे ने बिहार हिंदू धार्मिक न्यास (Trust) संशोधन विधेयक 2025 पेश किया।
यह विधेयक पुनौरा धाम से संबंधित है।
विधेयक का उद्देश्य धार्मिक न्यासों की पारदर्शिता बढ़ाना है।
इसमें ट्रस्टी चयन प्रक्रिया, वित्तीय ऑडिट और विवाद समाधान की नई व्यवस्थाएं शामिल हैं।
विपक्ष का आरोप – ध्यान भटकाने की कोशिश
विपक्ष का मानना है कि सरकार इस विधेयक को लेकर चर्चा को प्राथमिकता दे रही है ताकि एसआईआर पर चर्चा टाली जा सके।
वामपंथी दलों ने इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की।
कांग्रेस और आरजेडी ने कहा कि जनता के मुद्दों से सरकार बच रही है।
बढ़ी सुरक्षा, परिसर में कड़ी निगरानी
धरने और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विधानसभा परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई।
मुख्य द्वार पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
सादे कपड़ों में खुफिया अधिकारी भी तैनात किए गए थे।
सोशल मीडिया पर छाया ‘Black Kurta Protest’
विपक्षी विधायकों का काला कुर्ता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।
#BlackKurtaProtest और #SIRDebate जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
इंटरनेट पर “काले कुर्ते बनाम सफेद कुर्ते” की तुलना खूब चल रही है।
छात्रों की प्रतिक्रिया – लोकतंत्र का नया चेहरा
विधानसभा गैलरी में बैठे कुछ विश्वविद्यालय छात्रों ने कहा कि वे इस सत्र को कभी नहीं भूलेंगे।
एक छात्र ने कहा, “यह हंगामा नहीं, यह लोकतंत्र की जीवंतता है।”
कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर बात नहीं हो रही है।
विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका – संतुलन साधने की कोशिश
अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने कार्यवाही जारी रखने की कई कोशिशें कीं।
उन्होंने विपक्ष से शांति की अपील की, लेकिन वह विफल रही।
अध्यक्ष ने यह स्पष्ट किया कि विरोध विधानसभा परिसर के बाहर किया जा सकता है, भीतर नहीं।
संभावित अगले कदम
अगर सरकार एसआईआर पर चर्चा की अनुमति नहीं देती है, तो विपक्ष सत्र का बहिष्कार कर सकता है।
“Debate the SIR” नाम से राज्यव्यापी अभियान की योजना बनाई जा सकती है।
सरकार भी बीच का रास्ता तलाश सकती है जैसे कि SIR पर एक आंतरिक समिति बनाना।
राजनीतिक परिणाम – आने वाले चुनावों पर असर
यह विवाद सिर्फ विधानसभा तक सीमित नहीं है।
सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव की छवि मजबूत हुई है।
सरकार की छवि विकास कार्यों को रोकने वाले विरोध से प्रभावित हो सकती है।
अगले विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पक्षों ने अपनी रणनीति की शुरुआत कर दी है।
बिहार विधानसभा का यह मानसून सत्र यह दिखा रहा है कि एसआईआर जैसे मुद्दे कैसे सियासत को उबाल सकते हैं।
विपक्ष ने जहां इसे पारदर्शिता की लड़ाई बताया है, वहीं सरकार इसे विधायी बाधा मानती है।
काले कुर्ते, विरोध, बिल और बहस ने यह सत्र यादगार बना दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या कोई समाधान निकलेगा या हंगामा अगले दिनों तक जारी रहेगा।
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.