बिहार में इस समय मानसून की सक्रियता बनी हुई है और राज्य के कई हिस्सों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। इसी बीच मौसम विज्ञान केंद्र पटना ने राज्य के कई ज़िलों में अगले कुछ दिनों के लिए अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने जहां 18 ज़िलों में Orange Alert जारी किया है, वहीं 21 ज़िलों में Yellow Alert दिया गया है।
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ये अलर्ट संभावित वज्रपात, आंधी, मेघगर्जन और तेज़ हवाओं की संभावना के मद्देनज़र जारी किए गए हैं। बिहार में अब तक सामान्य से काफी कम बारिश दर्ज की गई है और यह नई चेतावनी राज्य में जलवायु असंतुलन की ओर इशारा कर रही है।
ऑरेंज अलर्ट वाले ज़िले
पटना मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा जारी जानकारी के अनुसार बिहार के जिन 18 ज़िलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, वे हैं – पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, पटना, सारण, समस्तीपुर, औरंगाबाद, नालंदा, शेखपुरा, सिवान, वैशाली, जहानाबाद, जमुई, बांका, भोजपुर, अरवल, गया और नवादा।
इन ज़िलों में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान वज्रपात, तेज़ गर्जना, भारी बारिश और 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की चेतावनी दी गई है। मौसम विभाग ने इन ज़िलों में रहने वाले नागरिकों को सलाह दी है कि वे खराब मौसम के दौरान घर से बाहर निकलने से बचें।
ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि मौसम की स्थिति खतरनाक हो सकती है। इसमें लोगों की जान-माल को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है। साथ ही किसानों को भी सलाह दी गई है कि वे खेतों में काम करते समय सतर्क रहें और बिजली चमकने के दौरान खुले मैदानों से दूरी बनाएं।
येलो अलर्ट वाले ज़िले
वहीं मौसम विभाग ने बिहार के 21 ज़िलों में येलो अलर्ट जारी किया है। इनमें गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, पटना, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, अरवल, गया, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, बेगूसराय, बांका, जमुई, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली शामिल हैं।
इन ज़िलों में हल्की से मध्यम बारिश, वज्रपात और आंधी तूफान की संभावना जताई गई है। हवाओं की गति भी 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। मौसम विभाग ने इन ज़िलों के निवासियों को सावधानी बरतने और अपडेटेड Weather Report पर नज़र रखने की सलाह दी है।
येलो अलर्ट का तात्पर्य है कि स्थिति सामान्य से कुछ अधिक संवेदनशील हो सकती है। यह एक चेतावनी है कि आने वाला मौसम अचानक खराब हो सकता है और लोगों को सतर्क रहना चाहिए।
ठनका और आंधी का बढ़ा हुआ खतरा
इस समय बिहार के कई हिस्सों में वज्रपात और आंधी-तूफान की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मानसून की सक्रियता के कारण मौसम में तेज़ उतार-चढ़ाव हो रहा है। वज्रपात खासकर ग्रामीण इलाकों में जानलेवा साबित होता है और हर साल दर्जनों लोगों की जान चली जाती है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि लोग पेड़ों के नीचे खड़े न हों, बिजली गिरने की स्थिति में खुले मैदानों में न जाएं और मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग भी सीमित करें। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने की ज़रूरत है।
अब तक 40 प्रतिशत कम बारिश
इस वर्ष अब तक बिहार में सामान्य से करीब 40 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। राज्य में अब तक औसतन 304.9 मिलीमीटर ही बारिश दर्ज की गई है, जो कि इस समय तक अपेक्षित मात्रा से बहुत कम है। यह कमी कृषि पर गहरा असर डाल सकती है, विशेष रूप से उन किसानों पर जो धान की खेती पर निर्भर हैं।
Monsoon Deficit की यह स्थिति राज्य की अर्थव्यवस्था और खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। कई क्षेत्रों में धान रोपाई और अन्य खरीफ फसलें समय पर नहीं हो पाई हैं। यदि जल्द ही वर्षा नहीं बढ़ती है, तो सरकार को वैकल्पिक सिंचाई योजनाओं पर विचार करना पड़ सकता है।
सार्वजनिक सुरक्षा के लिए चेतावनी का महत्व
ऑरेंज और येलो अलर्ट केवल पूर्वानुमान नहीं हैं, बल्कि लोगों को संभावित खतरे से सचेत करने के माध्यम हैं। ये अलर्ट नागरिकों और प्रशासन दोनों को समय रहते तैयार रहने का अवसर प्रदान करते हैं। बिजली गिरने और तेज़ हवाओं की घटनाएं आकस्मिक होती हैं और इनमें जान जाने का खतरा बना रहता है।
हर वर्ष बिहार में दर्जनों मौतें केवल ठनका की वजह से होती हैं, जिनमें ज़्यादातर ग्रामीण और खेतिहर मजदूर शामिल होते हैं। इसलिए मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट को गंभीरता से लेना आवश्यक है।
नागरिकों के लिए सलाह
मौसम विभाग ने लोगों को इस दौरान कुछ ज़रूरी सावधानियां बरतने की सलाह दी है। इनमें शामिल हैं:
खराब मौसम के दौरान घर के अंदर ही रहें
खेतों या खुले इलाकों में न जाएं
बिजली से जुड़े उपकरणों को बंद रखें
आसमान में बिजली चमकने पर मोबाइल और धातु की चीज़ें दूर रखें
इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन को भी कहा गया है कि वे किसी भी आपात स्थिति के लिए Disaster Response Teams को तैयार रखें और समय-समय पर लोगों को सूचित करते रहें।
प्रशासन की तैयारी
बिहार सरकार ने मौसम विभाग की चेतावनी को गंभीरता से लिया है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने संबंधित ज़िलों को अलर्ट पर रखा है। स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे Weather Monitoring को और सक्रिय करें।
आपातकालीन सेवाओं को तैयार रखा गया है और ज़रूरत पड़ने पर स्कूलों या पंचायत भवनों को अस्थायी राहत केंद्र के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। प्रशासनिक स्तर पर लगातार मौसम की जानकारी ली जा रही है और ज़िलों में जिला प्रशासन को सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए गए हैं।
पूर्वी भारत में मौसम की अनिश्चितता
बिहार में इस समय जो मौसम की स्थिति बनी हुई है, वह पूर्वी भारत के बढ़ते Climate Instability की ओर इशारा करती है। एक ओर जहां कुछ ज़िलों में पानी भरने की स्थिति बन रही है, वहीं कई क्षेत्र सूखे की स्थिति से जूझ रहे हैं। इस असमानता को जलवायु परिवर्तन का प्रभाव माना जा रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि समुद्री तापमान में बढ़ोतरी, हवा की दिशा में बदलाव और वनों की कटाई जैसे कारणों से वर्षा की स्थिति असंतुलित हो रही है। ऐसे में Accurate Weather Forecast और सार्वजनिक जागरूकता की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
आगे के लिए पूर्वानुमान
मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक राज्य के कई हिस्सों में बारीश और आंधी-तूफान की संभावना बनी हुई है। हालांकि इससे Rainfall Deficit की भरपाई पूरी तरह नहीं हो पाएगी, लेकिन आंशिक राहत ज़रूर मिल सकती है।
सरकार इस स्थिति को देखते हुए कृत्रिम वर्षा या वैकल्पिक सिंचाई योजनाओं पर विचार कर सकती है। किसान और आम नागरिकों से लगातार मौसम अपडेट पर नज़र रखने की अपील की गई है। वहीं, स्कूलों, कार्यालयों और दैनिक आवागमन पर भी इसका असर पड़ सकता है।
राज्य के लिए यह समय सतर्कता और सहयोग का है। मौसम विभाग द्वारा जारी ऑरेंज और येलो अलर्ट को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। बिजली गिरने, तेज़ हवाओं और भारी बारिश से जान-माल का नुकसान हो सकता है, यदि समय रहते सावधानी न बरती जाए।
बिहार सरकार और मौसम विभाग मिलकर स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं, लेकिन अंतिम सुरक्षा नागरिकों की सजगता और सतर्कता पर ही निर्भर करती है। मौसम से जुड़े हर अपडेट पर नज़र रखें और अनावश्यक जोखिम न उठाएं।
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