KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड अंतर्गत रामपुरमनी गांव में बुधवार, 16 अप्रैल 2025 को एक भीषण अगलगी की घटना सामने आई, जिसमें चार मासूम बच्चों की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। यह घटना इतनी भयावह थी कि छह घर पूरी तरह से जलकर खाक हो गए।
ग्रामीणों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि लोग समझ ही नहीं पाए और बच्चों के पास बचने का कोई मौका नहीं रहा। फिलहाल प्रशासन और दमकल विभाग की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
स्थान: रामपुरमनी गांव, सकरा, मुजफ्फरपुर, बिहार
तारीख: 16 अप्रैल 2025
मृतक: 4 बच्चे (3 एक ही परिवार से)
क्षति: 6 घर पूरी तरह जलकर राख
दमकल वाहन: 2 गाड़ियां मौके पर
स्थिति: कई लोग बेघर, गांव में अफरा-तफरी
स्थानीय लोगों की मानें तो मरने वाले सभी बच्चे अपने घरों के अंदर सो रहे थे या खेल रहे थे, जब आग ने अचानक कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी तेजी से फैली कि बच्चों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला।
इनमें से तीन बच्चे एक ही परिवार के थे, जिससे पीड़ित परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मौके पर जो दृश्य था, वह किसी को भी झकझोर देने वाला था—चारों ओर चीख-पुकार, रोते-बिलखते परिजन और जल चुके घर।
ग्रामीणों के अनुसार, गांव के अधिकांश घर कच्चे और घास-फूस के बने हुए थे, जिससे आग ने तेजी से पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया।
जब तक लोग बाल्टी, बालू और पानी से आग बुझाने का प्रयास करते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लोगों ने बताया कि सिर्फ कुछ ही मिनटों में छह घर जलकर पूरी तरह से खाक हो गए।
घटना की सूचना मिलते ही दो दमकल वाहन मौके पर पहुंचे, लेकिन जब तक आग पर काबू पाया जा सका, तब तक चार बच्चों की जान जा चुकी थी और कई परिवार बेघर हो चुके थे।
दमकल कर्मी अभी भी घटनास्थल पर बची हुई आग को बुझाने और खोजबीन में जुटे हैं, क्योंकि आशंका है कि कुछ लोग अभी भी मलबे में फंसे हो सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन को जैसे ही इस हादसे की सूचना मिली, मुजफ्फरपुर के वरीय अधिकारी घटनास्थल की ओर रवाना हो गए हैं। अभी तक घटना के कारणों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन प्राथमिक जांच जारी है।
बताया जा रहा है कि यह इलाका महादलित बस्ती है, जहां आवासीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की व्यवस्थाएं बेहद कमजोर हैं। यह घटना एक बार फिर ग्रामीण इलाकों की आपदा तैयारियों पर सवाल खड़े करती है।
घटना के बाद गांव में भयानक मातम का माहौल है। लोग राख के ढेर में अपने बच्चों और सामान की तलाश कर रहे हैं। कई परिवारों को अस्थायी शेल्टर में शिफ्ट किया गया है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया:
“आग इतनी तेजी से फैली कि हम कुछ समझ ही नहीं पाए। बच्चों की चीख सुनाई दे रही थी लेकिन हम उन्हें नहीं बचा पाए। हमारा सब कुछ खत्म हो गया—घर, परिवार, ज़िंदगी।”
अभी तक आग लगने का कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। प्रशासन ने कई संभावनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया है:
? बिजली शॉर्ट सर्किट
? रसोई में खुले आग का इस्तेमाल
? नजदीकी गतिविधियों से चिंगारी
? जानबूझकर आगजनी (अगर हुई हो)
फिलहाल फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है, जो जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट देगी।
घटना के बाद मेडिकल टीम को मौके पर भेजा गया है, जो झुलसे हुए लोगों को प्राथमिक उपचार दे रही है। गंभीर रूप से घायल लोगों को मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
जिला प्रशासन द्वारा खाद्य सामग्री, कपड़े, दवा और पानी आदि की व्यवस्था की जा रही है। डिजास्टर मैनेजमेंट टीम भी राहत कार्य में जुटी हुई है।
अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक मुआवजा घोषित नहीं किया गया है, लेकिन संभावना है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से जल्द ही घोषणा होगी।
स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों के मौके पर पहुंचने की सूचना भी मिली है। लोगों ने सरकार से मांग की है कि:
पीड़ित परिवारों को ठोस मुआवजा दिया जाए
गांव में फायर सेफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए
गरीब बस्तियों के लिए आपदा तैयारियों की समीक्षा की जाए
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर है। यूज़र्स #MuzaffarpurFire, #JusticeForVictims जैसे हैशटैग्स के साथ सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
NGOs और सामाजिक संगठनों ने सरकार से:
तुरंत राहत और पुनर्वास की व्यवस्था
स्वतंत्र जांच आयोग की नियुक्ति
ग्रामीण क्षेत्रों में फायर सेफ्टी ट्रेनिंग और संसाधनों की मांग की है।
यह हादसा फिर से दर्शाता है कि ग्रामीण भारत में अग्नि सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं है। खासकर गरीब, घनी आबादी वाली बस्तियों में:
फायर अलार्म सिस्टम नहीं
आपात निकासी व्यवस्था नहीं
प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम की भारी कमी
विशेषज्ञों के अनुसार, फायर सेफ्टी ट्रेनिंग, मजबूत निर्माण, और अलार्म सिस्टम अनिवार्य होने चाहिए।
मुजफ्फरपुर अग्निकांड ने एक बार फिर दिखा दिया है कि गरीबी, लापरवाही और व्यवस्था की कमी कैसे निरपराध जिंदगियों को छीन लेती है।
सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए न्याय, पुनर्वास और भविष्य की सुरक्षा योजनाएं तुरंत लागू की जाएं।
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