पटना की सड़कों पर 23 जुलाई 2025 को एक बार फिर राजनीति उबाल पर थी, जब जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर और उनके हजारों समर्थक बिहार विधानसभा की ओर मार्च कर रहे थे। उद्देश्य था शांतिपूर्ण तरीके से सरकार को जनता की मांगों का Memorandum सौंपना, लेकिन हालात तब बिगड़ गए जब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए Lathicharge किया। प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई और इसका मकसद लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाना था।
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विधानसभा के बाहर बैरिकेडिंग, आगे बढ़ते ही चला लाठीचार्ज
प्रशांत किशोर अपने समर्थकों के साथ पटना में Bihar Assembly Protest के तहत मार्च कर रहे थे। जैसे ही जन सुराज का काफिला विधानसभा के नजदीक पहुंचा, पहले से मौजूद पुलिस बल ने उन्हें रोकने के लिए भारी बैरिकेडिंग लगा रखी थी। जब प्रदर्शनकारी इन अवरोधों को पार करने की कोशिश करने लगे, तो पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस दौरान लाठियों से कुछ समर्थकों को चोटें भी आईं, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से जख्मी हो गया।
प्रशांत किशोर बोले – हम शांतिपूर्वक ज्ञापन देना चाहते थे
लाठीचार्ज के बाद मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी मंशा किसी टकराव की नहीं थी। उनका कहना था कि वे सिर्फ मुख्यमंत्री को वह ज्ञापन देना चाहते थे जिस पर एक करोड़ से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हैं। यह ज्ञापन उन वादों की याद दिलाने के लिए था जो सरकार ने जनता से किए थे लेकिन अब तक पूरे नहीं किए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार संवाद से भागेगी, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा।
94 लाख परिवारों को दो-दो लाख का वादा, अब तक एक रुपया भी नहीं
प्रशांत किशोर के अनुसार, दो वर्ष पहले राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि वह 94 लाख गरीब परिवारों को दो-दो लाख रुपये की सहायता देगी। लेकिन हकीकत यह है कि आज तक किसी भी परिवार को एक रुपया तक नहीं मिला। उन्होंने इसे केवल चुनावी वादा करार दिया और कहा कि जनता को धोखा दिया गया है। जन सुराज ने राज्य भर में Signature Campaign चलाकर इस विषय में जागरूकता फैलाई और उसी का नतीजा यह आंदोलन है।
‘यह तो सिर्फ शुरुआत है, तीन महीने में हिसाब बराबर करेंगे’
अपनी तीखी प्रतिक्रिया में प्रशांत किशोर ने कहा कि यह तो सिर्फ संघर्ष की शुरुआत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि आकर ज्ञापन नहीं लेता, तब तक वे वहीं धरने पर बैठे रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगले तीन महीने में जनता का गुस्सा इतना व्यापक होगा कि सरकार को जवाब देना पड़ेगा। किशोर ने यहां तक कहा कि यदि मुख्यमंत्री से बात नहीं हुई, तो वे एक लाख लोगों के साथ नीतीश कुमार के घर तक मार्च करेंगे।
‘सरकार को जनता की आवाज सुननी ही पड़ेगी’
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और उसे दबाया नहीं जा सकता। उनका दावा है कि जन सुराज का आंदोलन किसी दल विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि जनहित के मुद्दों को लेकर है। उन्होंने कहा कि उनकी टीम गांव-गांव, पंचायत-पंचायत जाकर जनता से संवाद कर रही है और यही संपर्क सरकार को असहज कर रहा है।
पुलिस ने कार्रवाई को बताया ज़रूरी, लेकिन उठे सवाल
पुलिस प्रशासन की ओर से लाठीचार्ज को उचित बताया गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने नो-एंट्री जोन में जबरन प्रवेश करने की कोशिश की और कानून व्यवस्था के तहत उन्हें रोका गया। हालांकि, जन अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि शांतिपूर्ण विरोध करना संविधानिक अधिकार है और उसे बल प्रयोग से कुचला नहीं जाना चाहिए।
चुनाव से पहले बढ़ती राजनीतिक गर्मी
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब बिहार में विधानसभा चुनाव करीब हैं और राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी तेजी से प्रदेश में ground level पर पकड़ बना रही है। इस आंदोलन और पुलिस कार्रवाई के बाद, किशोर की छवि एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में और उभरती दिखाई दे रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह जन आंदोलन उन्हें चुनावी लाभ भी दिला पाएगा।
जन सुराज का आगामी एजेंडा
प्रशांत किशोर ने साफ किया है कि यह आंदोलन अब राज्यव्यापी रूप लेगा। उनकी योजना है कि आने वाले दिनों में पूरे बिहार में जनसभाएं, पदयात्राएं और जिला स्तर पर प्रदर्शन आयोजित किए जाएं। उनका फोकस लोगों की समस्याओं को सीधे सरकार के सामने लाना है। जन सुराज की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि वह 2025 के चुनाव में अपनी भूमिका मजबूत करने की तैयारी कर चुका है।
पटना में हुआ यह लाठीचार्ज सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन की कहानी नहीं है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में उभरते एक नए संघर्ष की शुरुआत है। प्रशांत किशोर, जो कभी पर्दे के पीछे रणनीति गढ़ते थे, अब खुलकर मैदान में उतर आए हैं। उनके नेतृत्व में जन सुराज अब सत्ता से सीधे सवाल पूछ रहा है। और जनता—जो अब तक केवल सुनती आई है—अब प्रतिक्रिया देने को तैयार दिख रही है।
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