KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के ईलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठायेगी। मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से यह राशि दी जाएगी। इस रोग से यदि किसी की मृत्यु होती है तो उनके निकटतम परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से चार लाख की मदद भी दी जाएगी। मुख्यमंत्री सोमवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में कोरोना वायरस के लेकर राज्य सरकार द्वारा की गई तैयारी की जानकारी दे रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर तरह से सजग है। मिलकर इस खतरे का सामना करेंगे। इससे डरने की नहीं बल्कि सचेत रहने की जरूरत है। कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है। इसके उपचार के लिए अतिरिक्त वेंटिलेटर्स और आइसोलेशन वार्ड आदि की व्यवस्था की जा रही है। सभी जिला अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में इसके लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में वेंटलेटर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। स्वास्थ्य विभाग को 100 अतिरिक्त वेंटलेटर्स स्थापित करने का निर्देश दिया गया है। पटना और गया एयरपोर्ट पर प्रभावित देशों से आ रहे यात्रियों की सघन मेडिकल जांच की जा रही है। इसके लिए एयरपोर्ट पर वरिष्ठ पदाधिकारियों की तैनाती की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित एक भी मरीज नहीं मिले हैं। लेकिन सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश और नेपाल में इस रोग के मरीज मिले हैं। साथ ही बिहार के कई जिलों में विदेशों से लोगों का आना-जाना लगातार होता रहता है, जिससे यहां भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि कैसे 148 देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। यह पूरे विश्व के लिए महामारी बन चुका है। कहा कि इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से दिसंबर, 2019 में हुई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रोग सामन्य वायरल की तरह खांसने और छिंकने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति से कोई हाथ मिला ले अथवा उसके नजदीक में रहे तो उनमें भी संक्रमण होने का खतरा रहता है। यदि रोगी से निकले थूक की बूंदे किसी के हाथ में लग जाए और वह व्यक्ति अपने हाथ से मुंह, नाक अथवा आंख छू ले तो उसे भी संक्रमण हो सकता है। लिहाजा, बचाव के लिए आवश्यक है कि किसी भी व्यक्ति से दो मीटर की दूरी बनाके रखें। किसी भी भीड़ वाले स्थान जैसे शादी, पार्टी, बैठक, मॉल में जाने से बचें। आवश्यक नहीं हो तो यात्रा नहीं करें। सामाजिक और व्यक्तिगत दूरी ही इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वस्थ्य व्यक्ति को मास्क लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि मास्क उनके लिए है, जो संक्रमित हों या वैसे स्वास्थ्य कर्मी जो इस तरह के रोगी का उपचार कर रहे हैं। यदि मास्क का कोई उपयोग करता है तो उसके निस्तारण के प्रति भी सजग रहना पड़ेगा। सामान्यत: एक मास्क का प्रयोग छह से आठ घंटे के लिए किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल के बाद उसे जला देना या जमीन में गड्ढा कर उसमें डाल देना चाहिए। तभी हम संक्रमण से बच सकेंगे।
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