पटना में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की होगी जांच, शिक्षा विभाग ने बनाई तीन सदस्यीय समिति

Supreme Court’s Decision on Bengal Teachers Recruitment Scam: Teachers Allowed to Continue Till December

KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने पटना जिले में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की समीक्षा के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति शिक्षकों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की जांच कर पांच दिनों के भीतर प्राथमिक शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद संबंधित शिक्षकों को पटना के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पोस्टिंग दी जा सकती है।

मुख्य बिंदु:

  • पटना जिले में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच शुरू

  • उच्च शिक्षा उपनिदेशक डॉ. दीपक कुमार सिंह के नेतृत्व में समिति का गठन

  • 5 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट जमा करने का निर्देश

  • शिक्षकों को जल्द मिल सकती है स्कूल आवंटन की सूचना

दस्तावेज़ जांच का उद्देश्य

राज्य के उन शिक्षकों ने, जिन्हें विशेष परिस्थितियों के आधार पर पटना स्थानांतरित किया गया है, अपनी वैधता सिद्ध करने के लिए दस्तावेज जमा किए थे। इनमें अधिकतर आवेदन पति-पत्नी दोनों शिक्षक, चिकित्सा आधार, या अन्य पारिवारिक कारणों से संबंधित थे।

अब शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी स्थानांतरण विधानुसार और प्रमाणिक हैं। इसके लिए दस्तावेजों की समीक्षा आवश्यक मानी गई है।

समिति की संरचना और जिम्मेदारी

शुक्रवार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक की ओर से इस समिति के गठन का आदेश जारी किया गया। समिति में निम्नलिखित अधिकारी शामिल हैं:

  • डॉ. दीपक कुमार सिंह, उपनिदेशक, उच्च शिक्षा – समिति अध्यक्ष

  • संजय कुमार चौधरी, उपनिदेशक, प्राथमिक शिक्षा – सदस्य

  • अब्दुस सलाम अंसारी, उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा – सदस्य सचिव

यह समिति शिक्षकों द्वारा ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों की पुष्टि और समीक्षा करेगी।

ट्रांसफर प्रक्रिया की पृष्ठभूमि

शिक्षकों के विशेष मामलों को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा विभाग ने 1 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 के बीच e-ShikshaKosh पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। इस प्रक्रिया का उद्देश्य था ऐसे शिक्षकों को सुविधा देना जो पारिवारिक, स्वास्थ्य या अन्य व्यक्तिगत कारणों से स्थानांतरण की आवश्यकता महसूस कर रहे थे।

स्थानांतरण आदेश की तारीखें

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के बाद, शिक्षा विभाग ने तीन चरणों में स्थानांतरण आदेश जारी किए:

  • 28 फरवरी 2025

  • 24 मार्च 2025

  • 30 मार्च 2025

इन आदेशों में शिक्षकों को उनकी पसंद के आधार पर जिले आवंटित किए गए। जिन शिक्षकों ने पटना को चुना था, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पटना भेजा गया।

पटना में स्थानांतरण का महत्व

पटना, राज्य की राजधानी होने के कारण, शैक्षणिक संसाधनों और सुविधाओं के लिहाज़ से एक लोकप्रिय विकल्प रहा है। कई शिक्षक यहां स्थानांतरण की मांग करते हैं, विशेष रूप से वे जिनके जीवनसाथी पहले से पटना में कार्यरत हैं।

अब जबकि शिक्षकों को पटना आवंटित किया गया है, दस्तावेजों की जांच इस बात की पुष्टि करेगी कि क्या स्थानांतरण नियमों के तहत हुआ है।

दस्तावेजों की समीक्षा के बाद की प्रक्रिया

जांच समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद, शिक्षा विभाग पात्र शिक्षकों को पटना के सरकारी स्कूलों में पोस्टिंग देगा। यह प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी, ताकि शिक्षण कार्य में किसी प्रकार की विलंब न हो और खाली पदों को समय पर भरा जा सके।

शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव

यह कदम दर्शाता है कि बिहार सरकार शिक्षा तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में सक्रिय है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और स्पष्ट जांच प्रक्रिया के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि योग्य शिक्षकों को ही स्थानांतरण का लाभ मिले।

इसके अतिरिक्त, छात्रों को समय पर शिक्षक उपलब्ध कराना विभाग की प्राथमिकता बनी हुई है, ताकि शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में ही पढ़ाई बाधित न हो।

संभावित समय-सीमा:

  • 12 अप्रैल से 17 अप्रैल 2025 – दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया

  • 18 अप्रैल तक – रिपोर्ट सौंपने की अंतिम तिथि

  • अगले सप्ताह से – स्कूल आवंटन और पोस्टिंग की प्रक्रिया शुरू

पटना में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की यह पहल बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समिति की निष्पक्ष जांच और शिक्षा विभाग की सक्रियता से यह उम्मीद की जा रही है कि पात्र शिक्षकों को जल्द ही उनकी नवीन पोस्टिंग मिल जाएगी।

इसके माध्यम से शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब हर स्थानांतरण की प्रक्रिया पारदर्शिता और प्रमाणिकता के आधार पर ही पूरी होगी।


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