बिहार राजनीति: 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी, एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे की हलचल

KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं और इसके लिए एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और महागठबंधन दोनों ही गठबंधन सीट बंटवारे को लेकर सशक्त बैठकों का दौर चला रहे हैं। इस बार एनडीए के समीकरण में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की भी एंट्री हो गई है, जिसके चलते सीटों के बंटवारे में पेचीदगी बढ़ गई है। एलजेपी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जिससे बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का तालमेल मुश्किल हो सकता है। साथ ही, जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी कम से कम 25 सीटों की मांग कर रही है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सीट बंटवारे की जटिलता

2025 के बिहार विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। महागठबंधन और एनडीए दोनों में सीट बंटवारे को लेकर कड़ी चर्चाएं हो रही हैं। इस बार की सबसे बड़ी चुनौती एनडीए में आई है क्योंकि एलजेपी (पासवान) अब एनडीए का हिस्सा बन चुकी है। इसके पहले, 2020 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने एनडीए से अलग होकर अलग चुनाव लड़ा था, और अब उसका आना एनडीए के सीट बंटवारे को और पेचीदा बना सकता है।

2020 विधानसभा चुनाव की सीटों की स्थिति

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने विभिन्न सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 सीटों पर विजय प्राप्त की। वहीं, जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 सीटें जीतीं। हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीतीं। वीआईपी (विकल्प पार्टी) ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीतीं। वहीं एलजेपी ने अलग से 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन केवल 1 सीट जीत सकी थी।

इस बार एलजेपी (पासवान) एनडीए का हिस्सा बन गई है, जिससे सीट बंटवारे में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एलजेपी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जिससे बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों की संख्या घट सकती है।

एनडीए का नया स्वरूप: सीट बंटवारे में बदलाव

2020 के चुनाव के मुकाबले इस बार एनडीए का स्वरूप बदल चुका है। वीआईपी अब महागठबंधन का हिस्सा है और एलजेपी एनडीए में शामिल हो चुकी है। इससे पहले बीजेपी और जेडीयू दोनों के पास जो सीटों का संतुलन था, वह अब प्रभावित हो सकता है। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि वे कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिससे जेडीयू की सीटों में कमी आ सकती है।

जीतन राम मांझी की सीटों की मांग

जीतन राम मांझी की पार्टी हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) भी सीटों की मांग कर रही है। मांझी ने कम से कम 25 सीटों की मांग की है, हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उन्हें इतनी सीटें मिलना मुश्किल है। यह उनकी पार्टी की अपनी सीटों को बचाने की कोशिश हो सकती है।

मुकाबला बढ़ा: महागठबंधन और एनडीए के बीच जोरदार खींचतान

एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर मंथन तेज हो चुका है। महागठबंधन में भी कुछ दलों के बीच सीटों के लिए दबाव बढ़ रहा है। जबकि एक ओर बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन में सीटों के वितरण में मतभेद हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में भी आंतरिक समन्वय की आवश्यकता है। आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस जैसी पार्टियां सीटों के बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर चला रही हैं।

वहीं वीआईपी के नेता मुकेश सहनी ने एनडीए में अपनी वापसी की संभावना जताई है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के एक बयान के बाद इस बारे में चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि सहनी ने इस पर खंडन किया है, लेकिन बिहार की राजनीति में ऐसे मोड़ आते रहते हैं, जब दल एक पार्टी से दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं।

स्मॉल पार्टियों का महत्व: सीटों का समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में छोटे दलों का भी महत्व बढ़ता जा रहा है। महागठबंधन और एनडीए दोनों गठबंधन छोटे दलों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं। इन छोटे दलों की सीटों का समीकरण बड़ा बदलाव ला सकता है। आरजेडी और कांग्रेस जैसे बड़े दल अपने छोटे सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में सीटों के लिए उनका दबाव बनना तय है।

दूसरी तरफ एनडीए के गठबंधन में एलजेपी के शामिल होने से सीट बंटवारे का संघर्ष और अधिक बढ़ सकता है। एलजेपी ने 40 सीटों की मांग की है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या बीजेपी और जेडीयू अपने पुराने सीटों के शेयर से समझौता करेंगे या नहीं।

2025 चुनाव में किसका पलड़ा भारी?

बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी गठबंधन के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि वे छोटे दलों को साथ लेकर आगे बढ़े। अगर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे पर समझौता हो जाता है, तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है। बीजेपी और जेडीयू को सीटों के वितरण में पारदर्शिता बनाए रखते हुए छोटी पार्टियों को भी सम्मानजनक सीटें देनी होंगी।

वहीं, महागठबंधन के लिए भी यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अगर छोटे दल अपनी सीटों पर अड़ा रहे। लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, और राहुल गांधी जैसे नेताओं को पार्टी के अंदर संतुलन बनाए रखते हुए एक स्थिर और मजबूत गठबंधन बनाने के लिए रणनीति पर ध्यान देना होगा।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सीट बंटवारे की होगी। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इस समय सीटों के लिए हलचल मचाए हुए हैं। एलजेपी के आने से एनडीए में और महागठबंधन में वीआईपी की एंट्री के बाद दोनों गठबंधन अपने-अपने गठबंधन की स्थिरता और विजय की उम्मीदों को लेकर गंभीर स्थिति में हैं।

बिहार की राजनीति में ये चुनाव बड़े बदलावों का संकेत हो सकते हैं। कौन सा गठबंधन किसे कितनी सीटें देता है, यह बिहार के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा। 2025 के चुनावी नतीजे ना केवल राज्य की राजनीति पर असर डालेंगे बल्कि यह पूरे देश के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।


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