04 सितंबर 2025 को बिहार की सियासत में एक बार फिर सड़क से संसद तक गर्मी दिखी। महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान दरभंगा में कांग्रेस नेता के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई मां की गाली ने राजनीतिक माहौल को भड़का दिया। इसके खिलाफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने पांच घंटे का बिहार बंद बुलाया। बंद का असर सुबह से ही राजधानी पटना समेत कई जिलों में दिखाई दिया।
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बिहार बंद की वजह
दरभंगा में आयोजित वोटर अधिकार यात्रा के मंच से कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी को अपशब्द कहे। यह बयान तत्काल ही सुर्खियों में आ गया और बीजेपी समेत सहयोगी दलों ने इसे लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ बताया। एनडीए ने इस घटना को प्रधानमंत्री का अपमान करार देते हुए विरोध प्रदर्शन और बिहार बंद का ऐलान किया।
महागठबंधन की यह यात्रा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ निकाली गई थी। इसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और वामपंथी दल CPI, CPM और CPI-ML शामिल थे। लेकिन यात्रा से ज्यादा अब उस बयान पर बहस हो रही है जिसने राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया।
पटना की सड़कें बनीं धरना स्थल
बिहार बंद का सबसे बड़ा असर राजधानी पटना में दिखा। सुबह से ही भाजपा और एनडीए कार्यकर्ता डाकबंगला चौक और आयकर गोलंबर पर सड़क पर बैठ गए। यहां जाम की स्थिति बनी और दफ्तर जाने वालों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। एनडीए कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए विरोध जताया और महागठबंधन से माफी की मांग की।
जिलों में दिखा असर
राज्य के अलग-अलग हिस्सों में एनडीए कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए। दरभंगा, जहां विवादित बयान दिया गया था, वहां प्रदर्शन और भी तीखा रहा। कार्यकर्ताओं ने चौक-चौराहों पर जाम लगाया और महागठबंधन के खिलाफ नारे लगाए। मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और आरा जैसे शहरों में भी बंद का असर दिखा। कई जगहों पर बसों और ट्रकों को रोका गया और बाजार आंशिक रूप से बंद रहे।
नेताओं की मौजूदगी और प्रतिक्रिया
इस दौरान बीजेपी के बड़े नेता पटना में मौजूद नहीं थे क्योंकि दिल्ली में बुधवार को कोर कमिटी की मीटिंग थी। इसके बावजूद स्थानीय कार्यकर्ताओं और जिला इकाइयों ने बंद को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। जेडीयू कार्यकर्ताओं ने भी बीजेपी के साथ मिलकर सड़क पर उतरकर एकजुटता दिखाई।
एनडीए नेताओं का कहना है कि यह विरोध केवल एक बयान के खिलाफ नहीं बल्कि राजनीतिक संस्कृति में आई गिरावट के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को गाली देना देश की लोकतांत्रिक परंपराओं का अपमान है और इसका कड़ा विरोध होना चाहिए। वहीं महागठबंधन नेताओं का कहना है कि उनकी यात्रा का मकसद मतदाता सूची में गड़बड़ी के खिलाफ आवाज उठाना था, लेकिन एनडीए मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है।
आम जनता की मुश्किलें
बिहार बंद का सबसे ज्यादा असर आम लोगों पर पड़ा। राजधानी में ऑफिस जाने वालों को लंबा जाम झेलना पड़ा। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को परेशानी हुई। कई छोटे दुकानदारों ने दुकानें बंद रखीं और दिनभर कारोबार प्रभावित रहा।
सोशल मीडिया पर भी बिहार बंद चर्चा का विषय बना रहा। एनडीए समर्थकों ने इसे प्रधानमंत्री के सम्मान की रक्षा बताया जबकि विपक्षी समर्थकों ने इसे जनता के लिए परेशानी खड़ी करने वाला कदम करार दिया।
सियासी पृष्ठभूमि
बिहार की राजनीति हमेशा आंदोलनों और बंद से जुड़ी रही है। आने वाले चुनावों से पहले महागठबंधन और एनडीए दोनों अपनी-अपनी रणनीति में जुटे हैं। महागठबंधन मतदाता सूची और सरकारी नीतियों पर सवाल उठा रहा है जबकि एनडीए प्रधानमंत्री की छवि और राजनीतिक मर्यादा को मुद्दा बना रहा है। दरभंगा की घटना ने इस टकराव को और तेज कर दिया है।
04 सितंबर 2025 का बिहार बंद दिखाता है कि राज्य की राजनीति कितनी संवेदनशील और टकरावपूर्ण हो गई है। एनडीए का विरोध प्रधानमंत्री को गाली देने के खिलाफ था लेकिन इसका असर आम लोगों के जीवन पर भी पड़ा। राजधानी पटना से लेकर छोटे जिलों तक सड़कों पर प्रदर्शन, जाम और नारों की गूंज सुनाई दी। महागठबंधन और एनडीए के बीच यह नया विवाद आने वाले समय में चुनावी राजनीति को और गर्म कर सकता है।
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