बिहार विधानसभा बजट सत्र 2025: प्रमुख घटनाक्रम और राजनीतिक रणनीतियाँ

Bihar Budget Session 2025:

KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले हैं और इसके पहले 28 फरवरी 2025 से बिहार विधान मंडल का बजट सत्र शुरू हो चुका है। यह बजट सत्र खासतौर पर चुनावी साल में हो रहा है, जिसके कारण इसे लेकर राजनीतिक हलकों में विशेष रुचि है। इस बार का बजट सत्र काफी हंगामेदार हो सकता है, क्योंकि विपक्ष ने सरकार को सदन में घेरने के लिए अपनी रणनीति तय कर ली है। इस सत्र में करीब एक महीने तक कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें अपराध, रोजगार, पलायन और आरक्षण जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे।

बजट सत्र की प्रमुख तारीखें और कार्यक्रम

बिहार विधान मंडल का बजट सत्र 28 फरवरी 2025 से शुरू हुआ और यह 28 मार्च 2025 तक चलेगा। बजट सत्र का पहला दिन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का संबोधन रहेगा। वे दोनों सदनों के सदस्यों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे, जहां सरकार की योजनाओं और आगामी बजट पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद सरकार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को सदन में पेश करेगी, जो राज्य की आर्थिक स्थिति और भविष्य की आर्थिक योजनाओं को लेकर सरकार का दृष्टिकोण बताएगी।

इसके अलावा, बजट सत्र के पहले दिन शोक प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद, 1 और 2 मार्च को सदन की कोई कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि यह सप्ताहांत की छुट्टी है। सत्र की मुख्य तारीख 3 मार्च 2025 है, जब सरकार अपना 2025-26 का बजट पेश करेगी। इस दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी।

विपक्ष की रणनीति: सरकार को घेरने की तैयारी

चुनावी साल में विपक्ष ने यह तय किया है कि वह सरकार को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर घेरने की कोशिश करेगा। इनमें प्रमुख मुद्दे होंगे अपराध, रोजगार, आरक्षण, पलायन और शिक्षा। विपक्ष सरकार को इन मुद्दों पर जवाबदेह ठहराने का प्रयास करेगा और इसके लिए सत्र के दौरान हंगामे की संभावना भी जताई जा रही है।

बिहार में अपराध की बढ़ती घटनाओं पर विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगा। इसके अलावा रोजगार और नौकरियों का मुद्दा भी गर्म रहने वाला है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का अभाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा।

विपक्ष को उम्मीद है कि बिहार से पलायन की समस्या को भी इस सत्र में प्रमुखता से उठाया जाएगा। बिहार से बाहर जाकर लोग बेहतर अवसरों की तलाश में जा रहे हैं और यह मुद्दा चुनावों से पहले महत्वपूर्ण बन सकता है।

बजट सत्र का महत्व: चुनावी वर्ष में एक महत्वपूर्ण अवसर

यह बजट सत्र इसलिए भी खास है क्योंकि यह नीतीश कुमार सरकार का चुनावी साल में आखिरी बजट है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस सत्र में पेश होने वाला बजट चुनावी प्रचार का हिस्सा बन सकता है। सरकार को अपनी नीतियों और योजनाओं को सदन में प्रस्तुत करने का यह एक बेहतरीन अवसर होगा, जिससे जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा।

राजनीतिक दृष्टिकोण से यह सत्र सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि चुनावी साल में विपक्ष के हमले और आलोचनाओं से निपटना एक कठिन कार्य हो सकता है। वहीं, सरकार अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को सामने लाकर जनता का समर्थन जुटाने का प्रयास करेगी।

जमाबंदी सुधार: सरकार के लिए एक नया कदम

बजट सत्र में सरकार जमाबंदी सुधार पर भी जोर दे सकती है। बिहार में जमीनों के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने और पुराने रिकॉर्ड में सुधार की आवश्यकता लगातार महसूस की जा रही है। सरकार इस मामले में सुधार के लिए शिविर आयोजित कर सकती है, जिससे कि लोगों को बेहतर तरीके से जमाबंदी में सुधार किया जा सके।

अंचलों में विशेष शिविर लगाए जाएंगे, जहां राजस्व कर्मचारियों के द्वारा पुराने जमाबंदी रिकॉर्ड को सुधारा जाएगा। इससे जमीन मालिकों को नई तकनीकी प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी मिलेगी और वे अपनी जमीन की स्थिति को अपडेट कर सकेंगे।

विधानसभा में होने वाली चर्चाएं: बजट और अन्य मुद्दे

3 मार्च को जब सरकार अपना बजट पेश करेगी, तो उसके बाद विधानसभा में बजट पर चर्चा होगी। यह चर्चा मुख्य रूप से सरकार की आर्थिक नीतियों, विकास कार्यों, और आगामी योजनाओं पर केंद्रित होगी। विपक्षी दलों को उम्मीद है कि वे इस अवसर का उपयोग कर सकते हैं और सरकार की नीतियों पर तीखे सवाल उठा सकते हैं।

इसके बाद 6 मार्च को बजट पर सरकार का जवाब होगा, जिसमें वह विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देगी। इसके बाद 7 मार्च को अनुदान मांगों पर मतदान होगा, जो कि बजट के अंतिम चरण में किया जाएगा। इस पूरे सत्र में शून्यकालप्रश्नकाल, और ध्यानाकर्षण जैसे विधायी प्रक्रिया के माध्यम से विपक्ष और सरकार अपनी-अपनी स्थिति को जनता के सामने रखेंगे।

बिहार के लिए एक निर्णायक बजट सत्र

बिहार विधान मंडल का बजट सत्र राज्य के राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण हो सकता है। यह सत्र केवल आर्थिक बजट पर चर्चा का मौका नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे मंच के रूप में उभरेगा, जहां सरकार और विपक्ष राजनीतिक शतरंज खेलेंगे।

बिहार सरकार की प्रमुख योजनाओं और योजनाओं का प्रस्तुतीकरण होगा, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्यआवास योजना, और कृषि विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, विपक्ष के नेताओं का ध्यान इस बात पर होगा कि सरकार इन मुद्दों पर कितनी गंभीरता से काम कर रही है।

अंत में, यह बजट सत्र बिहार की राजनीतिक दिशा का निर्धारण करने में मदद करेगा और आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अहम होगा। क्या सरकार अपने विकास कार्यों को सही तरीके से प्रस्तुत कर पाएगी, या फिर विपक्ष इसे अपनी राजनीतिक गोलबंदी के लिए इस्तेमाल करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

कुल मिलाकर, बिहार का यह बजट सत्र एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। चुनावी वर्ष में होने के कारण इसका असर राजनीतिक दलों की रणनीतियों और आगामी चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। सरकार और विपक्ष दोनों ही सदन में अपनी पूरी ताकत झोंकने वाले हैं, और यह सत्र निश्चित रूप से बिहार के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

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