बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य का सियासी माहौल गर्मा गया है। केरल कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर की गई एक विवादित पोस्ट ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। इस पोस्ट में जीएसटी दरों में बदलाव का जिक्र करते हुए बिहार की तुलना बीड़ी से कर दी गई। पोस्ट में लिखा गया था कि बीड़ी और बिहार दोनों ‘बी’ से शुरू होते हैं, अब इन्हें पाप नहीं माना जा सकता।
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यह टिप्पणी बिहार की जनता और नेताओं को अपमानजनक लगी। देखते ही देखते इस बयान पर बिहार की सियासत में उबाल आ गया। एनडीए नेताओं ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया और इसे बिहार के गौरव पर चोट बताया। विवाद बढ़ने पर केरल कांग्रेस ने पोस्ट हटाकर माफी तो मांग ली, लेकिन यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा।
कांग्रेस पर एनडीए का तीखा हमला
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस टिप्पणी को कांग्रेस की बिहार विरोधी सोच का सबूत बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल केरल कांग्रेस की सोच नहीं, बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी का नजरिया है। पासवान का कहना था कि कांग्रेस ने हमेशा बिहार और बिहारियों की छवि को खराब करने का काम किया है। बिहार की तुलना बीड़ी से करना सबसे बड़ा अपमान है।
चिराग पासवान ने सवाल किया कि कांग्रेस राजनीतिक फायदा लेने के लिए भाषा और मर्यादा को आखिर कितनी गिराएगी। उनके बयान ने बिहार की राजनीति को और भी ज्यादा गर्म कर दिया।
चुनावी समीकरणों पर असर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर पहले से ही राज्य में चुनावी सरगर्मी तेज है। हर बयान और हर मुद्दा अब चुनावी नैरेटिव तय कर रहा है। ऐसे में केरल कांग्रेस की पोस्ट ने एनडीए नेताओं को कांग्रेस पर हमला बोलने का नया मौका दे दिया है। वे इसे बिहार की अस्मिता का सवाल बनाकर जनता के बीच पेश कर रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस के लिए यह विवाद एक बड़ी चुनौती बन गया है। केरल कांग्रेस की माफी भी इस गुस्से को शांत नहीं कर पा रही। विपक्षी दल लगातार इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं और कांग्रेस को बिहार विरोधी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
बिहार की जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर यह विवाद तेजी से फैल गया। बिहार के कई नागरिकों ने इसे राज्य की गरिमा पर चोट बताया। उनका कहना था कि बिहार ने हमेशा देश की राजनीति, शिक्षा और संस्कृति में अहम योगदान दिया है। बिहार को बीड़ी के साथ जोड़ना न केवल अनुचित है बल्कि गहरी चोट पहुंचाने वाला है।
जनभावनाओं में उठे इस गुस्से का राजनीतिक दल खुलकर फायदा उठा रहे हैं। एनडीए नेताओं ने इस मुद्दे को जनता की अस्मिता से जोड़ दिया है और इसे चुनावी मंच पर प्रमुख विषय बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
कांग्रेस की माफी और राजनीतिक रणनीति
विवाद बढ़ने पर केरल कांग्रेस ने पोस्ट हटाकर माफी मांगी। पार्टी ने सफाई दी कि पोस्ट का मकसद बिहार का अपमान करना नहीं था, बल्कि जीएसटी दरों में बदलाव पर टिप्पणी करना था। हालांकि, बिहार की राजनीति में इस सफाई को स्वीकार नहीं किया गया।
एनडीए नेताओं का कहना है कि माफी मांगने से कांग्रेस की सोच नहीं बदलती। उन्होंने इसे कांग्रेस के असली चरित्र का सबूत बताया और कहा कि अब बिहार की जनता खुद कांग्रेस को जवाब देगी।
चिराग पासवान की सक्रिय भूमिका
इस पूरे विवाद में चिराग पासवान ने खुद को बिहार की अस्मिता का रक्षक दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलकर राज्य के युवाओं और जनता के बीच अपनी छवि मजबूत करने की रणनीति अपनाई है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसे विवाद चुनाव से पहले नेताओं को जनता से जोड़ने का मौका देते हैं। चिराग पासवान ने इस मौके का इस्तेमाल कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह बिहार की गरिमा पर कोई समझौता नहीं करेंगे।
कांग्रेस और बिहार का पुराना विवाद
बिहार की राजनीति में कांग्रेस पहले भी कई बार विवादों में घिरी है। राज्य के कई नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस ने हमेशा बिहार की उपेक्षा की है। इस बार की टिप्पणी ने उन पुराने आरोपों को और मजबूती दे दी है।
एनडीए नेता लगातार जनता को याद दिला रहे हैं कि कांग्रेस ने बिहार को उसका उचित सम्मान कभी नहीं दिया। इस विवाद के जरिये वे कांग्रेस की पुरानी छवि को फिर से जनता के सामने ला रहे हैं।
सोशल मीडिया की भूमिका
यह विवाद यह भी दिखाता है कि सोशल मीडिया आज की राजनीति में कितनी बड़ी भूमिका निभा रहा है। एक छोटी सी पोस्ट ने पूरे बिहार की सियासत को हिला दिया। अब सोशल मीडिया चुनावी प्रचार का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन जरा सी चूक भी दलों के लिए भारी पड़ रही है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सोशल मीडिया की भूमिका और भी अहम मानी जा रही है। इस विवाद ने साबित कर दिया है कि जनता हर शब्द को गंभीरता से ले रही है और राजनीतिक दलों को अब और सतर्क रहना होगा।
बिहार की अस्मिता और चुनावी नैरेटिव
बिहार की जनता के लिए उनकी अस्मिता और पहचान बेहद संवेदनशील मुद्दा है। बीड़ी के साथ बिहार का नाम जोड़ना इस अस्मिता पर चोट की तरह माना गया है। यही कारण है कि यह विवाद एक भावनात्मक लहर में बदल गया है।
एनडीए नेता इसे चुनावी नैरेटिव बनाने में लगे हैं और जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस को अपनी छवि बचाने और जनता का भरोसा वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही सियासी सरगर्मी और बढ़ गई है। केरल कांग्रेस की विवादित पोस्ट भले ही डिलीट हो गई हो, लेकिन उसने बिहार की राजनीति को हिला दिया है। चिराग पासवान की तीखी प्रतिक्रिया ने इसे और बड़ा मुद्दा बना दिया है।
कांग्रेस के लिए यह विवाद नुकसानदायक साबित हो रहा है, जबकि एनडीए इसे जनता की भावनाओं से जोड़कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद केवल एक सोशल मीडिया एपिसोड बनकर रह जाता है या फिर चुनाव तक बिहार की राजनीति में गूंजता रहेगा।
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