बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि SC/ST और OBC समुदाय के साथ लगातार उपेक्षा हो रही है। दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के SC, ST और OBC मोर्चा के अध्यक्षों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि पिछले 11 सालों में बहुजन समाज के कल्याण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
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कांग्रेस का आरोप: बहुजनों की उपेक्षा
आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा कि देश की 90% आबादी वाले बहुजन समाज को निजी उच्च शिक्षा संस्थानों में केवल 12% प्रतिनिधित्व मिल रहा है। उन्होंने बताया कि संसदीय समिति की सिफारिश है कि निजी संस्थानों में SC को 15%, ST को 7.5% और OBC को 27% आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार चुप बैठी है।
निजी संस्थानों में आरक्षण की मांग
कांग्रेस अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजेंद्र पाल ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को न केवल आरक्षण लागू करना चाहिए बल्कि कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए free coaching की व्यवस्था भी करनी चाहिए।
उनका कहना था कि जब तक निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होगा, समान अवसर की गारंटी अधूरी रहेगी।
बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक रणनीति
नवंबर में होने वाले बिहार चुनावों से पहले कांग्रेस का यह कदम सामाजिक और जातीय ध्रुवीकरण की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
इससे पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की अगुवाई में INDIA गठबंधन चुनाव आयोग और भाजपा पर वोट चोरी का आरोप लगा चुका है। वहीं भाजपा पीएम मोदी की मां पर की गई टिप्पणी को बड़ा मुद्दा बना रही है। ऐसे माहौल में कांग्रेस ने SC/ST और OBC मुद्दों को सामने रखकर चुनावी समीकरण बदलने की कोशिश की है।
संविधान संशोधन की याद दिलाई
विक्रांत भूरिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ही संविधान के अनुच्छेद 15(5) में संशोधन कर निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का रास्ता खोला था। इसे उन्होंने क्रांतिकारी कदम बताया।
उनका आरोप है कि मोदी सरकार बीते 11 सालों में इस कानून को लागू करने में नाकाम रही है और बहुजन समुदाय की आवाज को अनसुना कर रही है।
NFS: नया जुमला या भेदभाव का तरीका?
कांग्रेस OBC मोर्चा के अध्यक्ष जयहिन्द ने कहा कि आजकल भर्तियों में एक नया हथकंडा अपनाया जा रहा है, जिसे NFS कहा जाता है।
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NFS का मतलब है: Not Found Suitable।
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इसका इस्तेमाल SC/ST और OBC उम्मीदवारों को बाहर करने के लिए किया जाता है।
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योग्य उम्मीदवारों को भी “NFS” बताकर आरक्षित सीटें खाली छोड़ दी जाती हैं।
जयहिन्द ने कहा कि यह आरक्षण व्यवस्था को कमजोर करने और बहुजन समाज के हक छीनने का नया तरीका है।
मोदी सरकार पर गंभीर आरोप
जयहिन्द ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी खुद को OBC बताते हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में OBC वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि 2017 से अब तक क्रीमी लेयर की सीमा भी रिवाइज नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी निजी संस्थानों में आरक्षण लागू करने के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन सरकार 11 साल से इसपर बैठी है।
जातिगत जनगणना पर भी उठे सवाल
कांग्रेस नेताओं ने जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठाया। जयहिन्द ने कहा कि सरकार ने दबाव में आकर जाति जनगणना की बात तो मान ली, लेकिन अब तक कोई रोडमैप सामने नहीं आया।
उन्होंने कहा कि यही लोग पहले जाति जनगणना की मांग करने वालों को Urban Naxal कहते थे। साथ ही मंडल आयोग की 40 सिफारिशों में से केवल 2 लागू हुई हैं, बाकी 38 अब भी लंबित हैं।
कांग्रेस ने बिहार चुनाव से पहले SC/ST और OBC समुदाय को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने NFS को बहुजनों के साथ भेदभाव का नया हथकंडा बताया है और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग की है।
अब देखना होगा कि बिहार के चुनावी माहौल में कांग्रेस का यह जातीय और सामाजिक मुद्दा कितना असर दिखाता है और भाजपा इसका जवाब किस तरह देती है।
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