भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ने जा रहा है। शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से 18 दिनों के मिशन पर गए थे, 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3 बजे पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। वे Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे, और इस मिशन में उन्होंने पायलट की भूमिका निभाई।
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लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि पृथ्वी पर सुरक्षित लौटने के बावजूद शुभांशु सीधे अपने घर नहीं जा सकेंगे। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। उन्हें NASA की निगरानी में 7 दिनों के विशेष पुनर्वास (Rehabilitation) कार्यक्रम में रखा जाएगा, ताकि वे अंतरिक्ष से लौटने के बाद होने वाले शारीरिक और मानसिक प्रभावों से उबर सकें।
Axiom-4 मिशन: शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन NASA और Axiom Space के सहयोग से किया गया था। उनके साथ तीन अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री भी इस मिशन में शामिल थे। मिशन का डॉकिंग 14 जुलाई को शाम 4:30 बजे (IST) निर्धारित है, और लैंडिंग 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे (IST) के आसपास होगी।
इस मिशन की कमान अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के हाथ में थी, जबकि शुभांशु को स्पेस पायलट की जिम्मेदारी दी गई थी।
“Axiom-4 मिशन भारत के लिए वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है,” — डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान मंत्री।
अंतरिक्ष में क्या-क्या किया गया?
ISS पर शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। इनमें प्रमुख थे:
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जैव-चिकित्सकीय परीक्षण: अंतरिक्ष में शरीर की प्रतिक्रिया को समझने के लिए रक्त के नमूने एकत्र किए गए।
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माइक्रोएल्गी रिसर्च: ऐसे एल्गी का अध्ययन जो भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों के लिए भोजन और ऑक्सीजन का स्रोत बन सकते हैं।
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नैनोमैटेरियल और वियरेबल टेक्नोलॉजी: ऐसे कपड़े और डिवाइस पर रिसर्च जो अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत की निगरानी कर सकें।
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थर्मल कम्फर्ट मटेरियल टेस्टिंग: तापमान नियंत्रित करने वाले नए फैब्रिक का परीक्षण।
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इलेक्ट्रिकल मसल स्टिमुलेशन और बिहेवियरल स्टडीज़: मांसपेशियों को एक्टिव बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रिक तकनीक और व्यवहारिक अध्ययन।
मिशन की समाप्ति के बाद सभी उपकरण और नमूने SpaceX Dragon कैप्सूल में पैक कर दिए गए हैं, जो उन्हें धरती पर वापस लाएगा।
धरती पर लौटकर भी सीधे घर क्यों नहीं जा सकते शुभांशु?
अंतरिक्ष से लौटने वाले सभी यात्रियों को पुनर्वास कार्यक्रम (Rehabilitation Program) से गुजरना होता है। इसका उद्देश्य है उन्हें फिर से धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति में ढालना।
अंतरिक्ष में रहने के दौरान शरीर को कई समस्याएं हो सकती हैं:
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मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle Atrophy)
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संतुलन और कोऑर्डिनेशन में कमी
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हृदय प्रणाली में बदलाव
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हड्डियों का घनत्व घट जाना
NASA इसलिए उन्हें ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर में 7 दिनों तक रखेगा, ताकि सभी प्रभावों की जांच और सुधार किया जा सके।
7 दिन के NASA रिहैब प्रोग्राम में क्या होता है?
यह पुनर्वास कार्यक्रम पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किया गया है और हर अंतरिक्ष यात्री के अनुसार व्यक्तिगत रूप से तैयार किया जाता है। इसमें शामिल हैं:
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एम्बुलेशन ट्रेनिंग: यानी दोबारा चलने, खड़े होने और संतुलन बनाने की कसरत।
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कार्डियो और लचीलापन: हृदय की कार्यक्षमता और शरीर के मूवमेंट पर ध्यान देना।
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प्रोप्रियोसेप्टिव ट्रेनिंग: जिससे कोऑर्डिनेशन और मूवमेंट बेहतर हो सके।
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फंक्शनल डेवलपमेंट: रोज़मर्रा की गतिविधियों में सहजता से लौटने की प्रक्रिया।
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स्वास्थ्य जांच: दिल, दिमाग, हड्डियों और मांसपेशियों की गहन जांच।
इन 7 दिनों के दौरान शुभांशु शुक्ला पूरी तरह से डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की निगरानी में रहेंगे।
कितने दिन का रिहैब क्यों जरूरी?
रिहैब की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि अंतरिक्ष यात्री ने अंतरिक्ष में कितना समय बिताया है:
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10–20 दिन के छोटे मिशनों में – 7 से 10 दिन का रिहैब
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6 महीने या ज्यादा के मिशन में – 30 से 45 दिन तक का रिहैब
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उदाहरण के तौर पर, सुनीता विलियम्स को 600+ दिनों के बाद 45 दिन की निगरानी में रखा गया था।
चूंकि शुभांशु शुक्ला का मिशन 18 दिन का था, इसलिए उन्हें 7 दिन के रिहैब में रखा जाएगा।
क्या शुभांशु की धरती पर वापसी का LIVE प्रसारण होगा?
जी हां! NASA अपने आधिकारिक पोर्टल और सोशल मीडिया पर Axiom-4 मिशन की वापसी का सीधा प्रसारण (LIVE) करेगा। भारत में इसे ISRO और विज्ञान मंत्रालय के चैनलों पर भी देखा जा सकेगा।
उनका कैप्सूल अटलांटिक महासागर में लैंड करेगा, जहां से उन्हें ह्यूस्टन ले जाया जाएगा।
🇮🇳 शुभांशु शुक्ला: अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। उनसे पहले केवल राकेश शर्मा ने 1984 में अंतरिक्ष यात्रा की थी।
सुनीता विलियम्स, जो भारतीय मूल की हैं, NASA की ओर से अमेरिकी नागरिक के रूप में अंतरिक्ष गई थीं। शुभांशु की इस उड़ान से भारत का नाम वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर फिर चमक उठा है।
आगे क्या होगा शुभांशु के लिए?
NASA में 7 दिन की निगरानी के बाद:
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वे भारत लौटेंगे, जहां ISRO और केंद्र सरकार उनका सम्मान कर सकते हैं।
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उनके वैज्ञानिक शोध और अनुभव को Gaganyaan मिशन में उपयोग किया जा सकता है।
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वे भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के मार्गदर्शक भी बन सकते हैं।
शुभांशु शुक्ला का मिशन सिर्फ अंतरिक्ष में जाना नहीं था, बल्कि सुरक्षित लौटकर, खुद को रिकवर करना और अपनी जानकारी साझा करना भी है।
उनकी वापसी से भारत को ना सिर्फ गर्व हुआ है, बल्कि विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और युवा प्रेरणा के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू हुआ है।
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