KKN गुरुग्राम डेस्क | बेतिया जिले में विशेष भूमि सर्वेक्षण के तहत दो गांवों का गजट प्रकाशित किया जा चुका है। इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जोर-शोर से काम कर रहे हैं। इस बीच, प्रशासन ने भूमि मालिकों को राहत देते हुए स्वघोषित प्रपत्र (Self-Declaration Form) जमा करने की अंतिम तारीख को 31 मार्च तक बढ़ा दिया है। अब तक 62,654 रैयतों ने अपनी भूमि से संबंधित जानकारी इन प्रपत्रों के माध्यम से जमा कर दी है।
बेतिया में भूमि सर्वेक्षण का प्रमुख उद्देश्य और प्रक्रिया
बेतिया जिले में विशेष भूमि सर्वेक्षण का उद्देश्य भूमि संबंधी विवादों को हल करना और भूमि के मालिकाना हक को साफ-सुथरा बनाना है। इससे पहले कभी भी जिले में इतनी व्यापक भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया नहीं की गई थी। इस परियोजना के तहत विभाग रैयतों से उनकी भूमि के बारे में पूरी जानकारी जुटा रहा है, जिसे बाद में डिजिटल रूप में संकलित किया जाएगा।
स्वघोषित प्रपत्र की महत्ता और 31 मार्च तक का समय
स्वघोषित प्रपत्र रैयतों से उनकी भूमि संबंधी जानकारी एकत्र करने का एक प्रमुख तरीका है। इस प्रपत्र में भूमि के स्वामित्व, आकार, सीमा और अन्य महत्वपूर्ण विवरण होते हैं। अब तक 62,654 रैयतों ने अपने प्रपत्र जमा कर दिए हैं, और प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी भूमि मालिक पीछे न रह जाए, 31 मार्च 2025 तक का समय दिया है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्रपत्र जमा करने की सुविधा
रैयतों को यह जानकारी देने के लिए दोनों माध्यम उपलब्ध कराए गए हैं – ऑनलाइन और ऑफलाइन। रैयत डिजिटल पोर्टल के माध्यम से अपनी जानकारी ऑनलाइन जमा कर सकते हैं या फिर संबंधित कार्यालय में जाकर प्रपत्र जमा कर सकते हैं। इस तरह से उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से प्रपत्र जमा करने की स्वतंत्रता मिल रही है।
फॉर्म जमा करने के बाद क्या होगा?
स्वघोषित प्रपत्र जमा करने के बाद अगला चरण सत्यापन प्रक्रिया का होगा। इस प्रक्रिया में भूमि के भौतिक निरीक्षण के जरिए प्रपत्र में दी गई जानकारी की पुष्टि की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी जानकारी गलत या धोखाधड़ी नहीं हो। इसके बाद, सत्यापन के दौरान जो भी गड़बड़ियां पाई जाएंगी, उन्हें सुधारने का काम किया जाएगा।
बेतिया जिले में भूमि सर्वेक्षण की वर्तमान स्थिति
बेतिया जिले में भूमि सर्वेक्षण दो चरणों में हो रहा है। पहले चरण में चनपटिया, मझौलिया, नौतन और लौरिया अंचलों में सर्वे हो चुका है, जिसमें कुल 281 गांवों (मौजा) को कवर किया गया। दूसरे चरण में, 13 अंचल जैसे नरकटियागंज, सिकटा, मैनाटांड, गौनाहा, बैरिया, योगापट्टी, बगहा-1, बगहा-2, रामनगर, मधुबनी, पिपरासी, ठकराहा, और भितहां में भूमि सर्वेक्षण चल रहा है। इन 13 अंचलों के 1,170 गांवों (मौजा) में इस सर्वे का काम जारी है।
रैयतों को क्यों चिंता करने की जरूरत नहीं है?
जिला बंदोबस्त पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि रैयतों को ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें सिर्फ स्वघोषित प्रपत्र में अपनी भूमि का ब्योरा सही-सही भरकर जमा करना है। स्वघोषित प्रपत्र में रैयत या रैयत के वंशज द्वारा भूमि का विवरण दिया जा सकता है, जो एक आसान तरीका है। इस प्रक्रिया को सरल और परेशानी मुक्त बनाने के लिए प्रशासन ने सभी रैयतों को पूरी जानकारी प्रदान की है।
बेतिया में भूमि सर्वेक्षण का महत्व
बेतिया में भूमि सर्वेक्षण का एक बड़ा महत्व है, खासकर ऐसे समय में जब भूमि विवाद एक सामान्य समस्या बन चुकी है। बहुत से मामलों में भूमि के स्वामित्व को लेकर विवाद होते हैं, और एक साफ और सही रिकॉर्ड की कमी होती है। इस सर्वेक्षण के पूरा होने के बाद, भूमि के स्वामित्व का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में होगा, जिससे भविष्य में कोई भी भूमि विवाद सुलझाना आसान होगा।
इस प्रक्रिया के जरिए सरकारी अधिकारियों को रैयतों की भूमि के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे वे बेहतर योजना बना सकेंगे और सरकारी योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पहुंच सकेगा। साथ ही, भूमि से संबंधित गलतफहमियां और विवाद भी कम हो सकते हैं।
स्वघोषित प्रपत्र का सत्यापन और सुधार प्रक्रिया
स्वघोषित प्रपत्र के सत्यापन के बाद, अधिकारियों द्वारा भूमि का भौतिक निरीक्षण किया जाएगा, और यदि कोई गड़बड़ी या धोखाधड़ी पाई जाती है, तो उसे सुधारने का काम किया जाएगा। यह सत्यापन प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि भूमि के मालिकाना हक का सही रिकॉर्ड तैयार हो। प्रशासन इस प्रक्रिया को बहुत ही व्यवस्थित तरीके से अंजाम देने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि भविष्य में भूमि के स्वामित्व से संबंधित कोई भी भ्रम या विवाद न उत्पन्न हो।
भूमि सर्वेक्षण के दौरान मिले लाभ और चुनौतियां
बेतिया जिले में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान कई लाभ सामने आ रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि सभी भूमि मालिकों के पास अब एक स्पष्ट और अपडेटेड रिकॉर्ड होगा, जिससे वे अपनी भूमि से संबंधित किसी भी कानूनी परेशानी से बच सकेंगे। इसके अलावा, सरकार भी भूमि से संबंधित योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू कर सकेगी, क्योंकि उसे सही डेटा और रिकॉर्ड्स प्राप्त होंगे।
हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियां भी हैं। एक मुख्य चुनौती यह है कि बहुत से रैयतों को इस प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, या वे तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं। इस समस्या को हल करने के लिए प्रशासन ने सूचना प्रसार अभियान चलाए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने का काम किया है।
रैयतों को सटीक और भरोसेमंद जानकारी प्रदान करना
स्वघोषित प्रपत्रों की जमा करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ-साथ प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि रैयतों को सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले। इस प्रक्रिया के लिए प्रशासन ने कई चैनलों के माध्यम से रैयतों को जागरूक किया है, जिसमें टीवी, रेडियो, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं। इन प्रयासों से रैयतों को सही जानकारी मिल रही है, जिससे वे अपने भूमि संबंधी दस्तावेज़ आसानी से और सही तरीके से जमा कर पा रहे हैं।
स्वघोषित प्रपत्रों का सत्यापन और डेटा कलेक्शन पूरी होने के बाद, सरकार के पास एक सटीक और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होगा। इससे भूमि संबंधित योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचेगा और भविष्य में भूमि विवादों को सुलझाने में आसानी होगी। डिजिटल भूमि रिकॉर्ड्स से न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, बल्कि भूमि मालिकों को भी अपनी संपत्ति से संबंधित किसी भी कानूनी दावे का प्रमाण पत्र आसानी से मिल सकेगा।
बेतिया जिले में चल रहा भूमि सर्वेक्षण एक ऐतिहासिक पहल है, जो पूरे बिहार के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है। भूमि रिकॉर्ड्स की डिजिटलीकरण से राज्य में भूमि विवादों को कम करने में मदद मिलेगी और नागरिकों को पारदर्शी तरीके से अपने भूमि संबंधी अधिकार प्राप्त होंगे। हालांकि इस प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन यह अंततः सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा। रैयतों को स्वघोषित प्रपत्र जमा करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है, और इस समय के भीतर सभी को अपनी जानकारी जमा कर देनी चाहिए ताकि इस महत्वपूर्ण कार्य को सफलता से पूरा किया जा सके।